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शिक्षकों में आक्रोश सीएम ने दिलाया संतोष

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  जगमोहन रौतेला  
      राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रान्तीय कार्यकारिणी के चुनाव के लिए  22 नवम्बर से तीन दिवसीय अधिवेशन देहरादून में शुरु हो गया है . अधिवेशन के लिए पहले मात्र 1 दिन की छुट्टी घोषित की गई थी. इससे शिक्षकों में भारी रोष था लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यक्रम में घोषणा कर दी कि 3 दिन की छुट्टी मंजूर की जाएगी।
 इस अधिवेशन में एक और नोटिस करने वाली बात यह रही कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे सम्मेलन में नहीं थे। शिक्षक नेताओं का कहना है कि शिक्षा मंत्री जिद पर अड़े हैं। उनका कहना है कि जब तक अध्यापक ड्रेस में नहीं आते, वह भी उनके कार्यक्रम में नहीं आएंगे। इससे पहले भी एक और कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री की गैर मौजूदगी को ड्रेस प्रकरण से ही जोड़कर देखा गया।
 भले ही मुख्यमंत्री ने छुट्टी घोषित कर दी, लेकिन अधिकारियों के रवैए से शिक्षक हैरान और परेशान जरूर नजर आए। हालांकि  पहले उन में आक्रोश था, जो मुख्यमंत्री ने शांत कर दिया।सीएम चुनावी बैनर पोस्टर और मांग पत्रों से भी उखड़े तो नसीहत देने से भी नही चूके। अध्यापकों की मुख्य मांग पारदर्शी स्थानांतरण एक्ट तथा वेतनमान आदि की थी।
 
 शिक्षकों के आक्रोश की वजह 
यह अधिवेशन 23 व 24 नवम्बर 2017 तक चलेगा . इसके लिए राजकीय शिक्षक संघ के विभिन्न पदों के लिए चुनाव लड़ने वाले शिक्षक पिछले एक महीने से चुनाव प्रचार में जुटे हुए थे . चुनाव को माध्यमिक शिक्षा के निदेशालय स्तर से स्वीकृति भी मिल चुकी है . जब भी चुनाव होते हैं तो उसमें भाग लेने वाले सभी शिक्षकों को विभाग की ओर से पूर्ण छुट्टी दी जाती है . पर इस बार माध्यमिक शिक्षा के महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की ओर से  21 नवम्बर को छुट्टी का जो आदेश जारी किया गया  उससे चुनाव में भाग लेने वाले शिक्षकों में अंतिम समय तक न केवल भ्रम की स्थिति रही , बल्कि शिक्षकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से निदेशालय की कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल भी खड़े किए।
   उल्लेखनीय है कि चुनाव में प्रदेश भर के राजकीय माध्यमिक शिक्षक भागीदारी करते हैं और चुनाव के लिए राजकीय शिक्षकों का अधिवेशन  22 नवम्बर से देहरादून में शुरु हो गया है और महानिदेशक द्वारा छुट्टी के सम्बंध में  21 नवम्बर को जो आदेश जारी किया गया, वह तब जारी किया गया जब दूरदराज के बहुत सारे शिक्षक सवेरे ही देहरादून के लिए रवाना हो चुके थे  . कल जारी किए गए अपने आदेश में महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कहाञ कि देहरादून के लक्ष्मण भारती इंटर कॉलेज , भंडारी बाग में शिक्षकों का जो अधिवेशन व चुनाव होेना है , उसके लिए 17  अक्टूबर 2017 के प्रस्तर – 9 में अधिवेशन में प्रतिभाग करने हेतु अधिकृत सदस्यों को 22 व 23 नवम्बर 2017 का आकस्मिक अवकाश शासनादेश संख्या – 1113/×××(2)/2013-3(9)/2012 दिनांक 10 अक्टूबर 2013 के प्रतिबंधों व कतिपय शर्तों के अधीन प्रदान किए जाने हेतु अनुमति दी गई है . इस सम्बंध में यह विशेष अवकाश मात्र अधिवेशन में प्रतिभाग करने हेतु अधिकृत सदस्यों ( डेलीगेट ) को ही निर्धारित सीमान्तर्गत अनुमन्य होगा .
    इसके अतिरिक्त समस्त अन्य शिक्षकों द्वारा विद्यालयों में सुचारु पठन – पाठन का कार्य सम्पादित किया जाएगा . किसी भी दशा में विद्यालय का शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं होगा , यदि कोई शिक्षक अनाधिकृत रुप से विद्यालय से अनुपस्थित पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी . अधिवेशन में प्रतिभाग करने वाले अधिकृत वैध सदस्यों की पूरी सूची जनपदीय अध्यक्ष या महामन्त्री द्वारा सम्बंधित जिले के मुख्य शिक्षाॉधिकारी को उपलब्ध कराई जाएगी . सम्बंधित जिला मुख्य शिक्षाधिकारी द्वारा तत्काल सूची का सत्यापन एवं उनके द्वारा पूर्व में लिए गए विशेष अवकाशों का परीक्षण करते हुए महानिदेशालय व माध्यमिक शिक्षा निदेशक को उपलब्ध कराई जाएगी .
