कुलदीप एस. राणा
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मध्येनजर उत्तराखंड में भी लम्बे समय से एक स्थान पर कार्यरत कर्मचारियों के तबादले शुरू हो गए हैं।
उक्त क्रम में उत्तराखंड पुलिस विभाग ने भी कार्यवाही करते हुए दरोगा व इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों के तबादले कर दिये, किंतु पुलिस के उच्च अधिकारी जो चुनाव आयोग की गाइड लाइन के दायरे में नज़र आ रहे हैं उन्हें तबादलों की कार्यवाही से बाहर रख दिया गया है।चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुसार चुनाव प्रक्रिया से सीधे जुड़ा कोई भी अधिकारी /कर्मचारी अपने गृह जनपद में 3 वर्ष या एक ही स्थान पर पिछले 4 वर्ष से अधिक नियुक्त नही रह सकता है।
मामला गढ़वाल एवं कुमायूं परिक्षेत्र में नियुक्त पुलिस के मुख्य अधिकारियों की नियुक्ति समयावधि से जुड़ा है। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अजय रौतेला 3 जुलाई 2018 से गढ़वाल रेज में पुलिस उपमहानिरीक्षक वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक के पद पर तैनात हैं, जबकि वह 6 फरवरी 2014 से 15 दिसंबर 2014 तक गढ़वाल परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले देहरादून जनपद के एसएसपी के पद पर नियुक्त रह चुके हैं।
वहीं कुमायूं रेंज में पुलिस उपमहानिरीक्षक के पद पर नियुक्त अजय जोशी वर्ष 2018 तक इसी रेंज के अंतर्गत आने वाले पिथौरागढ़ जिले के पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त थे।
ऐसे में सवाल यह है कि चार वर्ष से भी कम समय में दोनों उच्च अधिकारियों की समान परिक्षेत्र में नियुक्ति क्या चुनाव आयोग की गाइड लाइन के दायरे से बाहर हो सकती है। या फिर चुनाव आयोग के निर्देश भारतीय प्रशासनिक सेवा भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों पर लागू नहीं होते।
राज्य में नियुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होता है कि चुनाव आयोग की गाइड लाइन का नियमानुसार पालन हो।
उक्त प्रकरण पर उत्तराखंड के मुख्य चुनाव अधिकारी सौजन्या जावलकर का कहना है कि ट्रांसफर सम्बन्धी नियम जिला स्तर के अधिकारियों पर ही लागू होता है। जिले से ऊपर के अधिकारियों पर यह लागू नहीं होता। फिर भी हम चुनाव कमिश्नर से इस बाबत क्लेरिफिकेशन ले सकते हैं।