कृष्णा बिष्ट हल्द्वानी//
अपर पुलिस महानिदेशक ने बनाया गोवंश संरक्षण स्क्वाड। सरकारी सलाटर हाउस ही चल रहे हैं बिना परमिशन। अवैध कत्लखाने के खिलाफ कार्यवाही की जगी उम्मीद
यूपी सरकार की देखा-देखी उत्तराखंड सरकार भी अवैध स्लाटर हाउसों के खिलाफ मुखर है। अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने गोवंश संरक्षण स्क्वाड का गठन किया है एडीजी अशोक कुमार ने प्रत्येक जनपद में गौ तस्करी तथा अवैध स्लाटर हाउस पर कार्यवाही करने के लिए कुमाऊं पर क्षेत्र तथा गढ़वाल परिक्षेत्र में 2 टीमों का गठन किया है 12 सदस्य एक टीम में एक इंस्पेक्टर दो सब इंस्पेक्टर 11 हेड कांस्टेबल तथा एक कांस्टेबल होगा इन्हें Bolero गाड़ी और वायरलेस सेट से सुसज्जित किया जाएगा। प्रत्येक माह की 5 तारीख तक मुख्यालय स्तर पर इसकी समीक्षा की जाएगी। इस टीम के लिए सबसे बड़ा सरदर्द सरकारी महकमों द्वारा चलाए जाने वाले स्लॉटर हाउस के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है।
कई नगर निगमों में भाजपा के ही मेयर हैं। ऐसे में उन नगर निगमों के बिना अनुमति वाले स्लाटर हाउस पर यह टीम क्या कार्यवाही करती है, यह देखने वाली बात होगी।
सरकार पर पहली तलवार
उदाहरण के तौर पर नैनीताल जिले में हल्द्वानी के दो अवैध स्लाटर हाउस खुद सरकारी महकमे ही चला रहे हैं। सरकारी महकमों पर ही बगैर लाइसेंस के मानकों को ताक पर रख स्लाटर हाउस चलाने का आरोप लग रहा है। नगर निगम व जिलाधिकारी नैनीताल कैंप कार्यालय हल्द्वानी से लगभग दो किलोमीटर के दायरे में बरसों से दो स्लाटर हाउस चल रहे हैं। जिनमें से एक भैंसा व दूसरा बकरों के लिये बने स्लाटर हउसों को नगर निगम हल्द्वानी द्वारा संचालित किया जाता है, किन्तु आज तक हल्द्वानी नगर निगम के पास न तो इन स्लाटर हाउस को संचालन के लिए कोई लाइसेंस है और न ही ये स्लाटर हाउस किसी भी मानकों पर खरे उतरते हैं।
कुछ समय पूर्व मीडिया व जनता की नजरों में आने के बाद नगर निगम ने आनन-फानन में खाद्य सुरक्षा विभाग से ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से 18/07/2017 को आवेदन तो कर दिया, किन्तु खाद्य सुरक्षा विभाग ने कुछ ही दिनों में इस आवेदन पर आपत्ति लगा वापस नगर निगम को भेज दिया, जिसका नगर निगम अभी तक कोई जबाब खाद्य सुरक्षा विभाग को नहीं दे पाया है।
खाद्य सुरक्षा विभाग का आपत्ति लगाना भी लाजिमी ही है। कम से कम राजपुरा क्षेत्र में बने स्लाटर हॉउस का आलम देखकर तो यही लगता है। स्लाटर हॉउस और बच्चों का मदरसा अगल-बगल चल रहे हैं। जहां स्लाटर हाउस की नालियों में पशुओं का खून खुलेआम बहते हुए साफ देखा जा सकता है, जो मदरसे में पढऩे वाले बच्चों व शहर के लोगों के स्वास्थ्य के लिए किसी भी लिहाज से सही नहीं है। किंतु जिले के बेसुध सरकारी अमले की छत्रछाया प्राप्त इन स्लाटरहाउसों पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही की उम्मीद बेमानी है। आज तक अवैध कब्जे के नाम पर गरीब की ठेली पलट देने वाले नैनीताल जिला प्रशासन के बाहुबली अधिकारी इन स्लाटर हाउस पर किसी भी प्रकार की कारगर कार्यवाही करने का सामर्थ्य नहीं जुटा पाए। आगे देखिये क्या कह रहे हैं जिम्मेदार हुक्मरान!
”पूरे प्रदेश में बगैर लाइसेंस के ही स्लाटर हाउस चल रहे हैं, कुछ समय पूर्व नया प्रावधान आने से हमने हल्द्वानी के स्लाटर हाउस के लिए लाइसेंस अप्लाई किया हुआ है, जिसमें हमको संबंधित विभाग से कुछ खामियों को सुधार के लिए कहा गया है, जिस पर हम अमल कर रहे हैं। साथ ही हमने 7 लाख 90 हजार रिलीज कर दिया है।”
– हरबीर सिंह, एडीएम
”ये सही है कि पशु वधशाला का मामला जबसे नई सरकार आई है, काफी हाइलाइट हो चुका है, किंतु इससे पहले भी मेरे द्वारा निर्देशित किये जाने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी हल्द्वानी द्वारा इन मामले में स्लाटर हाउसों के खिलाफ कार्रवाही की गयी है और जिला प्रशासन को भी पत्र लिखकर इसके खिलाफ कार्रवाही करने को कहा है – बी.एस. बिष्ट, खाद्य सुरक्षा अधिकारी
”कुछ कमियां हैं, उनको सही करना है। बीजेपी की सरकार आने के बाद मानकों का अनुपालन कड़ाई से हो रहा है। जब तक कांग्रेस की सरकार थी हमने डीपीआर बनाकर भेजी, किन्तु वो पड़ी रही। अब हम इन स्लाटर हाउसों को लाइसेंस के लिए रेनोवेट करवा रहे हैं।”
जोगेन्द्र रौतेला, मेयर, नगर निगम हल्द्वानी