27 फरवरी 2018 को भारतीय जनता पार्टी की देहरादून इकाई की जिला कार्यकारिणी घोषित हुई। जिसमें तमाम पदों के साथ मोर्चा के अध्यक्ष भी तैनात किए गए। देहरादून के जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह पुंडीर ने जो सूची जारी की, उसमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की डोईवाला विधानसभा को फोकस किया गया। या कहें कि जिलाध्यक्ष देहरादून ने त्रिवेंद्र रावत के कहने पर कार्यकारिणी घोषित की।
डोईवाला विधानसभा के तमाम लोगों के बीच सबसे विवादित नाम भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बनाए गए विपुल मैंदोली का है। विपुल मैंदोली विगत कुछ समय से डोईवाला विधानसभा में त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए काम कर रहे हैं। ये वही विपुल मैंदोली हैं, जिन्होंने कुछ दिन पहले ही भाजपा में एंट्री की। विपुल मैंदोली को युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष बनाने पर भारतीय जनता पार्टी में कलह मची हुई है। ये वही विपुल मैंदोली हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्री श्री 1008 कहते हुए लिखा था
कि,- ‘नरेंद्र मोदी की ब्लैक मनी को व्हाइट करने की स्कीम काले धन को पार्टी फंड में जमा करने वाली है। यही नहीं विपुल मैंदोली ने नोटबंदी के निर्णय पर कहा था कि दो हजार रुपए का नया नोट तो ऐसा लग रहा है मानो चूरन के साथ आने वाला नोट हो।
विपुल मैंदोली ने तब भारतीय जनता पार्टी की कलई खोलते हुए बताया कि भाजपा में विधानसभा, लोकसभा के टिकट खरीदे जाते हैं। मैंदोली ने भारतीय जनता पार्टी की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े किए। साथ ही साथ यह भी लिखा कि नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का निर्णय बहुत बुरा है। आखिर में उन्होंने गरीबों की बददुआ से नरेंद्र मोदी के गिरने की भविष्यवाणी की थी।
सवाल यह है कि एक ओर डबल इंजन के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत सुबह से शाम तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का गुणगान कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को देहरादून जिले का युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष बना दिया है, जिसने नरेंद्र मोदी की नीतियों की पोल खोलकर रख दी।
प्रचंड बहुमत वाली सरकार का यह निर्णय भाजपा के भीतर कुछ दिनों से तूफान लाए हुए है। देखना है कि इस निर्णय पर मचे तूफान को अब भाजपा कैसे संभालती है!