जयप्रकाश नौगाईं
पौड़ी। जिला प्लान पौड़ी की बैठक में उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई, जब बैठक शुरू होते ही पौड़ी की सीडीओ ने पत्रकारों को बाहर जाने को कह दिया। इससे कवरेज करने के लिए पहुंची पौड़ी के तमाम पत्रकार आक्रोशित हो गए और बैठक में किसी गड़बड़झालेे की आशंका जताने लगे। मंगलवार को पौड़ी में जिला प्लान की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को छोड़कर मंत्री सुबोध उनियाल हरक सिंह रावत धन सिंह रावत समेत कई विधायक शामिल होने पहुंचे थे। जैसे ही बैठक शुरू हुई पौड़ी की मुख्य विकास अधिकारी दीप्ति सिंह ने कवरेज करने के लिए पहुंचे पत्रकारों को वहां से बाहर जाने के लिए कह दिया सीडीओ का इतना कहना था कि पत्रकार आक्रोशित हो गए और किसी गड़बड़झाले की आशंका व्यक्त करने लगे।
पत्रकारों का कहना था कि यदि सीडीओ को कोई डर नहीं होता या किसी चीज को छुपाना नहीं चाह रही होती तो उन्हें कवरेज करने से इंकार नहीं किया जाना था। गुस्से में सारे पत्रकार उठकर बाहर चले गए। हालांकि जिले के प्रभारी मंत्री सुबोध उनियाल ने पत्रकारों को रोकने का जरूर प्रयास किया, लेकिन पत्रकार नहींं माने और बाहर चले गए कि यदि उपस्थिति से सीडीईओ दीप्ति सिंह को दिक्कत हो रही है तो हम यहां नही रहेंगे। बाद में जिलाधिकारी ने डीपीआरओ को भेजा, लेकिन पत्रकार फिर भी नही गए। घटना के बाद से सभी पत्रकारों में भारी रोष है। आरोप है कि जिला प्लान की बैठक मे सदस्यों की कोई भी योजना नही रखी गयी और अपनी ही मनमानी चलाई गई।पत्रकारों के बैठक का बहिष्कार करने के बाद जब सीडीओ दीप्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह बाहर आई और पत्रकारोंं से माफी मांगी।
सवाल यह है कि जिस बैठक में तमाम मंत्री विधायक और अन्य विभागीय कर्मचारी भाग ले रहे थे क्या उस बैठक की कवरेज करने का पत्रकारों को अधिकार नहीं है और यदि अधिकार है तो सीडीओ दीप्ति को पत्रकारों के सामने ऐसी कौन सी बात थी जिसे वह कहने में असहज महसूस कर रही थी?
बहरहाल अधिकारियों की मनमानी का यह पहला मामला नहीं है। समय-समय पर अधिकारियों की मनमर्जी सामने आती रहती हैं और जिसका दुष्प्रभाव आम जनता पर ही पड़ता है। सवाल यह भी है कि यदि इस महत्वपूर्ण बैठक में किसी भी सदस्यों की यदि कोई भी योजना शामिल ही नहीं की जानी थी तो इस बैठक का मतलब क्या रह जाता है?