प्रसाद से बदलेगी गांव की महिलाओं की किस्मत ।बद्रीनाथ मे सफल रहा है यह प्रयोग। दो महीने में महिलाओं ने बेचा 19 लाख का प्रसाद।
पूरे राज्य मे 625 मंदिरों मे महिला समूह द्वारा तैयार किया गया प्रसाद बेचा गया।
किसानों की आय दोगुना करने, कृषि के अलावा अन्य साधनों को उनकी आमदनी से जोड़ने, व महिला सशक्तीकरण के संकल्प को पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने मंदिरों के प्रसाद को जरिया बनाया है। इससे स्थानीय फसलों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है।
विश्वप्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम में 3 महिला स्वयंसहायता समूहों ने स्थानीय उत्पादों, मंडुआ, कुट्टू चौलाई से प्रसाद तैयार किया और स्थानीय रेशों जैसे कि बांस और रिंगाल से बनी टोकरी में इसकी पैकेजिंग की।
10-10 महिलाओं के तीन समूहों ने बद्रीनाथ धाम में मात्र दो महीने में स्थानीय उत्पादों से निर्मित 19 लाख रुपए का ऑर्गैनिक प्रसाद बेचा। प्रसाद की इनपुट लागत 10 लाख रुपए रही और 9 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ। इस तरह समूह की प्रत्येक महिला को 30 हजार रुपए की आमदनी हुई।
इस प्रयोग की सफलता के बाद उत्तराखंड के 625 मंदिरों में स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद बेचा जाएगा। उत्तराखंड में हर वर्ष 3 करोड़ श्रद्धालु आते हैं, इनमें से मात्र 80 लाख श्रद्धालुओं को 100-100 रु. का प्रसाद बेचा जाए तो महिला समूहों को 80 करोड़ की आय हो सकती है।
इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन सकेंगी, महिला समूहों और किसानों को उनके प्रोडक्ट का उनके घर पर ही अच्छा मूल्य मिल पाएगा और स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिल सकेगा।