आठ महीने बाद आहूत उत्तराखण्ड सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग की विज्ञापन सूचीवद्धता संचालन समिति की बैठक महानिदेशक सूचना डा. पंकज कुमार पाण्डेय द्वारा स्थगित कर दी गई जिससे प्रदेश के उन समाचार पत्र पत्रिकाओं को भारी निराशा हुई जो पिछले कई वर्ष से निरंतर प्रकाशित हो रहे हैं लेकिन वे विज्ञापन के लिए सूचीवद्ध ही नही हो पाये हैं।
शासनादेश के अनुसार सूचीवद्धता संचालन समिति की यह बैठक अनिवार्य रूप से जनवरी माह में आयोजित की जानी थी लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते यह बैठक आयोजित ही नही की गई।इससे पता चलता है कि सरकार अपने प्रदेश में लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ के प्रति कितनी गम्भीर है।
आज आहूत समिति की बैठक को स्थगित किये जाने की सूचना सदस्यों को तब दी गई जब प्रदेशभर से आये समिति के सदस्य मुख्यालय पहुँच गये। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ पत्रकारों द्वारा अंतिम समय में बैठक स्थगित किये जाने पर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की गई लेकिन उनकी नाराजगी नक्कारखाने की तूती ही साबित हुई जिसका प्रमाण यह है कि अभी बैठक की अगली तिथि तय नही की गई है जिससे एक बार फिर विज्ञापन सूचीबद्धता से वंचित समाचार पत्र को सूचीवद्ध किये जाने की संभावना धूमिल हो गई है।
श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव विश्वजीत नेगी नाराजगी जाहिर करते हुए कहते हैं कि सिर्फ विज्ञापन सूचीबद्धता ही नहीं बल्कि पत्रकार मान्यता समिति का तो अभी तक गठन ही नहीं हुआ है।
सूचना विभाग के अफसर समिति का गठन करने के बजाए विभागीय बैठक करके अपनी सुविधा के अनुसार चहेतों को गुपचुप मान्यता प्रदान कर रहे हैं, जबकि मान्यता समिति के गठन को लंबे समय से काला जा रहा है। यह हाल तब है जब कि हाई कोर्ट ने भी विज्ञापन मान्यता समिति के तत्काल गठन की बात कही है।
सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग की ये गतिविधियां विभाग के मंत्री( जो कि मुख्यमंत्री स्वयं देख रहे हैं ) की साख पर बट्टा लगाने का काम कर रही हैं।