छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी अभी तक हरिद्वार में ही उलझी हुई है अथवा वह अपनी जांच देहरादून से जुड़े कॉलेजों तक नहीं पहुंचाना चाहती ! अब इस पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
गौरतलब है कि शिक्षा सत्र 2012 से 2017-18 तक समाज कल्याण से लाखों रुपए की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति प्राप्त कर कम आय प्रमाण पत्र से मयंक नौटियाल पुत्र मुन्ना नौटियाल, सोनू तोमर पुत्री राजेंद्र सिंह तोमर एवं अंकिता तोमर पुत्री मदन सिंह तोमर ने जौलीग्रांट हिमालयन आयुर्वेदिक संस्थान से एमबीबीएस कोर्स हेतु अपात्र होने के बावजूद छात्रवृत्ति ली थी, जिसकी रिपोर्ट डोईवाला थाने में दर्ज है। इस प्रकरण की विवेचना थाना डालनवाला द्वारा की जा रही है।
फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति लेने वाले ऐसे लगभग 350 छात्रों के नाम पूरे सबूतों सहित पुलिस के पास मौजूद हैं लेकिन फिर भी मात्र दो तीन छात्रों के ऊपर कार्यवाही के बाद एसआईटी की खामोशी पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।
गौरतलब है कि लगभग तीन 350 छात्र सभी अपात्र हैं और इनके पिता या तो एक ए क्लास ठेकेदार हैं या फिर सरकारी विभागों में कार्यरत हैं अथवा सेवानिवृत्त हैं और सरकार को टैक्स भी देते हैं।
पर्वतजन ने अपनी तहकीकात में ऐसे कुछ नामों का पता लगाया है, जिन्होंने अपात्र होने के बावजूद कई कॉलेजों से छात्रवृत्तियां ठिकाने लगाई लेकिन एसआईटी उन पर खामोश है। उदाहरण के तौर पर
महावीर सिंह सहकारी बैंक कर्मचारी है। इसका देहरादून जिले के लखस्यार गांव (तहसील कालसी) में पक्का मकान है और जमीन के साथ-साथ सरकारी नौकरी है।
अलग अलग आय प्रमाण पत्र बनवा कर इन्होंने एक ही वर्ष में दो दो कॉलेजों में एडमिशन दिखाकर फर्जी तरीके से समाज कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति ली है।
महावीर सिंह की पुत्री आरती ने अपनी इनकम ₹6110 दिखा कर पहले दून घाटी कॉलेज डोईवाला से भी छात्रवृत्ति ली और उसी वर्ष द्रोणाचार्य कॉलेज एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट देहरादून से भी छात्रवृत्ति ली।
दून घाटी कॉलेज डोईवाला में उन्होंने खुद को बीबीए की छात्रा दिखाया, जबकि द्रोणाचार्य कॉलेज में खुद को बीएससी के रूप में एडमिशन दिखाया।
पहले कॉलेज से इन्होंने ₹71300 छात्रवृत्ति के रूप में ले लिए तथा दूसरे कॉलेज से ₹33800 छात्रवृत्ति के नाम पर हड़प लिए।
पहले कॉलेज से छात्रवृत्ति लेने के लिए ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स डोईवाला में खाता खुलवाया गया तो दूसरे कॉलेज के लिए केनरा बैंक विकास नगर में अकाउंट खुलवाया गया।
पर्वतजन ने इस छात्रा के नामांकन संख्याओं और बैंक खाता संख्याओं के आधार पर मालूम किया कि यह दोनों छात्रवृत्तियां वर्ष 2015 -16 में ली गई थीं।
ऐसा ही एक अन्य उदाहरण देखिए, दयाराम चौहान ए श्रेणी कांट्रेक्टर है। वर्तमान में विभिन्न विभागों में इनके 40-45 करोड़ रुपए लागत के कार्य चल रहे हैं तथा वार्षिक रिटर्न लगभग 29-30 लाख रुपया है।
इनके पास घोइरा में तथा डाकपत्थर में पक्का मकान है और कई प्लॉट, जेसीबी और ट्रक आदि हैं। वर्तमान में यह उप प्रमुख कालसी के पद पर हैं। इन्होंने भी कम आय प्रमाण पत्र बना कर समाज कल्याण से छात्रवृत्ति हड़पी।
इनके पुत्र सचिन चौहान ने हरिद्वार के रुड़की कॉलेज ऑफ पॉलिटेक्निक से छात्रवृत्ति के नाम पर ₹37300 हड़पे हैं।
महावीर सिंह तोमर तथा दयाराम के अतिरिक्त ऐसे कई अपात्र और लोगों ने भी तहसील से मिलकर निम्न आय वर्ग का फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाकर छात्रवृत्ति की धनराशि हड़प की। एसआईटी द्वारा शिकायत करने के बावजूद कोई कार्यवाही ना होते देख एक समाज सेवी को मजबूर होकर जनहित याचिका संख्या 67/2019 माननीय हाईकोर्ट न्यायालय में दायर की गई।
अधिवक्ता डीके जोशी द्वारा अवगत कराया गया है कि उक्त जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की डबल खंडपीठ द्वारा कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सीबीआई तथा राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। अब इसमें यह जानना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद एसआईटी इस प्रकरण में पूर्व में प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्रवाई करती है !
यदि एसआईटी इस मामले को जांच के लिए टेक अप करे तो यह पता चल सकता है कि फर्जी छात्रवृत्तियां दिलाने के नाम पर और गिरोह में कौन-कौन से लोग सक्रिय हैं। पर्वतजन की जानकारी के अनुसार एसआईटी के पास भी यह मामला जांच के लिए आया था लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसे में एसआईटी पर यह आरोप लग सकता है कि एसआईटी ‘पिक एंड चूज’ के आधार पर क्या किसी खास मकसद से जांच कर रही है !
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