यूपीसीएल में घपले-घोटालों की जैसे बाढ़ सी आ गई हैै। इस बार काशीपुर डिवीजन में १० लाख केे गबन का मामला उजागर हुआ है। इससे निगम कर्मचारियों के बीच हड़कंप की स्थिति है।
जानकारी के अनुसार ताजा मामला विद्युत वितरण खंड काशीपुर में १० लाख रुपए की हेराफेरी की बात सामने आई है। बताया गया कि काशीपुर में प्रभारी अवर अभियंता ने उपभोक्ताओं द्वारा जमा कराए बिल का भुगतान निगम के खाते में जमा ही नहीं करवाए। यह मामला पकड़ में नहीं आता, यदि वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर रसीदों की गिनती नहीं की जाती। जब इन रसीद बुकों की गिनती की जा रही थी तो इसमें दो रसीद बुक गायब पाई गई। इससे काशीपुर डिवीजन में निर्दोष कर्मचारियों के हाथ-पांव फूल गए और कर्मचारी आपस में बगलें झांकने लगे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गायब दोनों रसीद बुक अवर अभियंता के नाम आवंटित की गई थी, लेकिन कार्रवाई के बजाय विभागीय उच्चाधिकारी इस मामले को रफा-दफा करने की गोटियां भिड़ाने में जुटे हुए हैं।
काशीपुर डिवीजन के अधिशासी अभियंता विवेक कांडपाल की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। यही नहीं प्रकार के गड़बड़झाले से ऊर्जा निगम की साख पर भी सवाल उठने लगे हैं। जानकारी मिली है कि मामले का खुलासा होते ही काशीपुर डिवीजन के अधिशासी अभियंता नवीन कांडपाल का निगम प्रबंधन ने तत्काल रामनगर डिवीजन में ट्रांसफर कर दिया है। इससे जाहिर होता है कि मामले को लटकाने और अनावश्यक देरी करने के उद्देश्य से ही उनका ट्रांसफर किया गया होगा। इसके अलावा अभियंता विजय कुमार सकारिया और कन्हैयसा जी मिश्रा का भी ट्रांसफर किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले जसपुर डिवीजन में भी ४७ लाख रुपए के गड़बड़झाले का मामला सामने आया था। तभी से ॅसंबंधित निगम कार्यालयों पर संदेह और गहराता जा रहा है।
इस मामले में उत्तराखंड पवर कारपोरेशन लिमिटेड देहरादून के निदेशक (ऑपरेशन) अतुल अग्रवाल कहते हैं कि यह मामला उन तक अभी नहीं पहुंचा है। काशीपुर डिवीजन में गबन की शिकायत नहीं मिली है। इस संबंध में मामले की तह तक जाने के निर्देश दिए गए हैं। यदि यह शिकायत सही पाई जाती है तो दोषी अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।