    इस आदेश से पता चलता है कि इसे ” ऊपर ” के दबावों के बाद जारी किया गया है , क्योंकि एक ही दिन में जिला स्तर पर भी सूची का सत्यापन कैसे सम्भव होता और सत्यापन के बाद शिक्षक को कैसे सूचित किया जाता कि वे तीन सौ , चार सौ किलोमीटर दूर से कल सवेरे देहरादून पहुँच पाते ? जिस तरह से एक दिन पहले ही आदेश जारी किया गया है , उससे साफ पता चलता है कि आदेश शिक्षकों को परेशान करने के लिए ही जारी हुआ है . जिसके कारण शिक्षकों ने एक तरह से इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया था .
       राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के चुनाव में प्रान्तीय उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी मुकेश प्रसाद बहुगुणा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा , ” अभी – अभी व्हट्सएप पर महानिदेशक ,शिक्षा विभाग (उत्तराखंड ) का एक आदेश मिला है । आदेश के अनुसार सिर्फ डेलीगेट्स ही अधिवेशन में प्रतिभाग कर सकते हैं । संगठन द्वारा माननीय डीजी को अविलम्ब यह समझाया जाना चाहिए कि अधिवेशन के दो भाग होते हैं –
अ- महासभा का अधिवेशन ,जिसमें कोई भी सदस्य प्रतिभाग कर सकता है ।
ब- चुनाव , जिसमें सिर्फ डेलीगेट्स ही प्रतिभाग करते हैं । मैंने प्रांतीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष श्री राम सिंह चौहान  से आग्रह किया है कि अविलम्ब इस आदेश में आवश्यक संशोधन करवाएँ , ताकि आम शिक्षकों में व्याप्त भ्रम दूर हो सके “.
      शिक्षक आलोक प्रताप सिंह अपनी प्रतिक्रिया में कहते हैं ,” तत्काल इस भ्रमपूर्ण आदेश का संशोधन जारी होना चाहिए। अधिवेशन में केवल डेलीगेट ही नहीं आम शिक्षक भी प्रतिभाग कर सकता है। लगता है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा शिक्षा महानिदेशक महोदय को नियमों की जानकारी नहीं दी गयी। अब तो शिक्षक देहरादून पहुंच भी गए हैं या पहुंचने वाले हैं “. शिक्षक धनन्जय उनियाल ने कहा , ” ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर ये आदेश निकाला गया और जल्दीबाजी में अधिवेशन स्थल का नाम भी त्रुटिपूर्ण लिखा गया है। अगर शिक्षण कार्य सुचारू करना है , तो उन बच्चों का क्या कसूर है ? जहं ये अधिवेशन सम्पन्न हो रहा है। वैसे भी डेलिगेट्स मतदाता होते हैं। शैक्षिक गोष्ठी सब के लिये है। कार्यकारिणी को तत्काल संज्ञान ले कर यथाशीघ्र स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए .”
     राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड, जनपद – नैनीताल  के जिलाध्यक्ष डॉ. गोकुल सिंह मर्तोलिया ने वाट्सएप के विभिन्न ग्रुपों में जारी किए गए अपने संदेश में शिक्षकों से कहा है कि प्रान्तीय अधिवेशन में प्रतिभाग करने वाले समस्त सदस्यों से  निवेदन  है कि वे अधिक से अधिक संख्या में प्रान्तीय अधिवेशन में प्रतिभाग करें।  21 नवम्बर 2017 को महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा द्वारा एक आदेश जारी किया गया  जिसमें केवल प्रतिनिधि (डेलीगेट) द्वारा प्रतिभाग किये जाने की बात को उल्लेखित किया गया है . राजकीय शिक्षक संघ , उत्तराखण्ड के संविधान के अनुसार ,  प्रान्तीय अधिवेशन में सभी सदस्य प्रतिभाग कर सकते हैं। किसी भी साथी को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है । आप (सदस्य तथा डेलीगेट दोनों ) अधिक से अधिक संख्या में प्रतिभाग करें। हम किसी भी सदस्य का किसी भी प्रकार का उत्पीड़न नही सहेंगे। हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि जिला कार्यकारिणी , नैनीताल सदा शिक्षक तथा छात्र हित में तत्पर है। ” गिरीश कुकरेती कहते हैं ,” लगता है कि मन्त्री स्तर का दबाव रहा होेगा . तभी यह आदेश एक दिन पहले जारी किया गया है ,अन्यथा दो- तीन दिन पहले जारी किया जाना चाहिए था “.
    माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक द्वारा पूर्व के आदेशों की अनदेखी करने और इस बार नया आदेश जारी करने से राजकीय शिक्षकों में आक्रोश है . अगर इस आदेश में मुख्यमंत्री  तत्काल संशोधन नहीं करते तो राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के चुनाव के बाद आने वाले दिनों में यह आदेश शिक्षा विभाग और शिक्षकों के बीच टकराव का कारण बन सकता था।हालांकि इस अधिवेशन से शिक्षा मंत्री तथा शिक्षा महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी के गायब रहने से तक़रार बढने की पूरी संभावना है।
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