भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे जिस हाजी राव शराफत अली को राज्यपाल ने आरोपों की गंभीरता और उसके प्रमाणित होने का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के पद से हटा दिया और जिस पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी गंभीर घोटालों के कारण एक जांच कमेटी की नियुक्ति कर दी, उसकी शराफत के जीरो टोलरेंस वाले ईमानदार मुख्यमंत्री इतने कायल हो गए कि उसे आचार संहिता के दिन 15 नवंबर को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का सदस्य नियुक्त कर दिया। और अब वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनाने की तैयारी हो रही है। इस दौरान निकाय चुनाव चल रहे थे। इस नियुक्ति के लिए निर्वाचन आयोग की भी अनुमति नहीं ली गई।
प्रदेश की जनता को यह जानने का तो हक है ही कि भला यह कैसा जीरो टोलरेंस है !! राव शराफत अली पिछली भाजपा सरकार में भी उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे। वर्ष 2012 में दो दर्जन से भी अधिक गंभीर घोटालों में संलिप्त होने के कारण सरकार ने उन्हें हटा दिया था।
राज्यपाल ने किया था बर्खास्त
भाजपा के अंदर वर्तमान में इस नियुक्ति को लेकर घमासान मचा हुआ है। जीरो टोलरेंस के विपरीत हुई इस नियुक्ति से भाजपा को यह समझ नहीं आ रहा कि अब मीडिया को क्या जवाब दें ! इस तैनाती से हैरत में आए खुद भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी शादाब शम्स ने मुख्यमंत्री से इसकी एसआईटी जांच कराने की मांग की है, किंतु सरकार इनकी शराफत की इतनी कायल है कि इस ओर काम ही नहीं करना चाहती। अली का कहना है कि वह कोर्ट से बहाल हो गए हैं और बोर्ड में प्रावधान है कि कोर्ट से बहाली होने पर नियुक्ति की जा सकती है। जबकि यह जग जाहिर है कि शराफत अली कोर्ट में पैरवी न होने के कारण बहाल हुए हैं।
तैनाती के लिए निकाला जुगाड़
अल्पसंख्यक आयोग पिछड़ा वर्ग आयोग अनुसूचित जाति आयोग जैसे संवैधानिक पदों पर पिछले पौने 2 साल से सरकार बनेगी तैनाती नहीं कर पाई हो लेकिन जीरो टोलरेंस की सरकार को यह व्यक्ति इतना पसंद है कि बोर्ड में पद खाली ना होने के बावजूद बोर्ड में पहले से तैनात सांसद कोटे से नियुक्त सदस्य मोहम्मद आसिफ मियां का कोटा बदल कर उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता की कैटेगरी में डाला और उसके बाद जगह खाली करके बाकायदा सांसद कोटे से हाजी राव को सदस्य बना दिया गया।भ्रष्टाचार के आरोप जनरल खंडूरी की भाजपा सरकार और ख़ुद वक़्फ़ बोर्ड ने लगाए थे और विशेष शक्ति का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने चेयरमैन पद से हटाते हुए सदस्य बोर्ड से भी निष्कासित किया था।
हाईकोर्ट ने भी बिठाई जांच कमेटी
त्रिवेंद्र सरकार/भाजपा के पास कौन सा गंगा जल है जो भ्रष्टाचारियों पर छिड़कने से वे दूध की तरह पवित्र हो जाते हैं। हाई कोर्ट डबल बैंच ने इस व्यक्ति के ख़िलाफ़ जाँच के आदेश दिया है।पिरान कलियर की गुल्लक को क्रेन से उठवाकर अपने घर ले जाकर खुलवाने वालों पर सरकार मेहरबान है।सरकार पर सैंटिग का आरोप लग रहा है। इस कदम से 800 अरब के बोर्ड को लूटने की बड़ी साज़िश का भांडा फोड़ हुआ है। यह व्यक्ति पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी का ख़ास व्यक्ति है। राव सूत्रों की माने तो उन्होंने ही सारी सैटिंग कराई है।सरकार को राव के ख़िलाफ़ कोर्ट जाने से भी कंडारी ने रोका था। उन्होंने तब समाज कल्याण मंत्री रहते हुए कोर्ट कार्यवाही का आदेश नहीं होने दिया था।सवाल यह है कि 2 साल से प्रदेश मे भ्रष्टाचार में जीरो टोलरेंस की भाजपा सरकार इस भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कोर्ट क्यों नहीं गई ? वक़्फ़ बोर्ड को बचाने के लिए आम आदमी कोर्ट जा रहा है और सरकार सो रही है।