हरक सिंह रावत से खौफ खाई सरकार ने हरक सिंह को गिराने के चक्कर मे खुद ही पार्टी के दामन पर छींटें गिरा दिए हैं। कोटद्वार मे भाजपा पार्षदों को पता ही नहीं लग रहा है कि दो भाजपा नेताओं की लड़ाई में उनके विशेषाधिकार का हनन हो रहा है। और प्रदेश में पहली बार विपक्ष अधिकारियों पर हावी है और सत्ता पक्ष के पार्षद असमंजस में हैं। भाजपा पार्षदों ने इस बैठक को विशेषाधिकार हनन का मुद्दा बनाते हुए राज्यपाल तक को ज्ञापन भेजा है। कोटद्वार में मेयर पति के निर्देशों पर अधिकारियों का लेफ्ट राइट करना इसका सबसे बड़ा सबूत है।
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कोटद्वार में भाजपा नेताओं की आपसी लड़ाई में कांग्रेसी नेता सुरेंद्र सिंह नेगी की पौ बारह हो रही है। विधानसभा सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष तथा विधायक प्रीतम सिंह ने भी सुरेंद्र सिंह नेगी की मदद करने के लिए हरक सिंह रावत की थोड़ा खिंचाई भी की किंतु हरक सिंह ने गेंद अपने पाले में आने ही नहीं दी। सीएम कार्यालय द्वारा उन्हीं सुरेंद्र सिंह को तवज्जो दिए जाने से भाजपा बैकफुट पर है।
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मेयर चुनाव में अतिक्रमणकारी होने के बावजूद जिस तरह निर्वाचन अधिकारी रामजी शरण शर्मा ने चुनाव आयोग की गरिमा ताक पर रख सूचना आयोग में प्रशासनिक अधिकारी द्वारा दिया गया बयान भी नकार दिया कि अभी तक अतिक्रमण नहीं हटाया गया है। मेयर प्रत्याशी हेमलता नेगी को चुनाव की दौड़ में रखने के लिए निर्वाचन अधिकारी द्वारा सूचना का अधिकार में प्रमाणित सूचनाओं और आयोग के आदेश को साक्ष्य की श्रेणी में मानने से भी इंकार कर दिया। इसके पीछे मुख्यमंत्री भवन का दबाव बताया जा रहा है जो येन केन प्रकारेण विभा चौहान को ना जीतने देने और हरक सिंह का प्रभाव कम करने देने के लिए सुरेंद्र सिंह नेगी को ही हरक सिंह रावत के खिलाफ मजबूत करने की कड़ी बताई जा रही है, क्यों कि कोई भी अधिकारी इतने स्पष्ट साक्ष्यों को बिना शासन की अनुमति ठुकरा देने का साहस नहीं रखता है।
कोटद्वार में हरक सिंह के खिलाफ कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी को खड़ा करने की मुख्यमंत्री भवन की मंशा का शक तब और भी बलवती हो गया है जब मेयर का शपथग्रहण भाजपा के अधिसंख्य विधायक होने के बावजूद पूरे कांग्रेसी रंग में रंगा गया और अधिकारीगण कांग्रेस नेता सुरेंद्र सिंह नेगी के आगे पीछे दौड़ते नजर आए।
ऐसा ही शक्तिप्रदर्शन तब परसों देखा गया जब खुद मेयर की कुर्सी के बगल में मेयर पति बैठ कर आयुक्त नगर निगम को निर्देश देते नजर आए। भले ही उपजिलाधिकारी किसी आधिकारिक बैठक का होने से इनकार कर रहे हों पर बता दें कि वहाँ हंगामा तब हुआ जब मीटिंग हाल में पत्रकार घुसने लगे और उनको अंदर नहीं जाने दिया गया। ऐसे में अधिकारी कैसे इसे अनाधिकारिक मीटिंग बता रहे हैं। और वीडियो में साफ दिख रहा है कि सुरेंद्र सिंह नेगी आयुक्त नगर निगम को निर्देश देते नजर आ रहे हैं।
पता चला है कि उक्त बैठक में सीओ कोटद्वार को भी सुरेंद्र सिंह नेगी द्वारा फोन कर बुलवाया गया था, उन्होंने बड़ी चतुराई से कन्नी काट एसएसआइ कठैत को बैठक में भेज दिया।आधिकारिक हो या अनाधिकारिक बैठक कोई भी आम जन किसी अधिकारी को निर्देश नहीं दे सकता और अधिकारी अगर किसी बैठक में बहैसियत बैठा हो तो वो बैठक अनाधिकारिक कैसे हो सकती है। पार्षद सुभाष पांडेय ने बताया कि बहुत कम समय मे बैठक बुलाई गई थी इसलिए वो उस बैठक में भाग नहीं ले पाए। बैठक में कांग्रेसी पार्षद ही ज्यादा थे लिहाजा भाजपा पार्षदों को बैठक से एक साजिश के तहत दूर रखा गया।
बहरहाल हरक बनाम मुख्यमंत्री की लड़ाई में भाजपा की मिट्टी पलीत हो रही है।