कुलदीप एस राणा
आयुष सचिव की फटकार के बाद आयुर्वेदिक विवि के कुलपति की टूटी नींद
बढ़ी हुई फीस वापसी सम्बन्धी हाइकोर्ट आदेश के बावजूद विवि प्रशासन छात्रों की फीस लौटाने को नही था तैयार।
लंबे समय से छात्र कर रहे थे आंदोलन।
आयुष सचिव की कुलपति को फटकार और छात्रों द्वारा आयुर्वेदिक विवि में किये गए आंदोलन से आखिर कार विवि प्रशासन को बैकफुट पर आने को मजबूर होना पड़ा है। आयुर्वेदिक विवि में कुलपति एवम् प्रभारी कुलसचिव मनमानियों का आलम यह है कि विवि प्रशासन हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद भी छात्रों से बढ़ा कर लिए गए शुल्क को वापस करने संबंधी आदेश को जारी करने में टालमटोल करता रहा।
मज़बूर होकर छात्र होकर सोमवार 19 नवंबर को सूबे के मुख्यसचिव से मिलने पहुँचे। जिस पर मुख्यसचिव ने सचिव आयुष को उक्त प्रकरण पर कार्यवाही करने के आदेश दिए। जिस पर सचिव आयुष ने विवि प्रसाशन को कड़ी फटकार लगाते हुए तत्काल हाइकोर्ट के आदेश के अनुपालन को सुनिश्चित करने के आदेश दिए। इसके बावजूद विवि में बैठे कुलपति व प्रभारी कुलसचिव द्वारा शुल्क वापसी संबंधी आदेश जारी नही किया गया।
आखिरकार एक बार फिर मजबूर होकर जब 22 नवंबर की सुबह से सभी पीड़ित छात्र विवि के गेट पर एकत्रित हो प्रदर्शन करने लगे। छात्रों को शासन सपोर्ट और आंदोलन को उग्र होता देख देर शाम विवि के प्रभारी कुलसचिव दबाव में आकर तत्काल छात्रों से लिये गये अधिक शुल्क को वापस करने हेतु निजी संस्थानों को दिया आदेश जारी करना पड़ा।
ज्ञात हो 14 अक्टूबर 2015 को विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव ने आयुष सचिव को गुमराह कर निजी संस्थानों को लाभ पहुंचाने की नियति से शुल्क वृद्धि का आदेश जारी करा दिया था, जिसमे तत्काल प्रभाव से BAMS पाठ्यक्रम का शुल्क एकाएक 80,500 से बढ़ाकर 2,15,000 और BHMS पाठ्यक्रम का शुल्क 73,600 से बढ़ाकर 1,10,000 कर दिया था, जबकि सचिव आयुष को यह अधिकार ही नहीं था इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग के अधीन गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति अधिकृत है जिसमे आयुष सचिव और विश्वविद्यालय के कुलसचिव सदस्य भी नहीं है, शासन के इस आदेश को पीड़ित छात्रों ने माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दिया जिसको पहले एकल पीठ और बाद में खण्ड पीठ ने 14 अक्टूबर 2015 के अवैध आदेश को निरस्त कर दिया,जिसके बाद विवि प्रशासन सिंगल बेंच के आदेश के विरुद्ध डबल बेंच पहुँचा किन्तु उसे वहां भी मुंह की खानी पड़ी।
डबल बेंच ने भी पुराने आदेश को बहाल रखते हुए तत्काल सभी संस्थाओं को लिया गया बढ़ा शुल्क वापस करने का निर्देश दिया क्योंकि तत्कालीन आयुष सचिव और कुलसचिव इस शर्त के साथ शुल्क वृद्धि किया था कि यदि अधिकृत समिति बढ़ा हुआ शुल्क अनुमोदित कर देती है तो ठीक अन्यथा संस्थान इस बात का शपथ पत्र देंगी कि यदि उक्त समिति शुल्क वृद्धि नही करती है तो संस्थान बढ़ाकर लिया गया शुल्क छात्रों को वापस करेंगे, परन्तु न्यायालय के आदेश के बावजूद भी संस्थाएं शुल्क वापसी में आनाकानी कर रही थी, जिससे सभी निजी संस्थानों के छात्र पहले अपने कॉलेजों में आंदोलन किये परन्तु असफल होने के बाद आज विश्वविद्यालय में उग्र आंदोलन किया जिसके पश्चात वर्तमान प्रभारी कुलसचिव ने कोर्ट के आदेश के अनुपालन हेतु समस्त निजी आयुर्वेद एवं होम्योपैथी कॉलेजों को आदेश जारी करना पड़ा।
वहीं जब पतंजलि आयुर्वेदिक कालेज के छात्र देर शाम कालेज लौटे तो पतंजलि प्रशासन ने उन्हें गेट पर ही रोक लिया, साथ ही छात्रों से कहा गया किसकी अनुमति से वह आयुर्वेदिक विवि गए थे। अब वह वहीं लौट जाएं जहां से आ रहे हैं। छात्रों से कहा जा रहा है कि वह अपने अपने पेरेंट्स को बुलायें। जब तक उनके पेरेंट्स नही आ जाते उन्हें प्रवेश करने नही दिया जाएगा। जिसके बाद से लगभग 80 छात्र-छात्राएं पतंजलि के गेट पर ही बैठे हुए हैं।