सरनौल के सवालों में घिरे साहिब

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प्रेम पंचोली

सीमांत उत्तरकाशी में सरनौल गांव में आए साहब लोग ग्रामीणों ने खूब की घेराबंदी

उत्तरकाशी के सरनौल गांव में आयोजित विकास मेले में पिछले दिनों जिला स्तरीय अधिकारी पहुंच तो गए, लेकिन ग्रामीणों के सवालों का जवाब देना उन्हें भारी पड़ गया। हालांकि पूरा सहयोग देने का आश्वासन देने का वादा कर उन्होंने अपनी जान छुड़ाई।
सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के सुदूर क्षेत्र सरनौल गांव में जहां एक ओर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का अगाज हुआ, वहीं दिनभर जनपद के अधिकारियों ने लोगों के विकलांग, पेंशन, छात्रवृत्ति, जाति व स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हालांकि लोगों व अधिकारियों में कुछ नोक-झोंक जरूर हुई, किंतु मुख्य विकास अधिकारी व प्रभारी जिला अधिकारी उत्तरकाशी उदय सिंह राणा ने हस्तक्षेप करलोगों के कामों में अधिकारियों को हीलाहवाली न बरतने की हिदायत दी।
‘अनमोल ग्राम स्वराज संस्थान’ द्वारा आयोजित इस बहुद्देशीय शिविर एवं रेणुका धाम पर्यटन महोत्सव में लोगों के निजी कामों में जिले के अधिकारियों ने दिलचस्पी दिखाई और अपने-अपने विभागों के बारे में सभी अधिकारियों ने मंच पर आकर स्थानीय लोगों को जागरूक किया। लोगों ने भी अधिकारियों से खूब सवाल-जबाव किए। हालांकि लोगों के सवालों का जवाब अधिकारी स्पष्ट रूप से नहीं दे पाए, मगर कुछ रटे-रटाये जबाव से लोगों को मन मसोस कर रहना पड़ा।
दूरस्थ क्षेत्र सरगांव के लोकेन्द्र सिंह रावत ने जब वन विभाग के एक अधिकारी से यह जानना चाहा कि साल 2016 में उनके गांव के लोगों ने अपने गांव तक मोटर मार्ग पहुंचाने बावत जब एकाध पेड़ों को काटा था तो उन दिनों वह गुजरात में था। तत्काल वन विभाग ने उन्हें पेड़ काटने के जुर्म में नामजद कर दिया। आज भी वह अपने को न्यायालय में यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि वह तो उन दिनों गुजरात में था। इस पर वन प्रभाग बड़कोट के एसडीओ ने गोलमोल जबाव प्रस्तुत किया।
सरनौल गांव के जगमोहन सिंह राणा ने पशु अधिकारी से जानना चाहा कि उनके क्षेत्र में पशु चिकित्सक कौन है और वह कब-कब लोगों को क्षेत्र में उपलब्ध हो सकते हैं। इस पर भी पशु अधिकारी जबाव नहीं दे पाए, किंतु पशुओं पर हो रही बीमारी के बारे में जानकारी जरूर दी। जब उद्यान अधिकारी की बारी आई तो वह कुछ कह पाते, इससे पहले वे गला सूखने और खड़ा न रह पाने का नाटक करने लग गए। पर्यटन अधिकारी योजनाओं की जानकारी तो नहीं दे पाए पर जनपद में ग्रामीण पर्यटन के लिए हो रहे कार्यो की जमकर प्रशंसा करने लग गये। शशिमोहन रंवाल्टा ने पर्यटन अधिकारी से जानना चाहा कि स्थानीय लोगों के लिए पर्यटन के क्षेत्र में क्या योजना है? इस पर वे जवाब नहीं दे सके। कृषि अधिकारी को इतने सवाल पूछ डाले कि उनके बचाव में सीडीओ व प्रभारी जिलाधिकारी उदय सिंह राणा को बीच में आना पड़ा।
उपजिलाधिकारी डा. शैलेन्द्र नेगी ने लोगों को ग्रामीण पर्यटन के गुर बताये। उन्होंने कहा कि वैसे तो संपूर्ण राज्य ईको टूरिज्म के लिए सम्पन्न है, परंतु जब सरनौल की बात की जाए तो यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य बरबस यूं ही लोगों को अपनी ओर खींच लेता है। मामूली मूलभूत सुविधाओं में तब्दीली कर इसे विकसित किया जा सकता है। लकड़ीनुमा भवनों के साथ यदि शौचालय और रास्तों को व्यवस्थित किया जाये तो मेहमानो की भीड़ को यहां के लोग नहीं संभाल पायेंगे। उन्होंने पड़ोस के मोरी क्षेत्र के सौड़ गांव का उदाहरण दिया कि गांव के चैन सिंह और भगत सिंह रावत ने गांव में ही सभी परंपरागत इमारतों को स्वच्छ और शौचालययुक्त बनाया और इसके बाद गांव में मेहमानों को इंटरनेट तथा अन्य प्रचार के माध्यम से आमंत्रित किया। वर्तमान में ऐसा कोई घर नहीं, जहां टूरिस्ट नहीं रुका होगा। मौजूदा समय में सौड़ गांव के अधिकांश लोग ग्रामीण पर्यटन से स्वरोजगार कमा रहे हैं। अर्थात उनका यह कार्य व्यवसाय का रूप ले चुका है।
रेणुका धाम पर्यटन महोत्सव सरनौल के आयोजक पं. राजेन्द्र प्रसाद सेमवाल ‘शास्त्री’ कहते हैं कि हम लोग पिछले पांच वर्षों से अनमोल ग्राम स्वराज संस्थान के माध्यम से सरनौल गांव में बहुद्देशीय शिविर और पर्यटन महोत्सव का आयोजन करते आये हैं। संस्थान का काम समय-समय पर विकास के कार्यों की पैरवी करना और सरकार, शासन व आम जन के बीच समन्वय स्थापित करना है।

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