विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज जहां लोकपाल जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा की उम्मीद थी, वहीं सारा कुछ धुल गया। सरकार में आश्वासन समिति के सदस्य व रानीखेत के विधायक करन महरा जब विधानसभा सचिवालय के वाहन से विधानसभा पहुंचे तो करन महरा के अनुसार विधानसभा गेट पर खड़े एक लंबे से पुलिसकर्मी ने उन्हें विधानसभा में जाने से रोक दिया। करन महरा के अनुसार पुलिसकर्मी ने करन महरा से गाड़ी का पास मांगा तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यह गाड़ी उनकी नहीं, बल्कि विधानसभा सचिवालय की है, जो आश्वासन समिति के सदस्य के नाते उन्हें विधानसभा छोडऩे आई है। इसके बावजूद पुलिसकर्मी ने करन महरा को नीचे उतरने का आदेश दिया। करन महरा उतरकर वहीं धरने पर बैठ गए कि आखिरकार एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को कैसे विधानसभा के भीतर जाने से रोका गया।
करन महरा के धरने पर बैठने के बाद कांग्रेस के शेष विधायक भी उनके समर्थन में धरने पर बैठ गए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, फुरकान अहमद, राजकुमार, हरीश धामी, मनोज रावत का कहना है कि सरकार ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर कांग्रेस विधायक के साथ अभद्रता करवाई, ताकि भ्रष्टाचार और लोकपाल जैसे मुद्दों पर चर्चा ही न हो सके।
करन महरा का कहना है कि उनके साथ घटित घटना विधानसभा गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकार्ड है। जिसका परीक्षण कर स्पष्ट किया जा सकता है कि विपक्ष के विधायक के साथ किस प्रकार अभद्रता की गई।