• Home
  • एक्सक्लूसिव
  • खुलासा
  • ट्रेंडिंग
  • अपराध
  • सियासत
  • नौकरी
  • बिजनेस
  • संपर्क करें
No Result
View All Result
No Result
View All Result

Home खुलासा

सफेद हाथी बना सिविल सर्विस संस्थान

in खुलासा
0
1
ShareShareShare

सिविल सर्विस संस्थान के निर्माण कार्यों के नाम पर वित्त विभाग की आपत्ति के बावजूद तमाम नियम कायदों को दरकिनार करके लगातार खर्च हो रहा है

पर्वतजन ब्यूरो

आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने। अब घर में दाने न होने पर भी अम्मा कैसे और क्या भुनाने चल दी। यदि इसका हुनर सीखना हो तो उत्तराखंड में अपने आईएएस अफसरों से सीखा जा सकता है। यहां तक कि राज्य की माली हालत का रोना रोने वाले मंत्री-संतरी भी उनसे यह कला सीख सकते हैं कि यदि किसी काम के लिए पैसे की कमी आड़े आ रही हो तो उसका जुगाड़ कैसे किया जाए।
देहरादून में सिविल सर्विस के अफसरों की मौज-मस्ती के लिए राजपुर रोड के आखिर में एक सिविल सर्विसेज संस्थान बनाया गया है। इस संस्थान पर अब तक लगभग १७ करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। प्रारंभ में जब इस संस्थान के निर्माण की शुरुआत हुई थी, तब वर्ष २००४-०५ में इसकी लागत मात्र १ करोड़ ७ लाख रुपए आंकी गई थी। लोक निर्माण विभाग के निर्माण खंड देहरादून ने इस लागत में गेस्ट हाउस, पोर्च जैसे सभी निर्माणों के साथ-साथ पंखे, बिजली, कंटेन्जेंसी, सेंटेज चार्ज सरीखे सभी खर्चे जोड़ रखे थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि १ करोड़ ७ लाख की लागत का यह संस्थान सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते-बढ़ते १७ करोड़ रुपए हजम कर बैठा।
इस संस्थान में अफसर अपनी मनमर्जी से खर्चे कराते रहे। कभी नए-नए निर्माण के नाम पर तो कभी आस-पास के किसी न किसी खर्चे के नाम पर सरकार का खजाना खाली होता रहा। बस यूं समझ लीजिए कि मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों-ज्यों दवा करते रहे।
इस संस्थान को बनाने का जिम्मा खेल विभाग को सौंपा गया। सिविल सेवा के अधिकारियों के खेलकूद के नाम पर खेल विभाग को इसका जिम्मा तो सौंपा गया, किंतु मात्र पैसा आवंटित करने के अलावा खेल विभाग की इस संस्थान में कोई भूमिका नहीं थी। यह संस्थान पूरी तरह से एक स्वायत्तशासी संस्थान था और इस पर सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता था। इसलिए खेल विभाग के मत्थे इसकी जिम्मेदारी मढ दी गई।
इसका निर्माण कार्य पहले जल निगम को सौंपा गया, फिर लोक निर्माण विभाग से इसकी पूरी डीपीआर तैयार कराई गई और जब इसके निर्माण की बारी आई तो अफसरों ने इस संस्थान का निर्माण कार्य चहेते उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण को सौंप दिया।
वरिष्ठ अफसरों के रुचि लेने के चलते इस संस्थान के औचित्य पर किसी भी अधिकारी ने सवाल उठाने की हिम्मत नहीं की। जितना अफसर और निर्माण निगम मांगते गए, उतना धन अवमुक्त होता रहा।
यह संस्थान स्वयं के संसाधनों से आत्मनिर्भर होकर चलने वाले संस्थान के तौर पर स्वीकृत किया गया था, किंतु इस संस्थान पर आए दिन स्विमिंग पूल से लेकर ऐशोआराम के तमाम खर्चे कराए जाते रहे। कई बार यह सवाल उठा कि सरकार के पास इस संस्थान के लिए बजट की व्यवस्था नहीं है तो वित्त विभाग की आपत्ति के बावजूद आकस्मिता निधि से इस संस्थान के निर्माण के लिए धनराशि आवंटित कराई जाती रही। आकस्मिता निधि की नियमावली के अंतर्गत यह स्पष्ट व्यवस्था है कि इस तरह के निर्माण के खर्च के लिए आकस्मिता निधि से धन नहीं निकाला जा सकता। आकस्मिता निधि का उपयोग आपदा अथवा वेतन आदि अति आवश्यक उद्देश्यों से ही खर्च किया जा सकता है, किंतु वित्त विभाग को जबरदस्त दबाव में लेकर इस संस्थान पर पैसा लुटाया जाता रहा। २ मार्च २०१३ को तो स्वयं खेल विभाग ने भी आइंदा अवशेष धनराशि जारी करने से पहले दी गई धनराशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र तक मांग लिया था, किंतु फिर इस शर्त को नजरअंदाज कर दिया गया। कई बार यह शर्त रखी गई कि संस्थान को दी जा रही धनराशि का व्यय अधिप्राप्ति नियमावली २००८ के अनुसार ही किया जाएगा, किंतु कार्यदायी संस्था ने यह शर्त भी रद्दी के डिब्बे में डाल दी।
अधिप्राप्ति नियमावली के अनुसार कार्य न करने पर और उपयोगिता प्रमाण पत्र न मिलने पर कई बार अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत करने पर शासन के निचले स्तर से आपत्ति जताई गई, किंतु वरिष्ठ अधिकारियों ने हर बार इसे नजरअंदाज कर दिया। यहां तक कि आचार संहिता के दौरान इस संस्थान को एक करोड़ रुपए से अधिक धनराशि बिना निर्वाचन आयोग की स्वीकृति लिए जारी कर दी गई। वित्त विभाग ने कई बार यह तक पूछा कि आखिर इस पर और कितना खर्च होगा और यह संस्थान कब तक आत्मनिर्भर बनेगा, किंतु इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। यहां तक कि जब वित्त विभाग ने प्रस्तावित किए गए निर्माण कार्यों का औचित्य पूछा तो खेल विभाग ने औचित्य बताने की जिम्मेदारी शासन पर छोड़ दी।
हाल ही में १७ फरवरी २०१७ को सिविल सर्विसेज इंस्टीट्यूट के निर्माण कार्यों के लिए १ करोड़ ३१ लाख रुपए आकस्मिता निधि से लिए गए हैं। इन धन की स्वीकृति से पहले प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री का अनुमोदन भी लिया जाना था, किंतु जिम्मेदार अफसरों ने बिना मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के अनुमोदन के ही यह धनराशि जारी कर दी।
इस संस्थान पर हो रहे खर्चे के औचित्य पर कोई भी अधिकारी कुछ कहने की मुद्रा में नहीं है। इसकी देखरेख में लगे कर्मचारी इसकी मेंटनेंस का खर्चा कब तक और क्यों सरकार उठाएगी। बड़ा सवाल यह है कि वित्त विभाग की तमाम आपत्तियों के बावजूद कब तक यह सफेद हाथी पाला जाता रहेगा। द्य पर्वतजन ब्यूरो

