कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने 11 मार्च 2018 को सुरक्षित किये अपने आदेश को आज सुनाते हुए प्रदेश के पुलिस कर्मियों को बड़ी राहत दी है ।
हाईकोर्ट ने आज महत्वपूर्ण फैसला देते हुए राज्य सरकार को पुलिसकर्मियों से नियमित तौर पर आठ घंटे से अधिक ड्यूटी ना लेने के आदेश पारित किया है। साथ ही साल में 45 दिन की अतिरिक्त सैलरी देने को भी कहा है।
हरिद्वार निवासी अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा था राज्य में पुलिसकर्मी हररोज 10 से 15 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं । जिस कारण उनके लिए जीने के हालात कठिन होते जा रहे हैं। याचिका में सरकार को उचित दिशा निर्देश देने का आग्रह किया गया था। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मंगलवार को जनहित याचिका पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने राज्य पुलिस सुधार आयोग की सिफारिश पर पुलिस कल्याण के लिए तीन माह में कॉर्प्स फंड बनाने, आवासीय स्थिति में सुधार के लिए हाउसिंग स्कीम बनाने, हर पुलिसकर्मी को सेवा काल में तीन पदोन्नति के लिए पुलिस नियमावली में जरूरी संशोधन करने, अवकाश मामलों में उदार रवैया अपनाने, रिक्तियों को भरने के लिए विशेष चयन आयोग का गठन करने, हर पुलिस स्टेशन व पुलिस की हाउसिंग कालोनी में जिम व स्विमिंग पूल बनाने आदि अहम दिशा निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं।
इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि पुलिस कर्मियों द्वारा दबाव के चलते “मिशन आक्रोश” और “मिशन महाव्रत” जैसे कदम उठाए जाने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी।
अपने आदेश में न्यायालय ने निम्न आदेश दिए हैं :-
(1) उत्तरदायी-राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि पुलिस कर्मियों को खिंचाव(स्ट्रैस) पर आठ घंटे से अधिक समय तक काम नहीं करना पड़ेगा।
(2)राज्य सरकार को कठोर कर्तव्यों का पालन करने के लिए पुलिस कर्मियों की सेवा की शर्तों में सुधार के लिए कम से कम पैंतालिस(45) दिन का अतिरिक्त वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है।
(3)राज्य सरकार को पुलिस बल के कल्याण के लिए आज से तीन महीने की अवधि के भीतर 13.04.2012 को गठित एक सदस्यीय राज्य पुलिस सुधार आयोग की सिफारिश के अनुसार कॉर्पस बनाने का निर्देश दिया गया है।
(4)राज्य सरकार को पुलिस बल की आवासीय स्थितियों में सुधार के लिए पुलिस कर्मियों के लिए आवास योजना शुरू करने की सलाह दी जाती है।
(5) उत्तरदाता-राज्य को ठहराव को हटाने और दक्षता में सुधार के लिए अपने पूरे करियर में पुलिस कर्मियों को कम से कम तीन पदोन्नति प्रदान करके नियमों में उचित संशोधन करने का निर्देश दिया जाता है।
(6) पुलिस विभाग को पुलिस कर्मियों को छुट्टियां देने में उदार होने का निर्देश दिया गया है। पुलिस बल के परिवार के सदस्यों को कर्तव्य की पंक्ति में शारीरिक चोटों, अक्षमता या मृत्यु प्राप्त करने वाले पुलिस कर्मियों की स्थिति में उचित रूप से मुआवजा दिया जाना चाहिए।
(7) राज्य सरकार को विशेष रूप से पुलिस बल के लिए योग्य डॉक्टरों की भर्ती करने के लिए कहा गया है।
(8) राज्य सरकार को रिक्तियों को भरने के लिए पुलिस कर्मियों की भर्ती के लिए विशेष चयन बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया गया है।
(9) राज्य सरकार को पुलिस स्टेशनों और आवासीय कॉलोनी में जिम और स्विमिंग पूल इत्यादि सहित मनोरंजक सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया गया है।
(10)राज्य सरकार को हर जिले में मनोचिकित्सक की नियुक्ति करने का निर्देश दिया जाता है, जो पुलिस कर्मियों को जबरदस्त दबाव और तनाव के समय सलाह देगा ।
(11) राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया जाता है कि यातायात पुलिस को गर्मियों में अपने कर्तव्यों को निर्वहन करने के दौरान रोटेशन सिस्टम लगाकर पर्याप्त ब्रेक दिया जाए।
(12) यातायात पुलिस को यातायात कर्तव्यों को निर्वहन करते समय उन्हें हानिकारक गैसों और धुएं से बचाने के लिए मास्क प्रदान किए जाने चाहिए।
(13) सभी पुलिसकर्मियों को स्वस्थ रखने के लिए तीन तीन माह में चिकित्सा का आंकलन करना चाहिए ।
(14) उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को ये भी निर्देश दिए हैं कि अच्छी और जनप्रिय पुलिसिंग के लिए पुलिस शिफ्ट में कार्य करे ।
इसी के साथ अपने 67 पन्नों के आदेश में न्यायालय ने पुलिस कर्मियों को फिलहाल काफी राहत प्रदान की है ।