गिरीश गैरोला
अक्षय तृतीया के पावन मौके पर गंगोत्री धाम के कपाट 18 अप्रैल को विधि विधान के साथ दो पहर 1:15 पर शुभ मुहर्त में खोल दिये जायेंगे।
इससे पूर्व 17 अप्रैल को गंगा के मायके मुखवा में शीतकाल के 6 माह निवास करने के बाद गंगा मैया की उत्सव डोली भक्तों के कंधों पर भारतीय सेना की बैंड धुन और स्थानीय बाध्य यंत्रों के साथ पैदल मार्ग से मारकण्डेय मंदिर देवी मंदिर और जांगला होते हुए भैरव घाटी पहुंच चुकी है। यहां के भैरव देवता गंगा मैया के द्वारपाल माने जाते हैं इसीलिए श्रद्धालु गंगीत्री दर्शन से पूर्व भैरव मंदिर के दर्शन करना नही भूलते।
डोली यात्रा का रात्रि विश्राम भैरव मंदिर में ही होता है।
अगले दिन सुबह 7 बजे फिर से पैदल डोली यात्रा शुरू होती है और करीब 11 बजे गंगीत्री धाम में पहुंचती है। यहां गंगा लहरी पाठ बिष्णु सहस्रनाम पाठ शुरू होता है और 18 अप्रैल को ठीक 1:15 पर गंगोत्री के कपाट खोल दिये जाएंगे।