Related posts

एक्सक्लूसिव : पहाड़ों में होटलों में बोरिंग से पानी की सप्लाई। ग्रामीण बूँद बूँद के लिए तरस रहें

June 20, 2022
876

एक्सक्लूसिव खुलासा : पर्यटन नगरी लैंसडौन में भू-माफिया व होटल कारोबारी कर रहें सरकारी भूमि पर जमकर कब्जा

June 18, 2022
1
Previous Post

खाता न बही, वित्त जो कहे वो सही

Next Post

चारा-पत्ती के चुगान पर पहरा

Next Post

चारा-पत्ती के चुगान पर पहरा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RECOMMENDED NEWS

बड़ी खबर : पुलिस उपनिरीक्षकों बंपर ट्रांसफर। देखें किसको भेजा कहां

3 days ago
2

14 वर्षीय बच्ची से बाल विवाह का आरोपी दुल्हा और बच्ची की मां सहित दो अन्य सहयोगी गिरफ्तार

7 days ago
328

अपराध : 2 साल की बच्ची से रेप के बाद हत्या।आरोपी गिरफ़्तार

5 days ago
2

ब्रेकिंग : रुड़की मेयर भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित

15 hours ago
1

BROWSE BY CATEGORIES

  • अपनी बात
  • अपराध
  • एक्सक्लूसिव
  • खुलासा
  • खेल
  • ट्रेंडिंग
  • नौकरी
  • पर्यटन
  • पर्वतजन
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • सियासत
  • हेल्थ

POPULAR NEWS

  • बड़ी खबर : जेल में रहते ही रिटायर हुए निलंबित हुए आईएएस। पढ़िए पूरी खबर

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ब्रेकिंग : रुद्रप्रयाग ज़िला पंचायत अध्यक्ष ने पद से दिया इस्तीफा

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • IDBI Job vacancy 2022 : आईडीबीआई बैंक में निकली बंपर पदों पर भर्तियां। जल्द करें आवेदन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ब्रेकिंग : रुड़की मेयर भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ख़बर का असर : हरकत में आया वन महकमा। अवैध पेड़ कटान का लिया संज्ञान

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

    पर्वतजन

    पर्वतजन न्यूज़ पोर्टल उत्तराखंड की ऐसी खबरों का न्यूज़ पोर्टल है, जिन खबरों को शेष मीडिया प्रकाशित करने की हिम्मत नहीं करता | यदि आपके पास कोई ऐसी खबर है, जिसे कोई दूसरा मीडिया नहीं दिखाता तो आप पर्वतजन से संपर्क कीजिए|

    Recent News

    • एक्सक्लूसिव वीडियो: नगर निगम के विवादित सफाई कर्मचारी पर फिर लगे आरोप, नौकरी पर रखने के एवज में मांगी मोटी रकम
    • ब्रेकिंग : रुड़की मेयर भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित
    • ब्रेकिंग : रुद्रप्रयाग ज़िला पंचायत अध्यक्ष ने पद से दिया इस्तीफा

    Category

    • अपनी बात
    • अपराध
    • एक्सक्लूसिव
    • खुलासा
    • खेल
    • ट्रेंडिंग
    • नौकरी
    • पर्यटन
    • पर्वतजन
    • बिजनेस
    • मनोरंजन
    • साक्षात्कार
    • सियासत
    • हेल्थ

    Recent News

    एक्सक्लूसिव वीडियो: नगर निगम के विवादित सफाई कर्मचारी पर फिर लगे आरोप, नौकरी पर रखने के एवज में मांगी मोटी रकम

    July 2, 2022

    ब्रेकिंग : रुड़की मेयर भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित

    July 1, 2022
    • Contact
    • Privacy Policy

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    No Result
    View All Result
    • Home
    • एक्सक्लूसिव
    • खुलासा
    • ट्रेंडिंग
    • अपराध
    • पर्वतजन
    • संपर्क करें

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    error: Content is protected !!