लोकसभा चुनाव २०१९ से ठीक पहले केंद्र व उत्तराखंड सरकार द्वारा बहुप्रचारित चारधाम यात्रा की शुरुआत को सरकार इतना फीका कर देगी, कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी। यह पहला अवसर है, जब चारों धाम के कपाट खुलने पर मुख्यमंत्री या उनका कोई मंत्री किसी भी धाम के कपाट खुलने के अवसर पर वहां नहीं पहुंचा। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ के कपाट खुल चुके हैं। चारों धामों की यात्रा उत्तराखंड के हजारों हजार लोगों को वर्षभर का रोजगार प्रदान करते हैं।
२०१३ की भीषण आपदा के बाद मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने एक साल के भीतर केदारनाथ यात्रा शुरू कर आपदा के जो जख्म भरने की कोशिश की, आज डबल इंजन की प्रचंड बहुमत वाली सरकार यात्रा से अपने आप को एक प्रकार से किनारा कर चुकी है। यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के अवसर पर सूबे के पर्यटन मंत्री उत्तरकाशी में थे, किंतु वे यमुनोत्री नहीं गए। केदारनाथ के कपाट खुलने के दिन सतपाल महाराज चमोली जिले में थे, किंतु केदारनाथ नहीं गए। केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर सूबे के मुख्यमंत्री और मंत्री देहरादून में विभिन्न कार्यक्रमों में रिबन काटते नजर आए तो कुछ ने शादी-ब्याह में जाना ज्यादा उचित समझा। गत वर्ष ३ मई को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ आए तो उत्तराखंड की पूरी सरकार विधायक और भाजपा संगठन के लोग केदारनाथ में थे।
इस वर्ष केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम स्थगित होते ही डबल इंजन सरकार ने पहले यमुनोत्री, गंगोत्री और अब केदारनाथ, बद्रीनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर खुद को चारधामों से अलग कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम स्थगित होने के पीछे ऑल वेदर रोड की धीमी गति भी बताई जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस धीमी गति से नाखुश हैं। कल तक आल वेदर रोड के नाम पर बड़े-बड़े भाषण देने वाली सरकार अचानक प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रद्द होते ही इस प्रकार भाग खड़ी हो गई, मानों चारों ओर खुदी सड़क, बदहाल संचार व्यवस्था और डॉक्टरों के चारधाम यात्रा मार्ग पर न पहुंच पाने का अपयश यह सरकार अपने सिर पर नहीं लेना चाहती।
उत्तराखंड के लिए बहुपयोगी इस चारधाम यात्रा से सरकार की यह किनाराकशी गंभीर सवाल भी खड़े करती है कि कल तक लेजर शो के नाम पर लाखों रुपए के प्रचार-प्रसार और अचानक कार्यक्रम से ही भाग खड़ा होना दर्शाता है कि चारधाम यात्रा की तैयारी धरातल पर हुई ही नहीं। ऊपर से केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर उस एनिमेशन फिल्म को लेकर केदारनाथ में विवाद हो गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न समय पर केदारनाथ यात्रा करने और उसे लोकसभा चुनाव २०१९ को लेकर भुनाने की कोशिश की गई।
मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और क्षेत्रीय विधायक मनोज रावत की कड़ी आपत्ति के बाद मोदी चालीसा का प्रसारण नहीं किया गया। कुल मिलाकर चार धामों की यात्रा के कपाट खुलने के अवसर पर दिन-रात हैलीकॉप्टर और हवाई जहाजों से घूमने वाली सरकार का चारधामों को महत्व न देना दर्शाता है कि यह सरकार चारधाम को लेकर वास्तव में धरातल पर क्या कर रही है।
हालाँकि सोशल मीडिया में सरकार की छीछालेदर होने के बाद थराली उपचुनाव की तैयारी में गए राज्य मंत्री धन सिंह रावत ने भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए।