कृषि विज्ञान केन्द्र, रानीचौरी ने टिहरी के विभिन्न गांवों में चलाया अभियान
महिलाओं को स्थानीय फसलों को अपने दैनिक जीवन में सम्मिलित करने हेतु किया प्रोत्साहित
कृषि विज्ञान केन्द्र, रानीचौरी द्वारा ग्राम पाली में गोष्ठी कर राष्ट्रीय पोषण सप्ताह शुरू किया गया। इस दौरान कार्यक्रम समन्वयक ई. कीर्ति कुमारी ने महिलाओं को खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों की जानकारी दी। वैज्ञानिक कीर्ति कुमारी ने स्थानीय फसलों से निर्मित पौष्टिक वयंजनों की जानकारी दी। साथ ही बच्चों में कुपोषण निवारण के लिए संतुलित आहार को दैनिक जीवन में शामिल करने की सलाह दी। गोष्ठी में गर्भवती व दुधारू महिलाओं के आहार के बारे में विस्तृत चर्चा की गई।
केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का एक सितंबर से 7 सितंबर 2018 तक टिहरी जिले के विभिन्न ग्रामों, पालीगांव, जड़ीपानी, चोपडियालगांव, जगधार आदि में किया गया। जिससे महिलाओं व बच्चों को पोषण के प्रति जागरूक किया जा सके। कार्यक्रम में कृषि विभाग की सहायक कृषि अधिकारी शशीबाला, आंगनबाड़ी कार्यकर्ती बबली देवी, लक्ष्मी सुयाल एवं पाली गावं की सुनीता देवी, सरोजनी देवी आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम समन्वयक ई. कीर्ति कुमारी (खाद्य प्रसंस्करण विशेषज्ञ) ने बताया कि कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं को स्थानीय फसलों से तैयार किये जाने वाले पौष्टिक उत्पादों की जानकारी दी। साथ ही आजीविका परियोजना के सदस्यों व समूहों में खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण भी दिया गया। जिसमें महिलाओं को लहसुन का अचार, सेब का जैम व चटनी का बनाने की विधि का प्रशिक्षण दिया गया।
इस मौके पर हेंवलवाणी रोडियो में आयोजित चर्चा के माध्यम से महिलाओं को पोषण हेतु जागरूक किया गया। कार्यक्रम में आजीविका परियोजना के कर्मचारी संगीता जोशी, रन्जू उपाध्याय, कुलदीप रांगड, दीपक रमोला, कृषि विभाग की सहायक कृषि अधिकारी, शशीबाला व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बबली देवी, लक्षमी सुयाल आदि की भागीदारी रही। कार्यक्रम में कुल 150 महिलाओं को लाभान्वित किया गया जिसमें लक्ष्मी देवी, गुड्डी देवी, कमला देवी आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह था कि मां-नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं दुधारू महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु उचित पोषण के महत्त के विषय में जन जागरूकता पैदा की जाए। आज के स्वस्थ बच्चे व मां कल का स्वस्थ भारत हंै। इसके बेहतर स्वास्थ्य का देश के विकास, उत्पादकता तथा आर्थिक उन्नति पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार उत्तराखण्ड में 42 प्रतिशत महिलाएं कुपोषित हैं, जिसके परिणास्वरूप एक कुपोषित बच्चा जन्म लेता है।
नया उत्तराखंड सुपोषित उत्तराखंड को मिली सफलता
कृषि विज्ञान केन्द्र, वानिकी महाविद्यालय एवं एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना की ओर से 27 सितंबर को राष्ट्रीय पोषण दिवस ‘नया उत्तराखण्ड सुपोषित उत्तराखण्ड’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आजीविका परियोजना, टिहरी गढ़वाल व कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा निर्मित महिलाओं ने पोषण प्रदर्शनी में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में टिहरी के मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगांई बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। प्रदर्शनी में महिलाओं द्वारा उत्तराखण्ड की स्थानीय फसलें जैसे मंडुवा, झंगोरा, चौलाई आदि से निर्मित पौष्टिक जैसे अर्से, रोटाना, मंडुवे की नमकीन, मिठाई आदि का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता पो. एसके गुप्ता द्वारा अतिथियों का सम्मान किया गया व महिलाओं को कुपोषण के विभिन्न पहलुओं से जागरूक किया गया।
कार्यक्रम समन्वयक ई. कीर्ति कुमारी ने बताया कि महिलाओं को पोषक तत्व, स्तनपान, राष्ट्रीय पोषण मिशन, एनीमिया आदि की जानकारी दी। प्र्रवक्ता व अतिथि के रूप में विजय जड़धारी ने महिलाओं के स्थानीय फसलों को अपने दैनिक जीवन में सम्मिलित करने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी उत्तराखण्डी परम्परा को बचाए रखना होगा और स्थानीय फसलों को बढ़ावा देना होगा।
मुख्य अतिथि आशीष भटगांई ने महिलाओं को पोषाण के साथ शपथ दिलाते हुए कहा कि हमें अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए अपने बच्चों को कुपोषण से बचाना होगा और सरकार द्वारा लिया गया संकल्प, जिसमें कुपोषण दर को 2022 तक 38 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक करने में सभी विभागों को साथ मिलकर काम करना होगा। साथ ही सरकार का दायित्व न समझकर जन आंदोलन की तरह इस मिशन पर कार्य करना होगा। कार्यक्रम में वानिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त निदेशक प्रसार डा. अरविन्द बिजल्वाण व डा. अमोल वशिष्ठ ने विश्वविद्यालय के कुपोषण हेतु प्रसार एवं शोध गतिविधियों से अवगत कराया।
इस अवसर पर आजीविका परियोजना द्वारा निर्मित ‘उत्तराखण्ड रसाण’ नामक पुस्तक व बारह अनाज पोटर का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम में लगभग 600 महिलाओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में टि0ग0 के जिला कार्यक्रम अधिकारी विक्रम पंवार, डा. आलोक येवले, कु0 शिखा, डा0 रचा आदि उपस्थित थे।