मुख्यमंत्री के जीरो टालरेंस की हवा निकालते पार्ट टाइम फिटर !
अरूण पांडेय।
पौड़ी गढ़वाल। पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल विकास खंड के अंतर्गत जल संस्थान की असगड-घण्डियाल समूह पेयजल योजना से लाभान्वित होने वाले उपभोक्ता जल संस्थान के लचर प्रबंधन के कारण पानी की बूंद बूंद को मोहताज हो गए। जल संस्थान द्वारा दर्जनों गांवों की पेयजल व्यवस्था को संविदा कर्मियों के भरोसे छोड़ दिया गया।
वितरण प्रबंधन की खामियों से बूंद बूंद को तरसे ग्रामीण
असगड-घण्डियाल-गडकोट पेयजल योजना पर जल दबाव संतोषजनक होने के बावजूद नियमित व पार्ट टाइम फिटरों की मनमानी के कारण अनेक ग्रामीणों को सप्ताह में एक दिन भी पानी नही मिल पा रहा है। घण्डियाल गांव के रतनपुर क्षेत्र के उपभोक्ता मातबर सिंह, त्रिलोक सिंह व गिरीश आदि ने बताया कि जल संस्थान की कर्मियों द्वारा उनके इलाके में हर चौथे दिन में एक बार पानी की आपूर्ति का नियम बनाया गया है। लेकिन इस लाइन पर तैनात एक नियमित और अन्य पार्ट टाइम फिटरों द्वारा मनमाने तरीके से पानी का वितरण किया का रहा है। जिसके कारण ग्रामीण बूंद बूंद को तरस रहे हैं।
सोशल मीडिया में यह मुद्दा काफी गर्माया हुआ है। गिरीश रावत फिटरों को निशाने पर लेते हुए कहते हैं कि पेयजल विभाग के मामूली फिटर अपने आप को इंजीनियर समझने लग गये हैं। मनियारस्यूं पट्टी के घंडियाल कस्बे में प्रयाप्त पानी के बावजूद मनमानी कर रहे हैं। बिना घूस खाये पानी न देना फिटरों की आदत में शुमार हो गाय है। दारू मुर्गा के शौकीन फिटरों के हलक में बिना रिश्वत के काम करना नहीं रह गया है। फिटर घूस लेकर मिलीभगत कर पानी देते हें। उन्होंने इन फिटरों को बर्खास्त कर इनकी जगह बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की अपील की है। गिरीश सहित बड़ी संख्या में लोग फिटरों पर पानी बेचने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। पेयजल विभाग के आलाअधिकारियों को सोचना होगा कि अगर ऐसा है तो यह वेहद गंभीर मामला है, जीरो टालरेंस की सरकार की राज में रिश्वत, घूसखोरी।
सोशल मीडिया में आरोप फिटरों द्वारा बेचा जा रहा है पानी
इस इलाके में किराए के मकान में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार राकेश बिजल्वाण बताते हैं कि वह घण्डियाल में किराए का घर लेकर रह रहे हैं, लेकिन बीते एक माह से उन्हें एक बूंद पानी भी नही मिल पाया है। उनका कहना है कि स्थानीय उपभोक्ताओं ने बताया कि जल संस्थान द्वारा पार्ट टाइम के आधार पर रखे गए फिटरों द्वारा पानी बेचा जा रहा है। पानी की लाइन में पानी का दबाव पर्याप्त होने के बावजूद उपभोक्ताओं को हफ्तों तक पानी नही मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि त्रिवेन्द्र सरकार रिर्वस पलायन की बात करती है ऐसे में कौन रिर्वस पलायन करेगा। मैं तो रिर्वस पलायन कर पानी की बूंद बूंद के लिये मोहताज हो गया हूं। कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार राकेश बिजल्वाण का कहना है कि यदि जल संस्थान जैसे विभाग इसी प्रकार तानाशाही रवैये को अख्तियार रखेंगे तो पहाड़ में रिवर्स पलायन तो दूर पलायन की दर को काबू में रखना भी सम्भव न होगा। लब्बोलुआब यह कि पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित रख कर जल संस्थान द्वारा ग्रामीणों के मानव अधिकारों का भी उल्लंघन किया जा रहा है।