कृष्णा बिष्ट
हल्द्वानी। एक तरफ तो सरकार गाँवों को शहर से जोड पलायन रोकने की बात करती है और दूसरी ओर जनंता को सड़क जैसी मूलभूत सुविधा देने मे सरकार के पसीने छूट रहे हैं, आलम यह है की आधा दशक बीत जाने के बाद भी सरकारी तंत्र महज़ ६ किलोमीटर की सड़क नहीं बना पाता, और अधिकारी इन योजनाओ को अपनी–अपनी सहूलियत के हिसाब से फाइलो मे दबाये घुमाते फिरते हैं। इसका जीवंत उधारण बागेश्वर विधानसभा का निर्माणांधीन 6.7 किलोमीटर का “कन्धार –रौल्याना मोटर मार्ग” है, जिस का निर्माण PMJSY द्वारा 2013 से किया जा रहा है, किन्तु आधा दशक बीत जाने के बाद भी विभाग इस सड़क के निर्माण को पूरा नही हो पाया, यही नहीं मार्च 2014 मे गोमती नदी पर बनने वाले पुल का डिजाईन I.I.T रूडकी द्वारा फाइनल कर देने के बाद आज लगभग ४ वर्ष बाद भी उस स्थान पर पुल निर्माण नहीं करवा पाया है।
लगभग चार दशक से आरक्षित विधानसभा छेत्र होने के बावजूद इस विधानसभा पर आज तक बीजेपी और कांग्रेस ही काबिज़ रहीं हैं, वर्त्तमान मे जहाँ विधानसभा सीट पर बीजेपी के विधायक श्री. चन्दन राम दास काबिज़ हैं, तो वही जिला पंचयात सीट पर कांग्रेस की श्रीमती.नंदी भंडारी का कब्ज़ा है, छेत्र की किस्मत को विभाग के जे.ई और ठेकेदार के हवाले कर राजनेता और अधिकारी फ़ोटो खिचवाने मे मस्त हैं और जनता त्रस्त है।
इस छेत्र की दर्जनों ग्राम सभाओ के लीये अस्सी के दशक मे तत्कालीन कांग्रेस विधायक गोपाल राम दास के कार्यकाल मे बनी “गोमती घाटी बेजज्नाथ –बिणातोली मोटर मार्ग” जेसी अति महत्वकांशी योजना राजनीती और नकारे अफसरशाही के फेर मे फंस पहले ही रसातल मे समां कर लुप्त हो चुकी है।
लगभग तीन दशक बाद २१ दिसम्बर २०१३ को PMJSY द्वारा “कन्धार –रौल्याना मोटर मार्ग” के नाम से इस छेत्र के लिये दूसरे स्थान से नई मोटर मार्ग की नीव ने छेत्र की जनता के मन मे नई उम्मीद जगाई थी, किन्तु मोटर मार्ग निर्माण की सुस्त रफ़्तार ने एक बार फिर से ग्रामीणों के चेहरो पर निराशा लादी है।
सड़क व पुल निर्माण की सुस्त रफ़्तार पर जब हमने PMJSY के अधिशाषी अभियंता “श्री. राजेंद्र प्रसाद” से उनका पक्ष जानने की कोशिस की तो इंजिनियर साहब विषय पर कुछ भी स्पष्ट तौर पर जवाब देने मे असमर्थ नज़र आये और अपने ऐ.ई को फ़ोन पकड़ा दिया, ऐ.ई साहब का कहना था की पुल का डिजाईन केंद्र को गया है वहां आने के बाद ही पुल निर्माण हो पायेगा और जहाँ तक सड़क निर्माण का सवाल है वो सुचारू रूप से जारी है, जीस का वो दस तारीख के बाद स्वयम निरिक्षण करने वाले हैं। इतना बरस बीत जाने के बाद भी सड़क और पुल निर्माण कार्य ना होने से ग्रामीण खुद को आहत और ठगा महसूस करने लगे हैं, बर्हाल अब देखना यह है की छेत्र पर अधिकारियों और अक्सर चुनावो मे ही नज़र आने वाले जनप्रतिनिधियों की नज़रें कब तक इनायत हो पाती हैं।