विभागीय मिलीभगत से पुल पर कब्जा।
घटिया गुणवत्ता पर सचिव के निर्देश रद्दी की टोकरी में।
कार्यवाही के बजाय थमाया ट्रांसफर का आदेश। वो भी गया रद्दी में। अपनी ही कायदे कानून चलाता है वर्ड बैंक आपदा खंड।नालूणा पुल की अप्रोच मार्ग पर बनवा दी दुकान और होटल। Sdm ने निर्माण पर लगायी रोक।
गिरीश गैरोला
दैवी आपदा से पिछड़ गए सीमांत जनपद को आधारभूत सुविधाओं से जोड़ने के लिए विश्व बैंक से मिल रही आर्थिक मदद की विभागीय अधिकारी बन्दर बाँट में लगे है। पुल निर्माण में घटिया निर्माण की बात हो अथवा सरकारी जमीन पर जानबूझकर अतिक्रमण करवाने की बात, शासन स्तर से जारी निर्देश भी इन अधिकारियो का बाल बाँका नहीं कर सके। विभागीय अधिकारियों की हनक ऐसी कि कार्यवाही तो दूर ट्रांसफर के आदेश को भी रद्दी की टोकरी में सजा दिया। धन्य है ज़ीरो टॉलरेंस की सरकार, खाते भी हो और खिलाते भी हो।
गंगोत्री राजमार्ग पर नालूणा से स्याबा गांव को जोड़ने वाले पुल की अप्रोच मार्ग पर विभागीय मिलीभगत से अतिक्रमण हो गया है। आलम ये है कि करोड़ों की लागत से तैयार होने वाले इस पुल के बनने से पहले ही इसकी पहुंच मार्ग पर एक तरफ एक दुकान तो पहले से ही सरकारी जमीन पर बनायी गयी जबकि दूसरी तरफ होटल का निर्माण चल रहा है। मौके पर पहुंचे एसडीएम ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए राजस्व विभाग की एक टीम को जांच के लिए भेज दिया है।
लोक निर्माण विभाग का वर्ड बैंक( खंड उत्तरकाशी) यहाँ करोड़ों की लागत से पुल निर्माण कर रहा है। पुल निर्माण के लिए विभाग ने आसपास के काश्तकारों से की भूमि का अधिग्रहण कर उसका मुआवजा बांटने के बाद पुल निर्माण कार्य शुरू किया। किंतु सोची समझी रणनीति के तहत महज 30 वर्ग मीटर की जमीन का उपयोग न होने का हवाला देते हुए काश्तकार को पत्र लिखकर बताया कि उसकी जमीन का पुल निर्माण में कोई जरूरत नहीं है लिहाजा उसका मुआवजा नहीं दिया जा सकता। सैंज गांव के काश्तकार अजय पाल सिंह राणा ने विभाग से पत्र मिलने के बाद उस स्थान पर होटल निर्माण कार्य शुरू कर दिया ।
इससे पूर्व पुल के एप्रोच पर एक और अन्य अतिक्रमण विभागीय मिलीभगत से हो चुका है जिस पर विभाग द्वारा अपने स्तर से ही अतिक्रमणकारी को नोटिस जारी किए गए और इसकी कोई सूचना जिला प्रशासन अथवा राजस्व विभाग को नहीं दी गई। अब सवाल यह है की स्याबा गांव को जोड़ने वाले लाइट मोटर व्हीकल पुल तक हल्के वाहन आखिर पहुंचेंगे कैसे जब उसके मुंह पर ही एप्रोच रोड पर ही अतिक्रमण हो गया हो ।
SDM भटवाड़ी देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि उन्होंने मौके पर हो रहे निर्माण को रुकवा दिया है और एक टीम को मौके पर जांच के लिए भेज दिया है जांच टीम की रिपोर्ट के बाद ही कोई कार्यवाही की जाएगी।
इतना ही नहीं विभाग वर्ल्ड बैंक आपदा खंड लोक निर्माण विभाग उत्तरकाशी की विवादित कार्यशैली पर पूर्व में भी प्रश्नचिन्ह लग चुके है। जब पुल निर्माण में प्रयोग होने वाली लोहे की प्लेट जांच सैंपल में फेल हो गई थी। जांच रिपोर्ट देखने के बाद विभागीय सचिव ने “घटिया प्लेटों को हटाकर वीडियोग्राफी कर नई प्लेट लगाने हैं”, के निर्देश विभाग को दिए किंतु आज भी वह उन निर्देशों पर कोई अमल नहीं हो पाया।
वहीं खबर की सत्यता जांचने के लिए जब हमारी टीम वर्ड बैंक आपदा खंड के कार्यालय में पहुंची तो वहां पर न तो अधिशासी अभियंता मौके पर मिले और न ही सहायक अभियंता अथवा कनिष्ठ अभियंता
अभियंता रमेश चंद्रा ने बताया कि पूर्व में आईआईटी रुड़की जांच में फेल लोहे की प्लेट को दो अन्य निजी लैब ने पास कर लिया है, जिसे नियमानुसार पुल में उपयोग किया जा सकता है किंतु उनके प्रोजेक्ट मैनेजर इस बात के लिए राजी नहीं हैं। लिहाजा पुल निर्माण कार्य रुका हुआ है। वही पुल के एप्रोच पर अतिक्रमण को लेकर उन्होंने स्वीकार किया कि 30 वर्ग मीटर जमीन का का भूस्वामी को मुआवजा नहीं दिया गया था । जबकि सरकारी जमीन पर बनी अवैध दुकान को विभाग से दुकान निर्माण में खर्च धनराशि देकर अतिक्रमण हटाया जाएगा , इसके लिए विभाग में बजट की व्यवस्था की जा रही है ।
पर्वतजन संवाददाता ने मौके का जायजा लिया। बड़ा सवाल ये है कि करोडों की लागत के पुल निर्माण के लिए जमीन का जब अधिग्रहण किया गया, उस वक्त महज 30 वर्गमीटर जमीन क्यों जानबूझकर छोड़ दी गयी? पुल की अप्रोच पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनी दुकान को हटाने की बजाय केवल अपने स्तर से ही नोटिस जारी किये गए जिसकी कोई सुचना जिला प्रशासन को नहीं दी गयी और अब अतिक्रमण की जमीन पर निर्मित भवन का मुआवजा दिए जाने की तैयारी की जा रही है। वर्ल्ड बैंक के अधिकारी की माने तो इसका प्रविधान है तो क्या ये सब इसीलिए किया जा रहा था?