लोकसभा चुनाव 2019 को शुरू हुए कुछ ही घंटे बीते थे कि भारतीय जनता पार्टी ने “मैं भी चौकीदार” की ऐसी सियासत शुरू की कि यह मामला अब चुनाव का एक बड़ा नारा बन चुका है।
भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी द्वारा “चौकीदार चोर है” के विरोध में “मैं भी चौकीदार” नाम से नया स्लोगन शुरू कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर त्रिवेंद्र रावत अपने आप को चौकीदार बताने में गर्व महसूस कर रहे हैं। कल टिहरी लोक सभा चुनाव के नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भाजपा के तमाम विधायक व संगठन के लोग अपने सर पर “मैं भी चौकीदार” नाम का पट्टा लगाए घूमते रहे किंतु टिहरी की सांसद राज्य लक्ष्मी शाह ने “मैं भी चौकीदार” का पट्टा लगाने से परहेज किया।
जिस दौर में राज्य लक्ष्मी शाह के लिए प्रचार करने और वोट मांगने के लिए भारतीय जनता पार्टी के लोग इस स्तर पर जाकर काम कर रहे हों, ऐसे में राज्य लक्ष्मी शाह की यह अदा उन्हें और पीछे धकेल गई।
रियासत गई तो सियासत अपना ली। सियासत में भी रियासत वाली ठसक बरकरार है। महारानी राज्य लक्ष्मी के नामांकन के दौरान एक और दिलचस्प वाकया हुआ। भाजपा के महानगर चुनावी कार्यालय के उदघाटन के वक़्त पूजा-पाठ के लिए महारानी ने जमीन में बैठने से साफ इंकार कर दिया। कुर्सी लाई गई, तब उन्होंने आचमन किया। हालांकि बताया जा रहा है कि उन्हें पालथी मारकर बैठने में शारीरिक दिक्कत है लेकिन तमाशबीनों ने सोशल मीडिया पर उनके कुर्सी में बैठे फोटोग्राफ को बड़े चटकारे ले कर वायरल कर दिया। देखना है कि चुनावों में इनका कितना असर होता है !