मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न विभागों को कार्यवाही के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
यह निर्देश सभी जिलाधिकारी मंडलायुक्त से लेकर विभाग अध्यक्ष और सचिव अपर मुख्य सचिव तक के लिए जारी किए गए हैं। इसके लिए कार्मिकों की तीन श्रेणियां बनाई गई हैं। पहली श्रेणी में ऐसे कार्मिक हैं, जिनकी पदस्थापना जनपद मुख्यालय से ग्राम स्तर तक किए जाने की व्यवस्था है। दूसरी श्रेणी में ऐसे कार्मिक हैं, जिनकी पदस्थापना मंडल स्तर तक किए जाने की व्यवस्था है और तीसरी श्रेणी में राज्य स्तरीय कार्मिक हैं, जिनकी पदस्थापना शासन तथा विभागाध्यक्ष द्वारा की जाती है। इसके अंतर्गत सभी विभागाध्यक्षों को सुगम तथा दुर्गम स्थलों का चिन्हांकन और उसके प्रकटीकरण के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
वार्षिक स्थानांतरण को तीन स्तर पर बांटा गया है। जिसमें पहला सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण है। दूसरी श्रेणी में दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण हैं और तीसरी श्रेणी में अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण को रखा गया है।
सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण के लिए ऐसे कार्मिकों को चुना जाएगा, जिनकी सुगम क्षेत्र में तैनाती की अवधि 4 वर्ष से अधिक हो चुकी है अथवा जिन की संपूर्ण सेवाकाल में सुगम क्षेत्र में कुल सेवा 10 वर्ष से अधिक हो चुकी है।
सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण के लिए उपलब्ध और संभावित रिक्तियों की गणना करने और पात्र कार्मिकों को सूचि तैयार करने के साथ ही विकल्प मांगे जाने के निर्देश दिए गए हैं। पात्र कार्मिकों से 10 दुर्गम स्थानों पर तैनाती के विकल्प मांगी जाएंगे।
अनुरोध के आधार पर ऐसे स्थानांतरण किए जाएंगे, जिसमें कोई व्यक्ति स्वेच्छा से सुगम से दुर्गम में जाना चाहे अथवा मानसिक रूप से विक्षिप्त लाचार बच्चों के माता-पिता द्वारा अनुरोध किया जाएगा। सेवारत पति पत्नी में जिन का इकलौता पुत्र या पुत्री विकलांग हो अथवा विधवा, विधुर ,परित्यक्ता, तलाकशुदा कार्मिक का अनुरोध भी प्राथमिकता से स्वीकार किया जाएगा।
सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने अपने स्तर पर स्थानांतरण समितियों का गठन करेंगे और शासन के निर्देशानुसार एक्ट को ध्यान में रखते हुए मानक बनाएंगे।