पर्वतजन की खबर का स्वास्थ्य सचिव ने लिया संज्ञान
देहरादून । गायब डाॅक्टरों की होगी अब विजिलेंस जांच? जी हां आपके लोकप्रिय न्यूज पोर्टल ने इस खबर को प्रमुखता के साथ उठाया था कि कुछ डाॅक्टर पहाड़ों पर ट्रांसफर के बाद से मेडिकल पर चल रहे हैं। यहीं नहीं मेडिकल के दौरान कई डाॅक्टरों के खुद का निजी क्लीनिक खोले होने के समाचार भी न्यूज पोर्टल को मिले। जिनमें से दो डाॅक्टरों के बारे में हमने पूरे तथ्यों के साथ अपने पोर्टल में खबर प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान लेकर स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने तुंरत कार्यवाही करते हुए विजिलेंस जांच बैठा दी है।
राज्य सरकार जहां स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के प्रयास कर रही है, कुछ डॉक्टर इन प्रयासों को धता बता रहे हैं। वह विभाग की लचर कार्यप्रणाली का जमकर माखौल उड़ा रहे हैं। वहीं पिछले साल तबादले के बाद उन्होंने ज्वाइन जरूर किया पर इसके बाद फिर ड्यूटी नहीं गए। इनमें ऐसे भी डॉक्टर हैं जिन्होंने नई तैनाती स्थल के पास ही क्लीनिक खोलकर प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर दी। हाल में ऋषिकेश में इस तरह के दो मामले सामने आ चुके हैं। जबकि नियमानुसार सरकारी सेवा में रहते डॉक्टर खुद के नाम से निजी क्लीनिक नहीं खोल सकता। कई और भी डॉक्टर इसी तरह विभाग की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। जिन पर अब शासन ने विजिलेंस जांच बैठा दी है। स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने इसकी पुष्टि की है।
गौरतलब है कि डाॅक्टर ऋचा रतूड़ी का तबादला संयुक्त चिकित्साल, ऋषिकेश से जिला चिकित्सालय, रूद्रप्रयाग हुआ। डाॅक्टर महेश सैनी का तबादला भी संयुक्त चिकित्साल, ऋषिकेश से जिला चिकित्सालय चंपावत में हुआ। तबादले की बाद से यह दोनों डाॅक्टर ज्वाइन करने के साथ ही मेडिकल लीव पर चले गए। यहां तक तो सब ठीक है। डाॅक्टर को मेडिकल लीव लेने का पूरा अधिकार है। लेकिन असली कहानी यहां से शुरू होती है, मेडिकल लीव पर चल रहे इन दोनों ही डाॅक्टरों ने संयुक्त चिकित्सालय ऋषिकेश के सामने ही अपने निजी क्लीनिक खोल कर उसमें मरीज देखने शुरू कर दिए। जबकि सरकारी आदेशों में साफ है कि सरकारी सेवा में रहते हुए कोई भी डाॅक्टर खुद के नाम से निजी क्लीनिक नहीं खोल सकता है। जबकि यह दोनों डाॅक्टर अभी भी सरकारी सेवा में हैं और सरकार द्वारा दिए जाने वाले वेतन भी ले रहे हैं या मेडिकल खत्म होने का बाद पूरा वेतन लेंगे।