कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने चर्चित स्टिंग ऑपरेशन पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से स्क्रीनिंग और स्टिंग करने वाले उपकरणों पर सख्ती से रोक लगाने के फैसले को गलत ठहराया है।
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स्टिंग में दो आरोपियों की एफआईआर खारिज और गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका में उपस्थित सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी.एस.तुलसी ने बताया कि न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सरकार मीडिया के कुछ भी छापने के खिलाफ आतंक का माहौल बना रही है जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। न्यायालय ने भ्रष्टाचार(करप्शन)को रोकने के लिए स्टिंग ऑपरेशन को ठीक ठहराते हुए कहा कि स्टिंग ऑपरेशन को कोई बन्द नहीं कर सकता है। न्यायालय ने कहा है कि राजनीति, ब्यूरोक्रेसी और पुलिस के साथ मीडिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है इसलिए मीडिया को दबाने की वो इजाजत नहीं देंगे।
दिल्ली से पत्रकार प्रवीन साहनी और सौरभ साहनी के लिए पैरवी करने पहुँचे के.टी.एस.तुलसी ने कहा कि भ्रष्टाचार को सबके सामने लाने वाले मीडिया को सच कहीं बाहर ना निकल जाए, इस डर से डराया, धमकाया और दबाया जाता है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सभी को स्कैनिंग व स्क्रीनिंग करनी पड़ती है और यहां तक कि पगड़ी भी उतारनी पड़ती है। कहा कि अगर करप्शन नहीं हो रहा है तो सरकार को इतना क्या डर है कि उन्हें चश्मे और पैन में लगे कैमरे का डर है!
यहां करप्शन हो रहा है इसलिए न्यायालय के संरक्षण में मीडिया लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने न्यायालय का धन्यवाद देते हुए कहा कि पत्रकारों की इस लड़ाई को उन्होंने सराहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी.एस.तुलसी ने बताया कि न्यायालय ने दो पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस को सख्त लफ्जो में कहा है कि मामले में सच और झूठ की जांच करें।