कृष्णा बिष्ट
विगत 5 वर्षों में पूरे प्रदेश में अवारा कुत्तों द्वारा 2,00438 (दो लाख चार सै अड़तीस) लोगों को काटा जा चुका है। यानी औसतन राज्य मे प्रतिदिन आवारा कुत्ते 109 लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं और महीने में 3270 लोग आवारा कुत्तों द्वारा काट लिए जाते हैं, जिन मे से कई लोगों की रेबीज के कारण मृत्यु तक हो चुकी है। इसके बावजूद जिम्मेदार मशीनरी मानो कानों में तेल डालकर सो रही है। यह हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवमानना है।
यह खुलासा हल्द्वानी के वरिष्ठ आर.टी.आई कार्यकर्ता व समाज सेवी हेम चंद्र कपिल द्वारा किया गया है।
इस विषय की गंभीरता को देखते हुए नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा इसी वर्ष 14 जून 2018 को सरकार को इस मामले में गंभीरता से लेने व 6 माह के अंदर अवारा कुत्तों को शेल्टर हाउस में रखने को निर्देशित किया जा चुका है, किंतु 6 माह के उपरांत भी प्रदेश की सरकारी मशीनरी इस विषय पर जरा भी गंभीर नहीं है।
ना तो सरकार ने आवारा कुत्तों को लेकर कोई नीति बनाई और ना ही आवारा कुत्तों को किसी भी प्रकार के शेल्टर हाउस में रखने की व्यवस्था की गई ।
हाईकोर्ट के आदेश : अवमानना की तलवार
जब श्री, हेम चंद्र कपिल ने इस विषय मे चल रही प्रगति को लेकर मुख्य सचिव कार्यालय से सूचना मांगी तो प्रमुख सचिव कार्यालय ने इस बाबत शहरी विकास से श्री हेमचंद कपिल को सूचना देने के लिए कहा किंतु शहरी विकास ने इस की गेंद पशुपालन विभाग के पाले में उछाल दी। जब पशुपालन विभाग से इस संबंध में जानकारी मांगी तो पशुपालन विभाग ने यह कहते हुए कि समस्त शेल्टर हाउसों के निर्माण का दायित्व स्थानीय निकायों के पास है, फिर से वह गेंद शहरी विकास के पाले में उछाल दी।
अब इस से भली भांति अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस विषय पर सरकार कितनी गंभीर है !