कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में बढ़ते नशे के मामले में केंद्रीय ड्रग नियंत्रण संगठन द्वारा प्रतिबंधित(बैन) की गई सभी 434 किस्म की दवाइयों पर राज्य में पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायालय ने मैडिकल स्टोर के स्टॉक में उपलब्ध ऐसी दवाइयों को तत्काल नष्ट करने के भी निर्देश दिए हैं।
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न्यायालय ने सभी निजी और सरकारी शैक्षिक संस्थान और विद्यालयों में ड्रग कंट्रोल क्लब गठित करने को कहा है। साथ ही इसे मॉनिटर करने के लिए निदेशक उच्च शिक्षा, निदेशक विद्यालयी शिक्षा, नोडल अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 77 का दायरा बढाते हुए थिनर, व्हाइटनर, सुलोचन तथा अन्य सभी तरह के प्रदार्थ जिससे किसी भी प्रकार का नशा किया जा सकता है, उन्हें नाबालिगों को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
आदेश के अनुसार राज्य के सभी जिलों में आने वाले कैदियों की नारकोटिक जांच कराई जानी जरूरी है। न्यायालय के अनुसार अगर कोई कैदी नशे का आदि पाया जाता है तो उसे जेल के बजाए नशा मुक्ति केंद्र ले जाया जाए। खण्डपीठ नेे कहा है कि जो कैदी जेल में पहले से है उनकी चिकित्सक जांच कराई जाए और नशे का आदि पाए जाने पर उचित इलाज के साथ नशा मुक्ति केंद्र भेजा जाए।
रामनगर निवासी स्वेता मासीवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने 3 सप्ताह में जिलों में राष्ट्रीय नारकोटिक नीति के तहत नशीले पदार्थों की जांच के लिए स्पेशल टीम गठित करने के साथ स्निफर डॉग स्क्वाड की मदद भी लेने को कहा है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि हर जिला अस्पताल में नशा मुक्ति सेल का गठन करें।
न्यायालय ने कहा है कि सरकार 4 सप्ताह में नारकोटिक एक्ट के अंतर्गत नियमावली बनाए जिससे प्रदेश और अंतराष्ट्रीय सीमा पर चौकसी बढाई जा सके। सरकार को एन्टी नारकोटिक स्क्वाड भी गठित करने को आदेश दिए गए हैं।