सड़क के खिलाफ सड़क पर उतरे।कौन हारा,कौन जीता
कौन हारा और किसकी हुई जीत?
12 वर्षो से लंबित डांग- पोखरी सड़क निर्माण केंद सरकार द्वरा निरस्त किये जाने का मामला।
क्या खुशफहमी में है डांग के ग्रामीण ?
गिरीश गैरोला
विगत 12 वर्षों से सड़क निर्माण और विरोध को लेकर उत्तरकाशी मुख्यालय से लगे डांग और पोखरी गांव के ग्रामीणों के लिए नाक का सवाल बन गयी डांग – पोखरी सड़क निर्माण के निरस्त होने की समाचार पत्रों से मिली जानकारी से खुश डांग के ग्रामीणों ने भले ही इसे अपनी जीत करार देते हुए अपना 107 दिन पुराना धरना उठाने की घोषणा कर दी हो किन्तु हकीकत ये है कि केंद्र ने भले ही इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया हो किन्तु राज्य सरकार को दूसरा प्रस्ताव भेजने की छूट भी दी है। डीएम कि माने तो एनजीटी में चल रहे मामले के निस्तारण होते ही निम बैंड से ही दूसरे प्रस्ताव को केंद सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
12 वर्षो से ग्रीन चिपको आंदोलन के बैनर तले सड़क निर्माण के नाम पर बड़ी संख्या में पेड़ों को काटकर जंगल समाप्त करने का आरोप लगाते हुए आंदोलित डांग के ग्रामीणों ने भारत सरकार के उस आदेश का स्वागत करते हुए 107 दिनों से निम बैंड पर चल रहे आंदोलन/धरने को स्थगित कर दिया है, जिसमे निम बैंड से पोखरी गांव तक जोड़ने वाली सड़क मार्ग के लिए किए गए वन भूमि ट्रांसफर को निरस्त कर दिया गया है। आंदोलनकारी नागेंद्र जगूड़ी और अभिषेक जगूड़ी ने बताया कि पूर्व में डांग से पोखरी के नाम से स्वीकृत 600 मीटर सड़क मार्ग को लोक निर्माण विभाग जानबूझकर भू माफियाओं से मिलकर 5 किमी दूर निम बैंड से शुरु कर पोखरी तक पहुंचाना चाहता है। इस अलाइनमेंट में कटने वाले सैकड़ों पेड़ों की रक्षा के लिए डांग के ग्रामीण धरना आंदोलन के साथ एनजीटी की शरण मे भी गए थे। इस बीच डांग के ग्रामीणों ने डांग से पोखरी गांव तक महज 600 मीटर दूरी की सड़क खुद के संसाधनों और श्रमदान से तैयार कर वहाँ ट्रक और आल्टो कार पास करवा कर विभाग से इस पर ब्रेस्ट वाल लगाकर ग्रामीणों के उपयोग के लिए देने की मांग की। इस सड़क पर डांग के ग्रामीणों ने खुद अपनी जमीन भी बिना किसी मुआवजा की मांग के सड़क निर्माण के लिए दे दी। किन्तु लोक निर्माण विभाग ने इस अलाईमेंट को अमान्य करार देते हुए निम बैंड से पोखरी तक सड़क निर्माण का प्रस्ताव बनाया, जिस पर 12 वर्षो की लड़ाई के बाद भारत सरकार के वन मंत्रालय ने निरस्त कर दिया।
केंद्र के निर्णय से गदगद ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए अपना 107 दिनों का धरना स्थगित कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि समाचार पत्रों के माध्यम से उन्हें यह जानकारी मिली है। डांग गांव की 72 वर्षीय खुली देवी ने भी केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया है।
गौरतलब है कि 107 दिनों तक बुजुर्ग ग्रामीण महिला- पुरुष लगातार निम बैंड से न सिर्फ आंदोलन कर रहे थे बल्कि इलाके की चौकसी भी कर रहे थे । इस दौरान ग्रामीणों ने पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांध कर इन्हें काटे जाने के विरोध में चिपको आन्दोलन भी चलाया था।
इधर डीएम डॉ आशीष चौहान ने इस मार्ग में लैंड ट्रांसफर निरस्त होने की पुष्टि की है। किंतु उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने यह भी बताया है कि राज्य सरकार ज़रुरत होने पर सभी संभव अन्य सड़क निर्माण प्रस्ताव बनाकर फिर से लैंड ट्रांसफर के लिए भेज सकती है। क्योंकि मामला अभी एनजीटी में भी लंबित है। लिहाजा फिलहाल निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में चला गया है। दूसरी तरफ मुख्यालय के निकट अपने गांव तक सड़क निर्माण की मांग को लेकर पोखरी के ग्रामीण भी कलेक्ट्रेट में धरने पर डटे हैं । डीएम द्वारा उक्त प्रकरण के निरस्त होने और नए प्रस्ताव भेजे जाने तक धरना समाप्त करने के सुझाव को पोखरी के ग्रामीणों ने नकार दिया है और सड़क निर्माण शुरु होने तक धरने पर डटे रहने की चेतावनी दी है। डीएम आशीष कुमार ने बताया कि डांग पोखरी के लिए ग्रामीणों द्वारा श्रमदान से तैयार किया गया मार्ग मानकों के अनुरूप नही है। तीखा ढ़ाल और 9 बैंड होने के चलते बरसात में यह सड़क खतरनाक हो सकती है, लिहाजा निम बैंड से ही पूर्व में किये गए दूसरे सर्वे, जिस पर कटने वाले पेड़ों की संख्या कम होगी, से प्रस्ताव भेजा जाएगा। किन्तु इस बात पर पोखरी के ग्रामीण अपना धरना उठाने को राजी नही है। हालांकि डीएम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि मुख्यालय के निकट के पोखरी गांव के लिए आधारभूत सुविधा के रूप में सड़क पहुंचाना जिला प्रशासन की प्राथमिकता में है।
- डांग के नागेंद्र जगूड़ी ने आरोप लगाया कि निम बैंड से सड़क मार्ग के बीच मे पड़ने वाली समतल जमीन पर कई राजनैतिक भू माफियों की नजर है। यही वजह है कि अपनी पूरी ताकत से वे 5 किमी फेर से जंगल को काटते हुए 25 परिवारों के लिए सड़क निर्माण पर अड़े हुए हैं।