• Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • वेल्थ
  • हेल्थ
  • मौसम
  • ऑटो
  • टेक
  • मेक मनी
  • संपर्क करें
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

भ्रष्टअभियंता पार्ट 2: रिश्वतखोर अभियंता को एक मंत्री ने बचाया, दूसरे मुकदमा वापसी को तैयार!

in पर्वतजन
0
1
ShareShareShare

Related posts

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के ईएनटी सर्जन ने पॉच साल के बच्चे की श्वास नली से निकाली सीटी

March 28, 2023
35

श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक सप्ताह का आयोजन

March 28, 2023
19

भ्रष्ट अभियंताओं की दूसरी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह रिश्वत लेते हुए पकड़े गए अभियंता रिश्वत देकर छूट गए!

 विभागीय मंत्री ने उन पर मुकदमा चलाने की ही अनुमति नहीं दी। अब जीरो टॉलरेंस वाली सरकार मे  उनकी मुकदमे वापसी की तैयारी की जा रही हैं।
 उत्तराखंड में  रिश्वत लेते जेल जाने वाला और रिश्वत देकर  छूट जाने वाला यह मामला उत्तराखंड में  जल संस्थान के भ्रष्ट अभियंता तथा वर्तमान में पौड़ी के महाप्रबंधक उत्तराखंड जल संस्थान के पद पर कार्य कर रहे जोखू राम गुप्ता उर्फ जेआर गुप्ता से संबंधित है।
 जे आर गुप्ता तत्कालीन अधीक्षण अभियंता उत्तराखंड जल संस्थान को सतर्कता विभाग नैनीताल की टीम ने ₹25000 की रिश्वत लेते 7 अगस्त 2013 को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
 सतर्कता विभाग ने गुप्ता को तत्काल जेल में डाल दिया। गुप्ता दो महीने भर जेल में रहा। इसके बाद सतर्कता विभाग ने गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा चलाए जाने के लिए सक्षम अधिकारियों से स्वीकृति दिलाने के लिए खूब हाथ पांव मारे लेकिन तत्कालीन पेयजल मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी ने गुप्ता पर मुकदमा चलाए जाने की अनुमति ही नहीं दी।
 बहुत दबाव डाले जाने पर निर्देश दिया कि यदि मुकदमा चलाना बहुत ही ज्यादा आवश्यक हो तो विभागीय जांच करा दो। अनुमति नहीं मिलने पर सतर्कता विभाग को हाई कोर्ट से मुकदमे मे शर्मिंदा होना पड़ा। और स्वीकृति नहीं मिलने पर 60 दिनों के पश्चात श्री गुप्ता को न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त कर दिया गया।
 सतर्कता विभाग को विभागीय मंत्री और सरकार का कोई समर्थन न मिलने से उनका बहुत मनोबल गिरा तथा सतर्कता विभाग काफी दिनों तक सदमे मे रहा।विभाग के उच्च अधिकारियों का कहना था कि यदि सरकार को ऐसे ही हस्तक्षेप करना है तो इससे अच्छा तो विभाग ही खत्म कर दिया जाए।
 
