नीरज उत्तराखंडी
जनपद उत्तरकाशी के सीमांत विकास खण्ड मोरी में दर्जनों ऐसे गाँव है जो सड़क मार्ग से जुड़ने की राह ताक रहे हैं ।
कुछ गाँव ऐसे है जहां सड़क मार्ग की सुविधा महज कल्पना है जैसे कलाप गाँव जहाँ के वाशिन्दें यातायात की सुविधा के अभाव में काला पानी जैसी सजा काटने को अभिशप्त है।
यही हाल गोविन्द वन्य जीव विहार के अन्तर्गत आने वाले सीमांत गाँव ढाटमीर, पवाणी, गंगाड और ओसला का है। वन कानून जहां विकास में बाधक बनें हुए हैं। लेकिन इस बीच आशा की एक किरण जगी है राज्य सरकार ने इन गाँव को सड़क से जोड़ने के लिए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा है।
लेकिन यहां तो स्वीकृति मार्गों पर भी काम कछुआ चाल से चल रहा है ऐसे में क्या उम्मीद की जा सकती है कि ये गाँव 2019 तक सडक मार्ग से जुड़ पायेंगे।
आलम यह है कि ब्लाक मुख्यालय से ही लगे आधा दर्जन से अधिक गाँव सड़क स्वीकृति के 22 वर्ष बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण न होने से यातायात की सुविधा से नहीं जुड़ पायें हैं।
मिली जानकारी के अनुसार मोरी ब्लाक में 1996 को16किमी मोरी-सालरा सड़क मार्ग को स्वीकृति मिली और 2000 से सड़क निर्माण का काम शुरू हुआ जिससे बागी, मौताड,देई, बैनोल राजुगांव ,बंदाऊ गाँव को सड़क मार्ग की सुविधा मिलेगी लेकिन 18वर्ष में केवल बागी और मौताड गाँव तक ही सड़क का निर्माण हो पाया है।कछुआ चाल से चल रहे सड़क निर्माण के इस कार्य से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है। सड़क मार्ग की राह ताक रहे ग्रामीणों का धैर्य अब जबाव देने लगा है और सड़क निर्माण में तेजी लाने की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ता उमेन्द्र का कहना है कि सड़क मार्ग न होने से सालरा गाँव के ग्रामीण 15किमी की पैदल दूरी नापने को मजबूर है क्षेत्र में नगदी फसलें सेब आलू राजमा खूब पैदा होते लेकिन यातायात की सुविधा न होने से सेब की पेटियां तथा अन्य नगदी फसलों को ग्रामीणों को 15 किमी दूर सडक मार्ग तक अपनी पीठ पर या फिर खच्चर पर ढोना पडता है जिससे लागत बहुत बढ जाती है। आपातकाल में गर्भवती महिलाओं और बीमार व्यक्ति को पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ता है।
मोरी-सालरा मोटर मार्ग से जुड़ने वाला अन्तिम गाँव सालरा है जो आस्था का भी केन्द्र है यहाँ कौल देवता प्राचीन मंदिर है यहाँ बारह माह धूनी जलती रहती है और कौल देवता को कोठीगाङ पट्टी के आराकोट बंगाण क्षेत्र के लोगों भी मानते हैं। सितम्बर महीने में यहाँ प्रति वर्ष यहाँ जागरा पर्व का भव्य आयोजन होता है लेकिन यातायात की सुविधा न होने से अधिकांश श्रद्धालु यहाँ नहीं पहुँच पाते हैं।
सालरा गाँव में लगभग 120 परिवार निवास करते हैं आबादी लगभग 1000हजार के आसपास। गाँव में प्राथमिक विद्यालय है लेकिन स्कूल भवन निर्माण अधर में होने से कक्षाएं खुले आंगन में संचालित की जा रही है ।गाँव में दूर संचार सेवा तथा स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है। गाँव में आजकल बिजली लाइन बिछाने का काम चल रहा है लेकिन मोरी से सालरा के बीच कोई बिजली लाइन न होने गाँव तक बिजली का उजाला कब तक पहुँचेगा कहना मुश्किल है। मोटर मार्ग निर्माण के संबंध में पीएमजीएसवाई के सहायक अभियंता सुभाष दौरियाल ने बताया कि मोरी-सालरा मोटर मार्ग निर्माण की प्रक्रिया चल रही हैं मौताड गाँव से सालरा गाँव तक 16 किमी लम्बाई तथा लगभग 9 करोड़ की लागत से बनने वाले इस मोटर मार्ग की डीपीआर सेक्शन हो चुकी अब वन भूमि स्थानान्तरण की प्रक्रिया चल रही है। बताते चले की मोरी से मौताड गाँव तक लोनिवि द्वारा सड़क का निर्माण किया है ।मौताड से सालरा तक अब पीएमजीएसवाई विभाग सड़क मार्ग का निर्माण करेगा।
बहरहाल मोरी ब्लाक के इन सीमांत और सुविधाओं के अभाव में पिछड़े गाँवों के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं की कमी कब तक यूं ही सालती रहेगी या फिर डब्बल इंजन की सरकार की संवेदना जागेगी इन सीमांत गाँव के वाशिन्दो के प्रति। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार और प्रशासन इन गाँवों की सुध लेगी।