भूपेंद्र कुमार
देहरादून के परिवहन विभाग में फर्जी स्टांप पेपर के माध्यम से सरकार को अब तक करोड़ों रुपए का चूना लग चुका है। सूचना के अधिकार में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि संभागीय परिवहन कार्यालय देहरादून में दलाल नकली स्टांप पेपरों के माध्यम से नए वाहनों का पंजीकरण, वाहन ट्रांसफर, नए परमिट और ड्राइविंग लाइसेंस बनाने से लेकर अन्य कार्यों में सरकार को हर महीने लाखों का चूना लगा रहे हैं।
इसमें परिवहन विभाग के बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। सूचना के अधिकार में यह तथ्य प्रकाश में आए हैं कि परिवहन विभाग के राजपुर रोड स्थित परिसर में दलाल शपथ पत्रों में फर्जी नोटरी की मोहर, फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी ढंग से सत्यापित करके लोगों को बेच रहे हैं। इससे सरकार को लाखों का चूना हर महीने लग रहा है।
फर्जी स्टैंप, फर्जी स्टांप पेपर
इन दलालों ने शहर के वाहन डीलरों से भी सेटिंग कर रखी है। और वाहन डीलरों की फाइलों में भी इसी तरह के फर्जी शपथ पत्र लगाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि संभागीय परिवहन अधिकारी के कार्यालय देहरादून में यदि पत्रावलियों की गहनता से जांच कराई जाए तो यह मामला पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा कि कई लोगों के शपथ पत्र अधूरे ही पत्रावलियों में लगे हुए हैं और यहां तक कि उन पर किसी नोटरी के हस्ताक्षर और मोहर तक नहीं है।
कुछ शपथ पत्र तो आरटीओ देहरादून के नाम से ही खरीदे गए हैं।
फर्जी नोटरी, फर्जी हस्ताक्षर
इससे भी खतरनाक बात यह है कि प्रदेश के विभिन्न शहरों और कस्बों से बने हुए शपथ पत्रों पर निर्धारित ₹10 के स्थान पर ₹5 का टिकट लगा रहे हैं और राज्य सरकार को भी धोखा दे रहे हैं। इससे राज्य सरकार को राजस्व की भारी हानि पहुंच रही है और यह लोग अपने को अवैध लाभ कमा रहे हैं।
देहरादून निवासी मोहम्मद तहसीन में बाकायदा आरटीआई में यह जानकारियां हासिल करके इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर पुलिस और राजस्व विभाग तथा परिवहन विभाग में भी की है लेकिन कोई भी इस मामले में ध्यान देने को तैयार नहीं है।
फर्जी शपथपत्र
उदाहरण के तौर पर संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय देहरादून के गेट नंबर 2 के सामने टीन सेड की दुकान में अक्षय ग्रोवर उर्फ राम जी नाम का व्यक्ति जालसाजी धोखाधड़ी और फर्जी तरीके से शपथ पत्र बना कर बिक्री करता है जो अपने आप को स्टांप वेंडर बताता है तथा स्वयं ही स्टांप निकालता है, जिस पर जगह रुड़की लिखा आता है और इस स्थान पर स्टांप वेंडर की मोहर भी नहीं लगी होती है।
इस तरह से कई दलाल अपने साथ कुछ लोगों को मिलाकर जालसाजी धोखाधड़ी और हेरा फेरी कर शपथ पत्र बनाने का धंधा कर रहे हैं और इनके द्वारा बनाए गए शपथ पत्रों पर नोटरी के नाम की फर्जी मोहर, फर्जी हस्ताक्षर कर उस शपथ पत्र को यह व्यक्ति स्वयं सत्यापित करता है। इन लोगों के पास ना तो नोटरी का कोई लाइसेंस प्राप्त है और ना ही यह लोग अधिवक्ता हैं। लेकिन ये लोग फर्जी और गलत तरीके से शपथ पत्र आदि को सत्यापित करने का कार्य कर रहे हैं।
कुछ स्टांप पेपर पर फर्जी नोटरी मोहर और फर्जी सिगनेचर की तस्दीक करने के लिए जब पर्वतजन ने संबंधित व्यक्तियों से बात की तो उन्होंने साफ कह दिया कि उनके नोटरी की मोहर और हस्ताक्षर फर्जी किए गए हैं। कई दस्तावेज पर दो दो नोटरियों की मोहर लगी हुई है तो कई शपथ पत्र प्लेन पेपर पर बनाए गए हैं, इन पर कोई स्टांप ही नहीं लगा है।
देखना यह है कि हर माह सरकार को लाखों का चूना लगा रहे इन जाल साज़ों के ऊपर कब तक कार्यवाही होती है !