कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री के स्लॉटर हाउस बैन आदेश के एक दिन बाद राज्य में गाय, बैल, बछड़े की हत्या पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायालय ने गौवंशीय पशुओं को वध के लिए बेचने पर भी रोक लगा दी है ।
न्यायालय ने हरिद्वार निवासी अलीम की जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए राज्य के किसी भी व्यक्ति द्वारा गाय, बैल, बछड़े के वध(हत्या)पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायालय ने राज्य में गौमांस और गौमांस के उत्पाद की बिक्री पर रोक लगा दी है।
न्यायालय ने आज जारी अपने आदेश में राज्य के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों के चीफ इंजीनियर को निर्देश दिए है की वो सुनिश्चित करें कि सड़को पर कोई भी गौवंशीय पशु भूले भटके भी ना पाहुँच पाए । न्यायालय ने नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचयत के अधिशासी अभियंता और प्रधानों को ये सुनिश्चित करने को कहा है कि उनके क्षेत्र में आने वाली सड़कें भटककर आने वाले गौवंशीय पशुओं से खाली रहे ताकि ट्रैफिक बराबर चल सके।
न्यायालय ने राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिए है कि उनके द्वारा भटके जानवरों को हटाने में अत्यधिक सहानुभूति दिखाई जाए और जानवरो को गाड़ी के माध्यम से हटाने के दौरान गाड़ी की गति 10 से 15 किलोमीटर प्रति घण्टा रखी जाए । खण्डपीठ ने कहा है कि सरकार ये सुनिश्चित करे कि पशुओं को ट्रांसपोर्ट करने के दौरान उनके नाक, गले, पैर और कोई भी अंग को रस्सी से बुरी तरह ना बांधा जाए, सिर्फ उसे गद्दी(कुसन) लगाकर गर्दन से ही बांधा जाए।
न्यायालय ने अपने 40 पन्नों के आदेश में सभी धर्मों के गुरुओं को गौशाला बनाने में सरकार को सहयोग करने का अनुरोध किया है । कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने इसके साथ ही राज्य के सभी सरकारी पशुचिकित्सकों को भटके आवारा पशुओं का इलाज करने के निर्देश दिए है।