कृष्णा बिष्ट
हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्री बने राजनाथ सिंह के दामाद, तथा अन्य करीबियों आदि के नाम पर चल रहे कॉलेज में भी छात्रवृत्ति भर्ती घोटाला सामने आया है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दामाद और करीबियों के नाम से चल रही एक संस्था दिया शिक्षा समिति के द्वारा देहरादून के सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया के पास भारतम् इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के नाम से इंस्टीट्यूट संचालित होता है। इस इंस्टीट्यूट में भी छात्रवृत्ति भर्ती घोटाला सामने आया है।
उदाहरण के तौर पर भारतम् इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा करने के नाम पर वर्ष 2016-17 में दिगपाल सिंह चौहान नाम के छात्र ने ₹37,300 की छात्रवृत्ति हड़प ली। जबकि दिगपाल सिंह के पिता चतर सिंह चौहान सरकारी ठेकेदार हैं और अच्छा खासा आयकर भी प्रदान करते हैं। किंतु इन्होंने कम आय का जाली सर्टिफिकेट बना कर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति हड़प ली। यह तो मात्र एक उदाहरण है, यदि ठीक से जांच की जाए तो और भी बड़े मामले खुल सकते हैं।
भाजपा सरकार ने नियमो के विरुद्ध दी इस कालेज को 90 बीघा जमीन
गौरतलब है कि भारतम् इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी को भाजपा सरकार ने ही 90 बीघा जमीन आवंटित की हुई है। भाजपा सरकार ने यह जमीन लीज पर देने के लिए तमाम नियम कायदों को बाकायदा कैबिनेट और विचलन के माध्यम से तोड़ा मरोड़ा है। यदि इसकी फाइल का जरा भी संज्ञान ले लिया जाए तो न सिर्फ यह जमीन वापस सरकार में समाहित हो सकती है बल्कि इस जमीन को लीज पर देने के लिए जिम्मेदार पूर्व मुख्यमंत्रियों तथा अधिकारियों पर भी कानूनी गाज गिर सकती है।
यह 90 बीघा जमीन पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी और पूर्व भाजपा सीएम तथा वर्तमान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने सीएम कार्यकाल में आवंटित कर दी थी।
देहरादून के संस्थानों पर अभी तक एसआईटी का ठंडा रुख होने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि इन संस्थानों के पीछे भाजपा के दिग्गज विधायक और केंद्रीय मंत्रियों का हाथ है। संभवतः इसीलिए एसआईटी पर ‘पिक एंड चूज’ के आधार पर कार्यवाही करने का आरोप लग रहा है।
सरकारी कर्मचारियों की करतूत
देहरादून के ग्राम बांसू (पोस्ट लखवाड़ कालसी तहसील) के रहने वाले बलदेव सिंह तोमर सरकारी कर्मचारी हैं और वर्तमान में पटवारी हैं। एक पटवारी का मासिक वेतन 50,000 से कम नहीं है, लेकिन इन्होने अपनी मासिक आय रुपये 20,139 दिखाई है। इनके पुत्र दीपक तोमर ने देहरादून इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से वर्ष 2015-16 में ₹80,500 छात्रवृत्ति प्राप्त की है।
दो और सरकारी कर्मचारियों का उदाहरण देखिए
चमन सिंह तोमर ग्राम व पोस्ट लखस्यार, तहसील कालसी एक सूबेदार पद से सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारी हैं। इनके पुत्र अमित तोमर ने डीडी इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी में बीएड में प्रवेश लिया और 16190 रुपए का कमाई का प्रमाण पत्र तहसील से बनाया। अमित तोमर ने समाज कल्याण विभाग में ₹45300 की छात्रवृत्ति हड़प की है।
ग्यारू दत्त जोशी ग्राम व पोस्ट ऑफिस विकासनगर, तहसील चकराता जिला देहरादून भी बैंक में सरकारी कर्मचारी हैं। इन्होंने तहसील चकराता से 6000 का मासिक आय प्रमाण पत्र बनाया जबकि इन्हें हजारों रुपए सैलरी मिलती है। इनके पुत्र विशाल जोशी ने अल्पाइन कॉलेज ऑफ़ एंड मैनेजमेंट देहरादून से वर्ष 2014-15 में पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के लिए ₹37300 की छात्रवृत्ति प्राप्त की।
हकीकत मे करोड़पति, कागजों में रोडपति
रघुवीर तोमर भी ग्राम व पोस्ट ऑफिस लखस्यार तहसील कालसी के निवासी हैं। रघुवीर तोमर कई सरकारी विभागों में ए श्रेणी के ठेकेदार के रूप में पंजीकृत हैं और एक निजी फर्म के मालिक भी हैं। सरकारी विभागों में इनके करोड़ों रुपए के कार्य चलते हैं रघुबीर तोमर ने तहसील से 4500 का मासिक आय प्रमाण पत्र बनवाया जबकि यह बड़े आयकर दाता हैं। इनके पुत्र सचिन तोमर ने ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी से बीटेक किया इन्होंने वर्ष 2014-15 में समाज कल्याण विभाग से 58500 की छात्रवृत्ति प्राप्त की।
केसर सिंह ग्राम बाढो कोरू तहसील चकराता ए श्रेणी के सरकारी ठेकेदार और आयकर दाता हैं। इनके पुत्र रणवीर सिंह ने इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के छात्र के रूप में वर्ष 2014-15 में पीएनबी डाकघर में अपना खाता खुलवा कर ₹55,300 की छात्रवृत्ति समाज कल्याण विभाग से हड़प ली। केसर सिंह ने अपना प्रमाण पत्र ₹6000 का बनवाया है। विकास नगर के दिनकर विहार निवासी सुंदराम शर्मा भी सरकारी ठेकेदार हैं और कई विभागों में रजिस्टर्ड हैं। इनके पुत्र विकास शर्मा ने अल्पाइन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी देहरादून में पॉलिटेक्निक डिप्लोमा में प्रवेश लिया तथा वर्ष 2016 -17 में समाज कल्याण विभाग से 37300 रुपए की छात्रवृत्ति हड़पी। सुंदराम ने अपना प्रमाण पत्र ₹ 3500 का तहसील से फर्जी ढंग से बनाया है।
विकासनगर के इसी दिनकर विहार निवासी अतर सिंह चौहान भी ए श्रेणी में पंजीकृत एक सरकारी ठेकेदार हैं और अच्छा खासा इनकम टैक्स भरते हैं लेकिन उन्होंने भी अपना 3500 का मासिक आय प्रमाण पत्र बनवाया। इनकी पुत्री दीपिका चौहान ने वर्ष 2012-13 में जीबी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी देहरादून से बीटेक तृतीय वर्ष में समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति हड़पी।
इससे साफ है कि सत्ता से सीधे पहुंच रखने वाले सरकारी कर्मचारियों और ठेकेदारों ने जमकर लूट मचाई और उनका अभी तक बाल भी बांका नही हुआ है।
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