विनोद कोठियाल
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीरो टोलरेंस का संकल्प कितना प्रभावी है, यह एक अलग विषय है लेकिन मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी के जीरो टोलरेंस के संकल्प को जुमला साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।
हालिया मामला मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े 71 लाख रुपए का है। भारत सरकार के सुगम भारत अभियान के तहत विकलांग जनों के लिए स्वीकृत हुआ 71 लाख रुपया मुख्यमंत्री कार्यालय के एक विशेष कार्याधिकारी के दबाव में राजाजी नेशनल पार्क ने ऐसी मदों में खर्च कर दिया जिसमें यह खर्च हो ही नहीं सकता था। इसके अलावा 14 लाख सचिवालय मे विभिन्न स्थानों पर खपा दिए। देहरादून मे चार कार्यों के अलावा पूरे राज्य मे 24 ऐसे निर्माण कार्य और भी कराए गए हैं।
कौन है वह धंधेबाज !
विकलांगों के लिए स्वीकृत निर्माण कराने के बजाय राजाजी पार्क में मुख्यमंत्री कार्यालय के दबाव में इस धन से दो मंजिले पर भवन बना दिए।
मुख्यमंत्री कार्यालय में कुछ ऐसे धंधेबाज भी काफी सक्रिय हैं जो किसी भी तरह के बजट को ऐसी जगह ठिकाने लगाने में माहिर हैं, जहां से उन्हें मोटा कमीशन हासिल हो सके। इसीलिए सुगम भारत योजना का पैसा भी ऐसी मदों पर खर्च कर दिया गया, जहां उनकी खर्च होने का कोई मतलब नहीं था किंतु संभवतः उन जगहों पर चहेते लोगों की तैनाती होने के कारण यह पैसा राजाजी पार्क में डाइवर्ट कर दिया गया।
विकलांगों के 71 लाख से दोमंजिले पर निर्माण
इस पर एक बड़ा सवाल इसलिए भी खड़ा होता है कि जिस कार्यदाई संस्था ने निर्माण का आगणन तैयार किया, उन्हें इतना भी ध्यान नहीं रहा कि आगणन रिपोर्ट तैयार करने की तिथि छुट्टी के दिन की दर्शाई गई है, उस दिन 14 अप्रैल था जो कि अंबेडकर दिवस के कारण सार्वजनिक अवकाश का दिन होता है।
विकलांगों के साथ धोखा
भारत सरकार द्वारा विकलांग जनों के लिए चलाई जा रही योजना सुगम भारत अभियान के तहत सभी प्रदेशों को धनराशि आवंटित कर कुछ सरकारी भवनों को चिन्हीकरण किया गया, जिसके अंतर्गत उन भवनों में विकलांग जनों की पहुंच के लिए रैंप, लिफ्ट, सुगम्य बाथरूम आदि चीजों का निर्माण कर विकलांग जनों की सहायता के लिए यह योजना चलाई गयी।
उत्तरांचल में प्रयोग के तौर पर सर्वे में प्रथम फेज में 28 भवनों का चयन किया गया, जिसमें कि रैंप बनाकर विकलांग लोगों को चयनित भवनों तक पहुंचाने के लिए रैंप, लिफ्ट व सुगम बाथरूम बनाने जैसी तमाम सुविधाओं के लिए यहां 28 भवनों में से कुछ भवनों में उपरोक्त सभी कार्य किए जाने थे, जिसके लिए भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड सरकार को धनराशि आवंटित की गई।
सचिवालय मे खपाए चौदह लाख
परंतु देखने में यह आया है कि सुगम भारत अभियान के तहत जारी की गई धनराशि का सही प्रयोग न होकर अन्य मदों में प्रयोग हो गया है और इस अभियान को पलीता लगाने में कोई और नही बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधा इसके लिंक जुड़े हुए हैं।
सीएम कार्यालय द्वारा काफी दबाव के बाद राजाजी राष्ट्रीय पार्क को ₹ 71लाख की धनराशि आवंटित की गई जो कि इस योजना से विरत नए भवन के निर्माण हेतु प्रयोग की जा रही है।
इसके अलावा सचिवालय के विश्वकर्मा बिल्डिंग मुख्यसचिव बिल्डिंग और सचिवालय के दूसरे भवनों पर 14 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। यह धन किसी भी तरह से विकलांगो के हित में खर्च नहीं हुआ।
आखिर सचिवालय से लेकर राजाजी तक में यह धन किस विशेष कार्याधिकारी के दबाव में खर्च किया गया और यह भ्रष्टाचार मुख्यमंत्री की नाक के नीचे हो रहा है तो इस पर मुख्यमंत्री आंखें बंद करके बैठे हैं यह एक अहम सवाल है !
