भगवान भरोसे देवभूमि के जंगल।
धू धू कर जल रहे उत्तरकाशी के जंगल।
क्रू स्टेशन और मास्टर कन्ट्रोल रूम के हिसाब देने में जुटा वन विभाग।
गिरीश गैरोला।
उत्तरकाशी वन प्रभाग अंतर्गत मुखेम रेंज के चामकोट के जंगलों में आग का तांडव बुधवार दोपहर से फैला है। इंद्र देव की मेहरबानी से गरजे मेघों ने इसकी तीव्रता को भले ही कम कर दिया हो, किन्तु इसे पूर्ण रूप से काबू करने में विभाग को पसीना आना तय है।
मुखेम रेंज के रेंज अधिकारी ओम प्रकाश मधवाल ने बताया कि ये आग डुंडा और मुखेम रेंज के बॉर्डर पर पहाड़ी ढंगार में लगी है जिसके लिए सुरेंद्र सेमवाल फारेस्ट गार्ड के साथ करीब 20 लोगों की टीम आग बुझाने में देर रात तक डटी हुई है और उम्मीद है जल्दी इस पर काबू पा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फ़ॉरेस्ट गार्ड के साथ 4 फायर वॉचर और चार बीट वॉचर दिए गए हैं। इसके अलावा वन पंचायतों को भी विभाग द्वारा आग बुझाने के लिए धन दिया जाता है।
बताते चले कि 15 फरवरी से 15 जून तक अथवा वर्षा मानसून शुरू होने तक के समय को फायर सीजन कहा जाता है , जिसके लिए वन विभाग पूरी तैयारी साजो सामान ,क्रू स्टेशन और अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती करता है, फिर भी सब कुछ इंद्र देव की कृपा बरसने का ही इंतजार होता है।
देव भूमि के जंगल, वहाँ निवास कर रहे जंगली जानवर और दुर्लभ वनस्पति एक तरह से भगवान के ही भरोसे है। भले ही वन विभाग क्रू स्टेशन , मास्टर कंट्रोल रूम और फायर वॉचर का आंकड़ा बताकर बजट को बेहतर तरीके से खर्च करने के गुर में माहिर हो किन्तु ऐन वक्त पर पहाड़ी ढंगार पर सुलगी प्रचंड आग तक पहुंचना और उसे काबू करना टेढ़ी खीर है। गांव, नगर और आबादी वाले इलाकों के आसपास विभाग पहले से फायर ब्रेक और कंट्रोल बर्निंग कर अपनी तैयारी कर लेता है किंतु तेज पहाड़ी ढाल पर सुलगती आग में खाक हो रहे जंगली जानवरों और दुर्लभ प्रजाति की वनस्पति के लिए वन महकमा आज भी इंद्र देव की ही कृपा का पात्र बना हुआ है।