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महाराज के समर्थकों से पिटे हरिद्वार के मेयर!

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मेयर मनोज गर्ग तथा शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के समर्थकों से भिड़े पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के समर्थक
आश्रम के सामने ही हुई दोनों पक्षों की भिड़ंत
मारपीट ने लिया राजनीतिक रंग

आज  सुबह हरिद्वार में बारिश के कारण हुए जलभराव का जायजा लेने के लिए निकले हरिद्वार के मेयर मनोज गर्ग पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के हाथों पिट गए। हरिद्वार में जलभराव की शिकायतों को लेकर मेयर मनोज गर्ग को जब यह बताया गया कि यह जलभराव सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम के कारण हो रहा है तो उन्होंने प्रेमनगर आश्रम के बाहर के टिन शेड को तुड़वा दिया। इस बीच मौके पर मौजूद लोगों ने और भी अधिक अतिक्रमण हटाने की बात कही तो नगर निगम ने सतपाल महाराज के आश्रम की दीवार भी तोड़ दी। आश्रम के लोगों ने इसका विरोध किया तथा धक्का-मुक्की और मारपीट शुरू कर दी। महाराज के समर्थक आश्रम से लाठियां निकाल लाए और मौके पर मौजूद मेयर तथा शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के समर्थकों को पीट दिया।
इस दौरान मेयर मनोज गर्ग की भी पिटाई कर दी गई। मौके के मौजूद पुलिस ने लाठीचार्ज करके मारपीट को थामा और इस बीच सिटी मजिस्ट्रेट जयभारत सिंह ने किसी तरह चोटिल मेयर को बचाकर अस्पताल पहुंचाया। दोनों पक्षों में लाठीचार्ज और पथराव के कारण आधे दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।
सतपाल महाराज के आश्रम के बगल में स्थित खन्नानगर की सड़कों पर जलभराव के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। मेयर तथा मदन कौशिक के समर्थकों का कहना था कि सतपाल महाराज के आश्रम ने नाली पर भी कब्जा किया हुआ है, इसलिए पानी का निकास रुक गया और आस-पास के इलाके में घुटनों तक जलभराव हो गया। फिलहाल मदन कौशिक तथा मेयर के समर्थक महाराज समर्थकों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर धरने-प्रदर्शन पर उतर आए हैं। हरिद्वार में महाराज के समर्थकों की अधिक संख्या और आश्रम के चलते पहले भी सतपाल महाराज के हरिद्वार से सांसद का चुनाव लडऩे की खबरें गाहे-बगाहे आती रही हैं। मदन कौशिक भी सांसद का चुनाव लडऩे के प्रबल दावेदार रहे हैं। यही कारण है कि यह मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। आने वाले समय में यह झगड़ा हरिद्वार की सियासत में वर्चस्व की लड़ाई में भी बदल सकता है।

मेयर,मंत्री और मारपीट के मायने!

कुमार दुष्यंत/हरिद्वार

हरिद्वार के मेयर और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के समर्थकों के बीच हुई मारपीट को लेकर हर कोई भोचक्का है।लोगों को इस बात पर आश्चर्य है कि आखिर सत्तारूढ़ दल के ही दो मंत्रियों के समर्थक आपस में ही क्यों गुत्थम गुत्था हो गये? लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह महज मेयर के द्वारा बारिश का पानी निकालने के लिए महाराज के प्रेमनगर आश्रम की दीवार तोडने भर का ही विवाद नहीं है।बल्कि यह प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर दो नंबर पर बने रहने का भी संघर्ष है।यह इस बात का भी परिचायक है कि अन्य दलों से माइग्रेट कर भाजपाइ बने नेता भाजपा में अब भी पूरी तरह स्वीकार्य नहीं हैं।
मेयर मनोज गर्ग न केवल शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के खासमखास हैं।बल्कि मेयर के राजनीतिक गुरु भी हैं।इस नाते वह कभी भी मंत्री को परेशानी में डालने वाला कोई कदम नही उठा सकते।दूसरी बात यह भी है कि बारिश का पानी निकालने की कोशिशों में जुटे मेयर पर हमले का निर्णय आश्रम के कर्मचारी अपने स्तर पर नहीं कर सकते।इसलिए इस पूरे विवाद को प्रदेश में सत्तारुढ़ दल की राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
संघ की पसंद पर सूबे के मुखिया बने त्रिवेन्द्र रावत अभी तक औसत मुख्यमंत्री ही साबित हुए हैं।सत्तर में से सत्तावन सीटें हासिल करने वाली भाजपा पर इस बात का मनोवैज्ञानिक दबाव है कि इस भारी-भरकम जनमत के बाद प्रदेश में उसका काम भी विशेष होना चाहिए।यह कसमसाहट भाजपाइयों को बैचैन किये हुए है।लेकिन संघ की इच्छा के बगैर मुख्यमंत्री को बदलने का निर्णय नहीं हो सकता।इसके बावजूद बदलाव की उम्मीदें कायम हैं।
मदन कौशिक वर्तमान में न केवल कैबिनेट के सबसे सक्रिय मंत्री हैं।बल्कि वह तेजतर्रार भी हैं व सरकार के प्रवक्ता भी हैं।हरिद्वार से लगातार चौथी बार जीतकर आना भी उन्हें संगठन में मजबूत बना रहा है।दूसरी ओर सतपाल महाराज अपनी वरिष्ठता के आधार पर अपनी संभावनाएं संजोए बैठे हैं।यह दोनों ही मंत्री हाल में दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भेंट कर चुके हैं।मदन कौशिक जहां संघ नेताओं के संपर्क में हैं तो वहीं सतपाल महाराज की अमित शाह से करीबियां किसी से छिपी नहीं हैं।
फिलहाल मारपीट में घायल मेयर के सर में छह टांके हैं।उनके समर्थकों ने सतपाल महाराज को मंत्रीमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।

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