यह योजना के मूल उद्देश्य से अलग है। राजाजी राष्ट्रीय पार्क में दो मंजिला भवन का निर्माण इस योजना से कराया जा रहा है जो कि भारत सरकार को इस योजना के लिए ठेंगा दिखाने जैसा है। यह अपने आप में एक घोटाला है, जिसके तार सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े हुए हैं।
जिस दिन रिपोर्ट तैयार की, उस दिन थी छुट्टी
इसी कड़ी में इस योजना के तहत निर्मित होने वाले भवन के लिए निदेशक राजाजी राष्ट्रीय पार्क द्वारा जब लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड देहरादून को पत्र लिखकर दिशा निर्देश मांगे गए तो प्रांतीय खंड देहरादून द्वारा कनिष्ठ अभियंता और सहायक अभियंता लोक निर्माण खंड देहरादून द्वारा संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें कि उनके द्वारा दिनांक 14 अप्रैल 2018 को निरीक्षण कर अपनी आख्या प्रस्तुत की गई।
संदेह का विषय यह है कि दिनांक 14 अप्रैल 2018 को अम्बेडकर जयन्ती का राष्ट्रीय अवकाश होता है और कोई भी कर्मचारी राष्ट्रीय अवकाश के दिन कहीं भी जाने की जहमत नहीं उठाता।
फिर ऐसी दशा में कनिष्ठ अभियंता और सहायक अभियंता द्वारा संयुक्त निरीक्षण आख्या प्रस्तुत की गई, जिसमें कि भवन की छत को आरसीसी से निर्मित बताया गया है जबकि भवन के साथ आरसीसी से निर्मित ना हो कर इसमें लोहे का भी प्रयोग किया गया है।
समाज कल्याण अधिकारी बोले, रिकवरी होगी !
उपरोक्त तमाम बातों से स्पष्ट होता है कि यह संयुक्त निरीक्षण मात्र खानापूर्ति थी और इस कार्य के लिए ऊपरी स्तर से दबाव बनाया जा रहा था, क्योंकि सुगम भारत अभियान के तहत किसी भी बिल्डिंग के निर्माण का कोई प्रावधान ही नहीं है फिर भी राजाजी राष्ट्रीय पार्क में नए भवन का निर्माण किया जा रहा है और वहां भी दो मंजिला छत पर उपरोक्त विषय में जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर से वार्ता की गई उन्होने बताया गया की मामला मेरे संज्ञान में आ गया है और राजाजी राष्ट्रीय पार्क से धनराशि की वापसी की कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले मे जब कमिश्नर दिव्यांगजन रामविलास यादव से पूछा गया तो उन्होने बताया कि यदि नवभवन निर्माण किया गया हो तो समीक्षा बैठक बुलाऊंगा और विभागों को जारी धनराशि वापस की जाएगी ! यदि जरूरत पड़ी तो न्यायालय मे में भी तलब किया जा सकता है। यह बात उन्होंने दिव्यांग कमिश्नर की हैसियत से कही।
मामला कुछ भी हो यह अत्यंत गंभीर विषय है कि जब भारत सरकार द्वारा दिव्यांग जनों के लिए अलग-अलग भवनों का चयन कर उनमें रैंप बनने से लेकर लिफ्ट लगना, बाथरूम का निर्माण आदि सम्मिलित था तो इसे प्रदेश के अधिकारियों की दुर्दशा ही कहा जा सकता है कि भारत सरकार के इस आदेश को भी ठेंगा दिखा दिया और यह भी तब जब यह कार्य सीधा मुख्यमंत्री कार्यालय के दबाव मे हो रहा है।