उत्तराखंड का भाजपा संगठन फिर से मातृशक्ति के यौन उत्पीड़न को लेकर चर्चाओं में है। इस बार महामंत्री संगठन संजय कुमार पर प्रदेश कार्यालय में काम करने वाली पूर्व कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
भाजपा संगठन तथा उससे जुड़ी महिला पदाधिकारियों ने इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की लेकिन आखिरकार यह मामला दब नहीं पाया।
यह पूर्व कर्मचारी विगत 6 माह से भाजपा के विभिन्न वरिष्ठ पदाधिकारियों के आगे गुहार लगा रही थी लेकिन किसी ने भी इसकी नहीं सुनी।पीड़िता कर्मचारी आजीवन सहयोग निधि के डाटा एंट्री कार्य के लिए भाजपा प्रदेश कार्यालय में रखी गई थी वहीं इसका परिचय संजय कुमार से हुआ।
संजय कुमार भाजपा प्रदेश कार्यालय में ही निवास करते है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में डाटा एंट्री के पद पर काम करती हुई इस लड़की की जिंदगी में संजय कुमार की एंट्री हो गई। इस पूर्व कर्मचारी के पास संजय कुमार से संबंधों के कई सबूत मोबाइल में दर्ज थे किंतु यह मोबाइल भाजपा की ही एक पदाधिकारी ने छीना झपटी के दौरान झपट लिया।
मामला यह है कि इस पूर्व कर्मचारी के मोबाइल में काफी सारे साक्ष्य थे किंतु एक भाजपा की पूर्व महिला राज्य मंत्री तथा एक और अनुसूचित जाति की पदाधिकारी ने इससे छीना झपटी कर मोबाइल छीन लिया।
भाजपा की रणनीति यह थी कि यदि मामला कहीं पर बिगड़े तो फिर वह अनुसूचित जाति सूचक शब्दों का आरोप लगाते हुए इसी पूर्व कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही भी कर सके।
जब जब महिला अपना मोबाइल वापस पाने के लिए पुलिस के पास गई तो पुलिस ने भी इसका कोई सहयोग नहीं किया और तो और अगस्त 2018 में भाजपा के महानगर अध्यक्ष विनय गोयल के पास भी यह पूर्व कर्मचारी गई लेकिन विनय गोयल ने भी इस मामले को वरिष्ठ पदाधिकारियों तक पहुंचाने के बजाय मामला दबा दिया।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार पीड़िता के पास इतने सबूत जरूर हैं कि इससे भाजपा के इस संगठन महामंत्री की कुर्सी जानी तय है इस पूर्व कर्मचारी के पास इस मामले की गई ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी है किंतु कोई भी भाजपा का पदाधिकारी पीड़िता का सहयोग करने को राजी नहीं।
पहले से ही चर्चित
एक बार फिर से भाजपा का प्रदेश कार्यालय गलत कारणों से चर्चा में है। एक साल पहले भाजपा प्रदेश कार्यालय की नालियों में काफी मात्रा में कंडोम भी पड़े हुए पाए गए थे। पर्वतजन मे खबर छपने के बाद आनन-फानन में सभी नालियों की अच्छी तरह से सफाई कर दी गई थी।
लेकिन यह मामला तब भी दबा दिया गया था। पहले भी भाजपा प्रदेश कार्यालय में एक कर्मचारी को एक महिला के साथ ही कमरे में बंद कर दिया गया था। तब काफी हो हल्ला होने के बाद कमरा खोला गया किंतु वह मामला भी रफा दफा कर दिया गया था।
राष्ट्रीय स्तर के एक भाजपा नेता से संजय कुमार के करीबी संबंध होने के कारण संजय कुमार अब तक काफी सारे विवादों के बावजूद भी अपने आप को बचाने में सक्षम रहा था।
किंतु अब देखना यह है कि मौजूदा मामले से संजय कुमार कब तक अपने को बचा पाते हैं ! इस संबंध में संजय कुमार से जब बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ था, जिससे उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। उनका पक्ष प्राप्त होने पर अपडेट कर दिया जाएगा।