पंकज नैथानी//
योगी और त्रिवेंद्र की जुगलबंदी से दोनों सूबों की तकदीर बदलती दिख रही है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अब तक उत्तर प्रदेश से सौतेला व्यहवार होता आया था। मगर त्रिवेंद्र सरकार ने योगी आदित्यनाथ के सामने उत्तराखंड का पक्ष मजबूती से रखा और उसका नतीजा ये हुआ कि आज उत्तराखंड को यूपी से 3 बड़ी सौगातें मिली हैं।
पिछले दिनों एक तस्वीर मीडिया में वायरल हुई, जिसमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर गायों के साथ वक्त बिता रहे हैं। इस तस्वीर से एक और चर्चा आम हुई, वो चर्चा है, त्रिवेंद्र रावत और योगी आदित्यनाथ की जुगलबंदी। दरअसल पिछले कुछ समय में कम से कम तीन बार दोनों मुख्यमंत्री सौहार्दपूर्ण मुलाकात कर चुके हैं। मुख्यमंत्री पहली बार योगी के बुलावे पर 11 नवंबर को लखनऊ गए और परिसंपत्तियों के बंटवारे पर चर्चा की। इसके बाद 4 दिसंबर को त्रिवेंद्र रावत गोरखपुर गए और गोरखनाथ मंदिर में दोनों ने सुखद वक्त बिताया। इसके बाद 20 दिसंबर २०१७ को अचानक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने जन्मदिन के अवसर पर लखनऊ गए और योगी आदित्यनाथ के साथ अपना जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर उत्तराखंड और यूपी के बीच 17 साल से लंबित परिवहन करार पर मुहर लग गई। यानि दोनों नेताओं की सियासी गर्मजोशी दोनों प्रदेशों के हित में जमीन पर उतरने लगी। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच पिछले 17 साल से लटका हुआ परिवहन करार अब धरातल पर आया है, जो काम पिछले 17 साल में तमाम लोग नहीं कर पाए, उसे त्रिवेंद्र रावत और योगी आदित्यनाथ की जुगलबंदी ने अमलीजामा पहनाया।
त्रिवेंद्र रावत और योगी दो बार यूपी-उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों के विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए बात कर चुके हैं। यह दोनों नेताओं की जुगलबंदी का ही नतीजा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हरिद्वार के अलकनंदा रिसोर्ट को उत्तराखंड के सुपुर्द कर दिया है।
यही नहीं 36 नहरों को भी यूपी ने उत्तराखंड के हक में सौंप दिया है। इसके अलावा अन्य मामलों के भी जल्द सुलझने की उम्मीद प्रबल हो गई है। यह बड़ी उपलब्धि है और इसका श्रेय भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को ही जाता है।
अब जरा दोनों नेताओं के कनेक्शन की बात करें तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जयहरीखाल ब्लॉक के पंचुर गांव से संबंध रखते हैं, जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत जयहरीखाल ब्लॉक के खैरासैंण गांव से हैं। यानि दोनों नेताओं की जन्मभूमि एक ही जिले के एक ही ब्लॉक में है।
यूपी में योगी एक मुख्यमंत्री से ज्यादा लोगों का दिल जीतने वाले मुख्यमंत्री साबित हो रहे हैं। वो जो काम करते हैं, उसे दिल खोलकर और बोलकर करते हैं और उसे नतीजे तक पहुंचाते हैं। इसके उलट त्रिवेंद्र रावत शांत छवि और मृदुभाषी हैं। त्रिवेंद्र बोलने से ज्यादा करने में यकीन करते हैं और अपनी योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाकर ही उस विषय पर बोलते हैं। योगी ने अपने सख्त प्रशासनिक तेवरों से यूपी में अपराध पर लगाम कसी है, किसानों का ऋण माफ किया है। वहीं त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड के सबसे बड़ी समस्या पलायन पर मंथन करके ठोस रणनीति बनाई है।
एक और कनेक्शन दोनों नेताओं को जोड़ता है और वो है ‘गौ’ प्रेम। यह बात सब जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ को गायों से कितना लगाव है। गोरखधाम में उनकी एक बड़ी गौशाला है। वे जब भी वहां जाते हैं, गायों के बीच वक्त जरूर बिताते हैं। इसी तरह त्रिवेंद्र रावत ने भी मुख्यमंत्री आवास में गौशाला बनाई है। वे शाम को गौशाला में थोड़ा सा समय जरूर बिताते हैं और उनकी सेवा करते हैं।
दोनों प्रदेशों के बीच जिस तरह का तालमेल इस वक्त दिख रहा है, उत्तराखंड निर्माण के बाद से शायद ही पहले कभी रहा हो। इसका कारण ये भी है कि त्रिवेंद्र रावत और योगी आदित्यनाथ के व्यक्तिगत तालमेल से एक स्वस्थ माहौल बना है। इसलिए आम जनमानस में ये आशा है कि इस आपसी समांजस्य से दोनों प्रदेशों के आपसी मसले सुलझेंगे