रानीखेत की जनता के निर्णय से नाखुश भट्ट
रानीखेत की जनता को उन्हें वोट न करने के कारण भी भट्ट जी को ऐसा करना पड़ रहा हो!
सरकार होते भी सरोकार नहीं
पार्टी की सरकार आने के बाद अब रानीखेत को जनपद बनाने की मांग की चिट्टी-पत्री बंद
पांच वर्षों तक नेता प्रतिपक्ष और बाद में प्रदेश अध्यक्ष की भी दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाले अजय भट्ट उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की डबल इंजन की सरकार बनने के बाद सरेंडर की मुद्रा में हैं। भारतीय जनता पार्टी रिकार्ड ५७ सीटें उत्तराखंड में जीती, किंतु अजय भट्ट उन लोगों में रहे, जो इस प्रचंड लहर में भी विधानसभा नहीं पहुंच पाए।
नेता प्रतिपक्ष रहते अजय भट्ट ने रानीखेत को जिला बनाने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया। यह अभियान उन्हें इसलिए मजबूरी में चलाना पड़ा, क्योंकि २०११ में भाजपा की सरकार ने प्रदेश में रमेश पोखरियाल निशंक के नेतृत्व में उत्तराखंड में नए जिलों के सृजन की घोषणा की थी। अजय भट्ट २०१२ के चुनाव में रानीखेत को जिला बनाने की मांग पूरी करने की बात कहकर ७० वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहे। चुनाव जीतने के बाद जब उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रूप में क्षेत्र में लाव-लश्कर और लंबी-चौड़ी फ्लीट के बीच लोगों ने घूमते देखा तो उन्होंने अजय भट्ट को याद दिलाया कि रानीखेत को जिला बनाने की घोषणा का क्या हुआ? रानीखेत से लौटकर अजय भट्ट ने तत्काल अपने सरकारी विधानसभा कार्यालय में चि_ी लिखकर अभियान शुरू कर दिया। प्रतिदिन अजय भट्ट द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम जाता। अजय भट्ट इस चि_ी अभियान के प्रति इतने गंभीर थे कि उन्होंने स्वहस्ताक्षरित सैकड़ों चि_ियां लिखकर अपने कार्यालय में रख दी। प्रत्येक दिन सरकारी कर्मचारी उस पर तारीख डालता और मुख्यमंत्री को चिट्ठी भेजता कि रानीखेत को तत्काल जिला बनाया जाए।
सरकारी कर्मचारी भी अजय भट्ट की चि_ियों का मजमून समझ चुके थे। उन्होंने भी एक बनबनाया जवाब तैयार कर रखा था। अजय भट्ट जितनी भी चिट्ठियां भेजते, वे हर चिट्ठी का एक ही जवाब भेजते कि महोदय आपके द्वारा भेजे गए पत्र को उचित कार्यवाही हेतु आगे भेज दिया गया है। मतलब सरकार का बाबू भी समझ गया था कि अजय भट्ट की बात कितनी गंभीर है।
नेता प्रतिपक्ष का कार्यकाल निपटते ही अजय भट्ट विधायक भी नहीं रहे। प्रदेश में प्रचंड बहुमत की डबल इंजन की सरकार गतिमान है। अजय भट्ट भारतीय जनता पार्टी के माननीय प्रदेश अध्यक्ष हैं, किंतु अपनी पार्टी की सरकार आने के बाद अब रानीखेत को जनपद बनाने की मांग की चिट्टी-पत्री बंद हो चुकी है। हो सकता है कि रानीखेत की जनता को उन्हें वोट न करने के कारण भी भट्ट जी को ऐसा करना पड़ रहा हो!