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एक्सक्लूसिव : फल और दूध के काले कारोबार पर मानवाधिकार आयोग ने किया जवाब तलब

February 22, 2019
in पर्वतजन
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भूपेंद्र कुमार

देहरादून में दूध और फल में हो रही मिलावटी को लेकर उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग में अधिकारियों का जवाब तलब कर दिया है।

गौरतलब है कि मानवाधिकार कार्यकर्ता नरेश कुमार  तथा इस संवाददाता ने देहरादून में दवाइयों से पकाए जा रहे फलों से होने वाले स्वास्थ्य के नुक़सान को देखते हुए उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी।

नरेश कुमार ने उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग में 13 दिसंबर 2018 को मिलावटी दूध बेचने पर रोक लगाने के लिए तथा ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए अनुरोध किया था।

नरेश कुमार ने बताया कि देहरादून में दूध बेचने वाले दुकानदारों तथा डेरी वालों द्वारा पूरी संभावना है कि मिलावटी दूध बेचा जा रहा है।

दुकानों पर उन्होंने दूध के तीन-तीन चार-चार रेट लिखे हुए हैं एक ही दुकान में दूध के अनेक रेट आखिर क्यों गौरतलब है कि दुकानों में अधिकतर या दूध प्रदेश के बाहरी राज्यों सहारनपुर बिजनौर मुजफ्फरनगर आदि से आता है जो आधी रात अथवा अत्यंत सुबह सवेरे दुकानों में आता है।

संबंधित विभागों द्वारा भी कभी-कभार ही यह सुनने को आता है कि इन दूध बेचने वालों के दूध के सैंपलिंग की गई हो या उनके विरुद्ध कार्यवाही की गई हो।

बिना मिलीभगत के मिलावटी दूध बेचने की किसी दुकानदार की हिम्मत हो ही नहीं सकती।

नरेश कुमार ने आयोग से अनुरोध किया था कि प्रदेश के बाहर से जितना भी दूध उत्तराखंड में आ रहा है, उसको प्रदेश की सीमा पर सैंपल लेकर चेक करने की व्यवस्था करने के लिए खाद्य विभाग और पुलिस विभाग को निर्देशित कर के मिलावटी दूध तथा उसे बेचने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।

इस पर उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग खाद्य सुरक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर के जवाब तलब कर लिया है।

इस संवाददाता ने भी देहरादून निरंजनपुर स्थित सरकारी सब्जी मंडी तथा आढ़तियों की दुकानों में फल विक्रेताओं द्वारा केले आम आदि अन्य फलों को कार्बाइड तथा अन्य रसायनों से पकाने को लेकर जिला अधिकारी से शिकायत की थी गौरतलब है कि इन रसायनों से पकाए गए फल खाने पर इंसानों को कैंसर से लेकर कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

रसायनों से फल पकाना कानूनी रूप से भी अवैध है। यह शिकायत जिलाधिकारी से 19 फरवरी 2018 को की गई थी। किंतु जिलाधिकारी कार्यालय के स्तर से इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऐसे में 13 दिसंबर 2018 को मानव अधिकार आयोग में इसकी शिकायत की गई तो मानवाधिकार आयोग में इस मामले में भी खाद्य सुरक्षा अधिकारी का जवाब तलब कर दिया है। देखना यह है कि अफसर इस मामले में क्या कार्यवाही करते हैं।


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