कमल जगाती, नैनीताल
नैनीताल में रावण के पुतले निर्माण में दावा किया जा रहा है कि किसी जानवर की आंत जैसी किसी चीज का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये दावा काशीपुर निवासी के.डी.भारद्वाज का है जिन्होंने इस मटीरियल के इस्तेमाल के बाद मीडिया को इसकी जानकारी दी है।
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दरअसल नैनीताल के मल्लीताल फ्लैट्स ग्राउंड में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रावण निर्माण का कार्य चल रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि धार्मिक भावनाओं को आहत कर इस वर्ष रावण के निचले हिस्से के निर्माण में रस्सी और तार का इस्तेमाल ना करते हुए किसी पशु की आंत का इस्तेमाल किया जा रहा है। तांत के नाम से भी जाना जाने वाला पशु का ये अंग रावण के पुतले को बांधने में इस्तेमाल किया जा रहा है।
रावण के शरीर को तीन हिस्सों में बांधा गया है, लेकिन नाभि(पेट) से नीचे के हिस्से में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद हमने इस मटीरियल को जलाकर टैस्ट करवाया तो जांचकर्ताओं ने कुछ चिरैन सी बू (स्मेल)आने की बात कही।
जब हमने मुस्लिम रैस्टोरेंट चलाने वाले बदरू भाई को इसे दिखाया तो उन्होंने भी जलाने के बाद इसे मांस का हिस्सा होना बताया। जब हमने निर्माण कार्य में लगे कारीगर से इसके बारे में पूछा तो पहले उन्होंने इसे प्लास्टिक बताया और फिर बाद में दोबारा पूछे जाने पर इसे सस्ता होने की बात कहते हुए कहा कि प्लास्टिक की रस्सी 200/= रुपया प्रति किलो है जबकि ये उससे बहुत सस्ती मात्र 20/= रुपया प्रति किलो है इसलिए इसे केवल एक हिस्से में इस्तेमाल किया गया है।
अब ऐसे में महाविद्वान और ज्ञानी पंडित रावण के साथ ऐसा घटिया मजाक करने वाले इस ठेकेदार की जांच होनी जरूरी है। मेले में दुकानों को लगाने की ठेकेदारी का काम करने वाले के.डी.भारद्वाज ने सौ प्रतिशत दावा करते हुए इस मैटीरियल को तांत अथवा आंत कहते हुए हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने वाला कहा है। उन्होंने इसकी जांच कर कार्यवाही करने के लिए भी कहा है।