मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोष से भाजपा के विधायकों को करोड़ रुपए तक बांटे गए हैं, वहीं कांग्रेस के 11 विधायकों में से 3 को तो मात्र ₹50-50 हजार में ही टरका दिया गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को हराकर विधानसभा पहुंचने वाले कांग्रेस के विधायक करन माहरा को विवेकाधीन कोष से मात्र पिछले साल ₹25000 ही नसीब हो सके। इस साल उन्हें एक भी पैसा विवेकाधीन कोष से आवंटित नहीं किया गया है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की संस्तुति पर पिछले साल मात्र 50 हजार रुपए जारी किए गए तो इस साल मात्र ₹25000 ही वितरित किए गए।अर्थात 2 सालों में मात्र ₹75000 ही विवेकाधीन कोष से उनकी संस्तुति पर स्वीकृत किए गए।
पिछले दो सालों मे माननीय विधायकों और सांसदों तथा अन्य लोगों की संस्तुति पर वर्ष 2017-18 और वर्ष 2018-19 में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से करोड़ों रुपए गरीबों की मदद के नाम पर बांटे गए। किंतु इस बंटवारे में जमकर भेदभाव हुआ। कांग्रेस के विधायकों की संस्तुति पर करोड़ रुपए तक बांटे गए, वहीं 2 साल में कई कांग्रेसी विधायकों का आंकड़ा एक लाख भी क्रॉस नहीं कर सका।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की संस्तुति पर 17 करोड 46 लाख रुपए बांटे गए तो शहरी विकास मंत्री तथा शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक की संस्तुति पर एक करोड़ 13 लाख रुपए बांटे गए।
पेयजल मंत्री प्रकाश पंत की संस्तुति पर ₹92 लाख वितरित किए गए तो गणेश जोशी और उमेश कॉउ की संस्तुति पर क्रमशः 93लाख और ₹90लाख वितरित किए गए।
वहीं कांग्रेसी विधायक हरीश धामी, प्रीतम सिंह और गोविंद सिंह कुंजवाल की संस्तुति पर मात्र 50-50 हजार ही वितरित किए गए।
लोकतांत्रिक मान्यताओं और मर्यादाओं के अनुसार भी मुख्यमंत्री केवल एक पार्टी विशेष के नहीं होते बल्कि वह पूरे राज्य के होते हैं तथा सभी विधायकों के मुखिया भी होते हैं। ऐसे में कांग्रेसी विधायकों के नेतृत्व वाली विधानसभाओं में रहने वाली जनता के लिए इस तरह का आकाश-पाताल वाला भेदभाव कम से कम विवेकाधीन कोष के बंटवारे के मामले में न्याय संगत तो नहीं ही कहा जा सकता !
इस पर कांग्रेस के विधायक सवाल भी उठा रहे हैं। पर्वतजन की जानकारी के अनुसार अब कांग्रेस के विधायक के पास यदि कोई विवेकाधीन कोष की संस्तुति के लिए संपर्क करता है तो कांग्रेस के विधायक उन्हें सलाह देते हैं कि वह किसी भी छोटे-मोटे भाजपा के नेता के साथ चले जाएं तो उन्हें पक्का और ज्यादा धन मिल सकता है।