राजकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय दोआ चमोली में तैनात एक सहायक अध्यापक के साथ प्रधानाचार्य द्वारा स्टाफ के साथ मिलकर उत्पीड़न करने का मामला सामने आया है। शिक्षक इतना खौफजदा हैं कि वह पिछले तीन महीनों से अपनी ड्यूटी पर भी नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी चमोली व जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी चमोली के आश्वासन के बाद भी मामले की जांच नहीं हो पा रही है। इससे शिक्षक काफी मानसिक तनाव में हैं।
दरअसल चमोली जनपद में राजकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय दोआ है। टिहरी भिलंगना से ट्रांसफर होकर आए जून २०१६ में इस स्कूल में सहायक अध्यापक एलटी सामान्य के पद पर मातवर सिंह चौधरी ने कार्यभार ग्रहण किया। प्रारंभ में श्री चौधरी का कामकाज यहां सामान्य चलता रहा, लेकिन जैसे ही इस स्कूल के प्रधानाचार्य का स्थानांतरण हुआ, यहां हरेंद्र सिंह मलिक को प्रभारी प्रधानाचार्य के पद पर तैनात कर दिया गया। बस फिर क्या था, स्कूल में धीरे-धीरे अराजकता और अनियमितता का माहौल पनपने लगा।
पीडि़त शिक्षक मातवर सिंह चौधरी बताते हैं कि स्कूल में अध्यापक उपस्थिति पंजिका में छेड़छाड़ की जा रही है। स्कूल में तैनात बाबू प्रदीप द्वारा वेतन, एरियर, एनपीएस पासबुक, मेडिकल स्वीकृति जैसे काम करने के नाम पर रिश्वत की मांगी जाती है। प्रभारी प्रधानाचार्य हरेंद्र सिंह मलिक द्वारा स्कूल में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उनके द्वारा विरोध करने पर प्रधानाचार्य के इशारे पर गांव के कुछ लोगों द्वारा उन्हें सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियां व मारने की धमकी दी जा रही है। यही नहीं उन्हें स्कूल में अक्सर प्रधानाचार्य व स्टाफ द्वारा ताने सुनाए जाते हैं।
मातवर सिंह चौधरी बताते हैं कि ५ सितंबर को शिक्षक दिवस जैसे महत्वपूर्ण आयोजन बच्चों के साथ मनाने के बजाय विद्यालय को बंद रखा जाना बहुत ही निंदनीय व संवेदनहीन है। लेकिन जब उन्होंने खण्ड शिक्षा अधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी चमोली व अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा अधिकारी से उक्त बिंदुओं को लेकर स्कूल में चल रहे मामले की शिकायत की तो उनके द्वारा मौखिक जांच का आदेश दे दिया गया, लेकिन आज तीन माह बीत गए हैं, लेकिन स्कूल में जांच नहीं हो पा रही है।
श्री चौधरी बताते हैं कि स्कूल में अवैधानिक छुट्टियों का विरोध करने पर वहां गुटबाजी हो रही है, जिसमें उन्हें पीसा जा रहा है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि यदि स्कूल में लगी बायोमेट्रिक मशीन के फिंगर प्रिंट की जांच हो जाए तो साफ पता चलता है कि कौन शिक्षक कितने दिन ड्यूटी पर रहा और कितने दिन अनुपस्थित। यही नहीं प्रभारी प्रधानाचार्य पर उन्होंने आरोप लगाया कि वह कई दिनों तक छुट्टी पर रहते हैं और स्कूल में आने के बाद उपस्थिति रजिस्टर में अपनी हाजिरी लगा देते हैं। इन सब बातों का पर्दाफाश करने के कारण उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। जिससे वह मानसिक उत्पीडऩ के शिकार हो गए हैं और उनकी हिम्मत नहीं हो पा रही है कि वे स्कूल में अपनी ड्यूटी पर लौट जाएं। उनके सम्मुख पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
जब इस संबंध में स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य से पूछा गया कि शिक्षक मातवर सिंह चौधरी तीन महीनों से स्कूल क्यों नहीं आ पा रहे हैं तो उनका कहना है कि उनकी तरफ से श्री चौधरी के लिए स्कूल आने के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। वह जब चाहें, आ सकते हैं। उनकी कुछ निजी समस्या होगी, इसमें वह कुछ नहीं कह सकते। जब उनसे पूछा गया कि स्कूल में बाबू द्वारा रिश्वत मांगी जाती है। शिक्षक दिवस पर स्कूल बंद क्यों रहता है। आप छुट्टी पर होते हुए भी हाजिरी कैसे लगा लेते हैं तो उनका कहना था कि दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण स्कूल में कई बार लाइट न होने के कारण बायोमेट्रिक हाजिरी नहीं लग पाती है, लेकिन अब वह पावर बैंक मंगाने जा रहे हैं। वह अपने घर न जाकर अधिकांश समय अपनी ड्यूटी पर ही रहते हैं। उन पर लगे आरोपों को लेकर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। जांच होगी तो सब साफ हो जाएगा।
मुख्य शिक्षा अधिकारी चमोली तथा अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा अधिकारी पौड़ी से इस मामले मे बात नही हो पाई।