देहरादून की पहचान एक सुंदर और साफ-सुथरे शहर के रूप में गढऩे में सचिव डा. आर. मीनाक्षी सुंदरम की महत्वपूर्ण भूमिका है। आने वाले वर्षों में उनके द्वारा संचालित कई प्रोजेक्ट देहरादून को अत्याधुनिक शहर के रूप में स्थापित करेंगे।
पर्वतजन ब्यूरो
सरकार किसी की भी रही हो, वरिष्ठ नौकरशाह मीनाक्षी सुंदरम सबके चहेते रहे हैं। संयोग देखिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम करने वाले नौकरशाहों में सुंदरम अग्रिम पंक्ति में रहे हैं। चाहे स्मार्ट सिटी हो या मैट्रो रेल की तैयारी, इन सबमें सुंदरम की भूमिका सबसे अहम रही है। तीन वर्ष से भी अधिक समय से एमडीडीए और आवास सचिव का जिम्मा संभाल रहे सुंदरम से नई सरकार के आगाज के साथ नौकरशाही में हुए पहले ही फेरबदल में यह विभाग वापस ले लिए गए। इसके पीछे कारण चाहे जो भी रहे हों, किंतु वह तेज दिमाग, चुस्त और तीव्र कार्यशैली के लिए विशेष पहचान रखते हैं। रिवर फ्रंट डेवलपमेंट से लेकर शहर की सड़कों को अतिक्रमण और जाम से मुक्त कराने के लिए किए जा रहे उनके प्रयास धरातल पर दिखने लगे हैं।
स्मार्ट सिटी के लिए उनकी मेहनत अब रंग लाएगी। नई सरकार में देहरादून को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने की संभावनाएं काफी प्रबल हो गई हैं। साथ ही उनके नेतृत्व में मैट्रो रेल, रिवर फ्रंट डेवलपमेंट सरीखे प्रोजेक्ट अपने शुरुआती चरण में हैं।
वर्ष २००१ में आईएएस सुंदरम ने टिहरी से बतौर असिस्टेंट कलेक्टर ज्वाइन किया और उसके बाद विभिन्न जिलों में जिलाधिकारी के पदों पर रहने के बाद वर्तमान में आवास सचिव और एमडीडीए के उपाध्यक्ष के साथ-साथ उत्तराखंड नगर विकास अभिकरण (ऊडा) के सीईओ पद के साथ ही शासन में विभिन्न पदभार संभालते रहे हैं।
यूं तो बचपन से ही डा. आर. मीनाक्षी सुंदरम डॉक्टर बनना चाहते थे, किंतु कालान्तर में आईएएस सेवाओं के द्वारा विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाना ही उन्हें रास आया। उत्तराखंड में विकास कार्यों के लिए भूमि की कमी पूरी करने के लिए उन्होंने पंजाब और हरियाणा की तरह ही लैंड बैंक बनाने की एक ठोस कार्ययोजना बनाई है। भविष्य में इसके बेहतर परिणाम दिखाई देंगे। देहरादून के मास्टर प्लान के साथ ही ऊडा के अंतर्गत किए जा रहे कार्य भी देहरादून सहित अन्य शहरों को भविष्य का एक बेहतर शहर बनाने के लिए मददगार साबित होंगे।
रिवर फ्रंट डेवलपमेंट भी मीनाक्षी सुंदरम द्वारा शुरू की गई चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। इसके अंतर्गत एक ओर बिंदाल और रिस्पना नदियों को अतिक्रमणमुक्त किया जा रहा है तो दूसरी ओर इनके किनारों पर सुगम यातायात के लिए बेहतरीन सड़कें, बिजनेस सेंटर आदि बनाए जाने की योजनाएं हैं। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत नदियों के किनारों पर अतिक्रमण करके बसे गरीब परिवारों को अन्यत्र ईडब्ल्यूएस आवास की सुविधा देने के साथ ही शहर में विभिन्न स्थानों पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किए जा रहे हैं।
यह मीनाक्षी सुंदरम का ही गुडवर्क था कि एमडीडीए को इसकी पुरानी नक्शा पास करने वाली छवि से बाहर निकालकर एक व्यावसायिक और कल्याणकारी संस्था में बदल दिया है। वर्तमान में एमडीडीए विभिन्न आय वर्गों के लिए कई आवासीय योजनाओं का संचालन कर रहा है। इससे लोगों को कम कीमत पर बेहतर गुणवत्ता वाले आवास तो उपलब्ध हुए ही, साथ ही निजी बिल्डरों की मनमानी पर भी रोक लगी है।
उत्तराखंड में विभिन्न विपरीत परिस्थितियों में डा. सुंदरम ने स्मार्ट सिटी को लेकर विभिन्न चरणों में जितनी मेहनत की, वह वाकई काबिले तारीफ है। इसी का परिणाम है कि आगामी १५ अप्रैल तक भारत सरकार द्वारा चुने जाने वाले २३ शहरों में देहरादून के चयन की भी प्रबल संभावनाएं बन गई हैं।
उत्तराखंड में अप्रैल से शुरू होने वाला मैट्रो रेल प्रोजेक्ट भी श्री सुंदरम के खामोश परिश्रम का ही परिणाम है। मैट्रो रेल परियोजना के तहत देहरादून, हरिद्वार, रुड़की और ऋषिकेश को आपस में जोड़ा जाएगा। इस पर अप्रैल से काम तीव्र गति से आगे बढ़ेगा।
डा. सुंदरम सरकारी कामकाज को पूरी तरह से डिजिटलाइज करने के भी पक्षधर हैं। उन्होंने एमडीडीए में अधिकांश सिस्टम को ऑनलाइन किया हुआ है। अब उनका अगला लक्ष्य सचिवालय के कामकाज को ई-फाइलिंग सिस्टम से चलाने का है। फिलहाल शुरुआती चरण में सचिवालय प्रशासन के विभाग ने फाइल ट्रेकिंग सिस्टम को लागू करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।
कामकाज में इंटरनेट और सूचना तकनीकि के आधुनिक साधनों का उपयेाग करने के पक्षधर सुंदरम ने गुड गवर्नेंस के लिए आईआईएम से नागरिक केंद्रित कार्यशैली विकसित करने का करार किया है। इसके अलावा पशु धन के विकास के लिए इरमा जैसी विख्यात संस्थाओं की मदद से उत्तराखंड की किसान आधारित आर्थिकी के स्रोत विकसित कर रहे हैं। उद्यान उत्तराखंड में मजबूत आर्थिक आधार बन सकते हैं, इसके लिए उन्होंने हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड के फलों को विकसित करने और बेहतर मार्केट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यूएचपीएमसी का गठन कर दिया है। जल्दी ही उत्तराखंड के सेब आदि फलों के लिए एक बड़ा बाजार विकसित हो सकता है।
बैडमिंटन के शौकीन और तमिल गायक एसपी बालासुब्रमण्यम के मुरीद सुंदरम खामोशी से समाज के कई अनाथ बच्चों को भी विभिन्न प्रकार की मदद पहुंचाते रहते हैं। वर्तमान में डा. सुंदरम पशुपालन, मत्स्य विभाग में कई ऐसी आधारभूत विकास परियोजनाओं की शुरुआत करना चाहते हैं, जो आने वाले समय में उत्तराखंड को एक नई पहचान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।