बहरहाल दिखाने के लिए पेयजल विभाग ने विभागीय जांच का दिखावा करते हुए 13 मई 2015 को गुप्ता का निलंबन वापस ले लिया। विभागीय जांच का हवाला देते हुए गुप्ता ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका लगाई और 11 फरवरी 2015 को अपने मुकदमे के विरुद्ध स्टे ले लिया। तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक जल संस्थान ने विभागीय जांच के नाम पर और पेयजल मंत्री के अनुमोदन पर 7 जून 2016 को गुप्ता को दोषमुक्त करार देते हुए विभागीय जांच समाप्त कर दी।
इसके बाद गुप्ता ने इस मुकदमे की वापसी के लिए हाथ पांव मारने शुरू कर दिए। और वर्तमान सरकार में अपनी पत्नी सुषमा गुप्ता के माध्यम से वर्तमान पेयजल मंत्री पर दबाव डलवाना शुरू कर दिया।
 अभी यहां यह पेंच फंस गया कि जोखू राम गुप्ता के खिलाफ यह मुकदमा वापस लेने के लिए संस्तुति कौन करें!
 नई सरकार में ताजा स्थिति यह है कि जेआर गुप्ता की पत्नी सुषमा गुप्ता ने 15 अप्रैल 2017 को वर्तमान  पेयजल मंत्री को एक पत्र दिया। इसमें उन्होंने गुप्ता के विरुद्ध प्रचलित सतर्कता विभाग की जांच से संबंधित मुकदमे  को वापस लिए जाने का अनुरोध किया है। विभागीय मंत्री ने यह फाइल आगे बढ़ा दी है। वर्तमान में यह फाइल शासन में अटकी है। क्योंकि उच्च न्यायालय ने 11 फरवरी 2015 को अपने एक आदेश में मुकदमे को खत्म भी नहीं किया है और अग्रिम आदेशों तक अभियोजन की कार्यवाही को स्थगित रखा हुआ है।
 एक पेंच यह भी है कि फिलहाल कोई भी विभाग मुकदमे वापसी की स्वीकृति करके फंसना नहीं चाहता। इसलिए गुप्ता की यह फाइल गेंद की तरह सतर्कता विभाग और जल संस्थान के बीच में दौड़ रही है।
 जब इस विषय पर  प्रमुख सचिव  सतर्कता राधा रतूड़ी  से बात की गई और उनसे पूछा गया कि ऐसे कितने मामले हैं,  जिनमें  सतर्कता विभाग द्वारा ट्रैप किए जाने पर  मुकदमा चलाने की ही अनुमति नहीं मिली! उन्होंने ऐसे किसी भी मामले का संज्ञान होने से इंकार कर दिया। जब उन्हें जीआर गुप्ता  का प्रकरण बताया गया तो वह भी चौंक उठीं।
  उन्होंने तत्काल इस मामले को संज्ञान में लेने के लिए नोट कर दिया। उत्तराखंड शासन में भी सतर्कता विभाग के अन्य अधिकारियों को भी इस मामले का कोई संज्ञान नहीं है। तो फिर सवाल यह है कि यह फाइल शासन में चुपके चुपके किसके संरक्षण में  चल रही है ।
जल संस्थान का कहना है कि उन्होंने मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी। इसलिए वह मुकदमा वापस भी नहीं ले सकते। दूसरी ओर सतर्कता विभाग ने इस मामले में चुप्पी साधी हुई है। अब फिलहाल गेंद पेयजल मंत्री के पाले में है। देखना यह है कि मिस्टर क्लीन माने जाने वाले पेयजल मंत्री प्रकाश चंद्र पंत इस मामले का पूरा संज्ञान होते हुए भी क्या निर्णय लेते हैं!
प्रिय पाठकों! तो इस भ्रष्ट अभियंता पार्ट-2 में आपने पढ़ा कि रिश्वत लेते हुए पकड़े गए एक इंजीनियर को किस तरह से रिश्वत लेकर विभागीय मंत्री छोड़ देते हैं! और किस तरह से वह पाक साफ होकर प्रमोशन पाकर शान से विभाग की (नौकरी) बजाता है। अगली कड़ी में हम आपको बताएंगे कि किस तरह से विकास के लिए आया हुआ करोड़ों रुपया भ्रष्ट अभियंता और ठेकेदार की मिलीभगत से कागजों में ही रफा-दफा हो जाता है। यदि यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो हमारी हौसला अफजाई के लिए कमेंट और शेयर जरूर करें। आपके पास भी कोई जानकारी हो तो हमें मोबाइल नंबर 94120 56 112 पर प्रदान करें।
Previous Post

पौड़ी मे बाल साहित्य मेले की पहल

Next Post

बेरोजगारों पर भारी:- सरकारी खुमारी  

Next Post

बेरोजगारों पर भारी:- सरकारी खुमारी  

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Recent News

    • एक्सक्लूसिव खुलासा : अफसर जी-20 में व्यस्त , माफिया खनन में मस्त । सुने ऑडियो, देखें वीडियो
    • अजब-गजब : पति के आने पर पत्नी ने प्रेमी को बनाया लुटेरा । जमकर हुआ हंगामा
    • बड़ी खबर : अवैध खड़िया खनन मामलें में हाई कोर्ट सख्त। सरकार, डी.एम. और निदेशक खनन से मांगा जवाब

    Category

    • उत्तराखंड
    • पर्वतजन
    • मौसम
    • वेल्थ
    • सरकारी नौकरी
    • हेल्थ
    • Contact
    • Privacy Policy
    • Terms and Conditions

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    No Result
    View All Result
    • Home
    • उत्तराखंड
    • सरकारी नौकरी
    • वेल्थ
    • हेल्थ
    • मौसम
    • ऑटो
    • टेक
    • मेक मनी
    • संपर्क करें

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    error: Content is protected !!