
प्रमोद कुमार डोभाल
पर्वतजन के संभ्रांत पाठक वर्ष 2009 का वह वाकिया नहीं भूले होंगे, जब एक लघु सिंचाई विभाग के इंजीनियर अधिशासी अभियंता रविंद्र प्रसाद के बिस्तर के नीचे से सतर्कता विभाग ने 54 लाख रुपये बरामद किए थे। इस इंजीनियर को सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। उसके बाद इस प्रकरण को सभी भूल गए।
असली खेल फिर शुरू हुआ। इस अभियंता का कोर्ट में केस कमजोर कर दिया गया। चार्जशीट समय पर दाखिल नहीं हो पाई और इसे बहाल कर दिया गया। वर्तमान में यह इंजीनियर देहरादून में शान से नौकरी कर रहा है। और अब इसके केस वापसी की तैयारी है। आइए इस पर विस्तार से एक नजर डालते हैं।

लघु सिंचाई खंड चमोली में कार्यरत रहने के दौरान उत्तराखंड शासन के सतर्कता विभाग द्वारा जारी निर्देश के बाद 19 जून 2008 को रविंद्र प्रसाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
12 फरवरी 2009 को तलाशी वारंट जारी कराया गया। 17 फरवरी को रविंद्र प्रसाद के घर की तलाशी ली गई। इस दौरान उसके पास से 5470000 नगद, ढाई लाख से अधिक के जेवरात मिले थे। 18 फरवरी को रविंद्र प्रसाद को गिरफ्तार किया गया और 24 फरवरी को इसे सस्पेंड कर दिया गया था।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक मुकदमा उच्च न्यायालय में चल रहा है। तथा एक मुकदमा विशेष जज भ्रष्टाचार निवारण देहरादून के न्यायालय में विचाराधीन है। अब यह दबाव बनाया जा रहा है कि यह अभियोजन वापस ले लिया जाए।

इसके अलावा उनके आवास पर बिस्तर के नीचे छुपाकर रखे हुए 5470000 रूपय मिले थे। इसके अलावा उनके पास पत्नी के नाम पर किच्छा में पेट्रोल पंप। आधा एकड़ जमीन के साथ ही, आधा बीघा भूमि विजय पार्क एक्सटेंशन में बना भवन, तथा जीएमएस रोड पर दो प्लॉट भी पाए गए थे।

इस समिति में तत्कालीन लघु सिंचाई के मुख्य अभियंता मोहम्मद उमर संयुक्त सचिव न्याय धर्मेंद्र अधिकारी तत्कालीन अपर सचिव कृषि तथा विशेष आमंत्रित सदस्य सुरेंद्र सिंह रावत और लघु सिंचाई सचिव ओमप्रकाश शामिल थे।


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