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गो संरक्षकों को पहचान पत्र देने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड

August 5, 2018
in पर्वतजन
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मामचन्द शाह

उत्तराखंड गो सेवा आयोग ने गो रक्षकों के नाम को संशोधित कर अब गो संरक्षकों को पहचान पत्र देने का निर्णय लिया है। इसी के साथ उत्तराखंड देशभर में ऐसा पहला राज्य होगा, जो गो संरक्षकों को पहचान पत्र जारी करेगा। इसके अलावा गौवंश को सड़कों पर लावारिश छोडऩे वाले पशुपालकों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने की तैयारी की जा रही है।
उत्तराखंड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताई थी। तब गो सेवा आयोग की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि आयोग राज्य में  जिला पशु क्रूरता निवारण समितियों(SPCA) के माध्यम से वास्तविक गौरक्षकों को चिन्हित करवाकर उन्हें पहचान पत्र जारी करेगा, लेकिन वर्तमान में गौ रक्षा के नाम पर तमाम जगह हो रहे हिंसक वारदातों के चलते अब गो रक्षक के स्थान पर आयोग ने गो संरक्षक का नाम चयनित कर लिया है। ऐसे में एसपीसीए द्वारा जांच-पड़ताल के बाद अब प्रदेशभर में गो संरक्षकों को पहचान पत्र देने की प्रक्रिया चल रही है। गो संरक्षकों का काम सिर्फ इतना है कि उनके द्वारा संबंधित संस्थानों तक प्रथम सूचना प्रदान करना है, न कि स्वयं मोर्चा संभालना।


अब सड़कों पर अवारा गाय छोडऩे वाले पशुपालकों, गौवंश को जख्मी कर भागने वाले वाहन चालकों, दूध दुहने से पूर्व ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाने वालों एवं आयोग के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन न करने वालों को किसी भी हाल में नहीं बख्शा जाएगा।
श्री रावत ने कहा कि राज्य में गो तस्करी व गौ हत्या पर प्रभावी रोक लगाने हेतु पुलिस चेक पोस्ट पर वाहनों की गहन जांच करने एवं गोवंश के प्रति क्रूरता एवं गौ तस्करी व गोकशी अपराध में संलिप्त अपराधियों के विरुद्ध उत्तराखंड गोवंश संरक्षण अधिनियम 2007 के अंतर्गत कठोर कार्यवाही की जाएगी। साथ ही सड़क मार्ग पर ऐसे वाहन चालकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए, जो वाहन से गोवंश को घायल कर मरणासन्न स्थिति में छोड़कर भाग जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ पुलिस द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती। यही नहीं अब गोवंश के अलाभकारी होने की स्थिति में अथवा दूध दुहने के उपरांत सड़कों पर स्वच्छंद विचरण हेतु छोडऩे वाली पशुपालकों के विरुद्ध उत्तराखंड गोवंश संरक्षण अधिनियम 2007 की धारा 7 व 11 (3) के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
अध्यक्ष नरेंद्र सिंह रावत बताते हैं कि पशु अधिकारों के संरक्षण एवं आवारा पशुओं के संरक्षण प्रदान किए जाने हेतु उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा पारित आदेश 27 अक्टूबर 2016 में स्थानीय निकायों, नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों और 10 ग्राम पंचायतों की समूह सहित छह माह के भीतर गौशाला/गौ सदन या गायों और आवारा पशुओं की शेल्टर (शरण गृहों) का निर्माण करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आज भी इसका परिणाम कहीं नहीं दिखाई दे रहा। इस पर उन्होंने उन निर्देशों का अनुपालन शीघ्र सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने वन विभाग द्वारा वन पंचायतों में निर्मित 102 गौ सदनों की जांच हेतु आयोग की सदस्य गौरी मौलखी की अध्यक्षता में गठित जांच समिति द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट पर अग्रेतर कार्यवाही न किए जाने पर अप्रसन्नता जताते हुए तत्काल दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
यही नहीं राज्य शहरी विकास विभाग द्वारा चतुर्थ राज्य वित्त आयोग द्वारा आवारा पशुओं हेतु अवस्था पुननिर्माण योजना के अंतर्गत 4 वर्षों हेतु संस्तुत धनराशि रुपए 10 करोड़ का अभी तक उपयोग न करने पर श्री रावत ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने नगर निकायों में शरणस्थल बनाए जाने हेतु शासन को तत्काल प्रस्ताव प्रेषित करने के निर्देश दिए।
उन्होंने गाय एवं अन्य दुधारू पशुओं पर दूध होने से पूर्व ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग करने वाले पशुपालकों के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 12 के तहत कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए प्रत्येक जनपद में संबंधित विभागों की टीम गठित की जाएगी, जो समय-समय पर नियमित रूप से गौशालाओं का निरीक्षण करेगी। राज्य में चयनित गोचर भूमि का उपयोग निराश्रित गोवंश की शरणगृहों/शरणस्थली बनाए जाने एवं उनके चारागाह हेतु उपयोग में लाने को कहा गया है। हरिद्वार व चमोली के जिलाधिकारियों द्वारा अभी तक गौचर भूमि की सूचना उपलब्ध न कराए जाने पर अध्यक्ष ने अप्रसन्नता जताते हुए संबंधित जिलाधिकारियों को तत्काल सूचना उपलब्ध कराने को कहा है।
श्री रावत ने पशुपालन विभाग की पशुलोक क्षेत्र स्थित प्रयोगशाला को गौ ऊतकों के परीक्षण हेतु यथाशीघ्र अधिसूचित किए जाने के निर्देश दिए हैं। आयोग के कार्मिकों का ढांचा अति शीघ्र स्वीकृति हेतु निदेशक पशुपालन को कार्रवाई करने को कहा गया है। मान्यता प्राप्त गौ सदनों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु सरकारी विभागों द्वारा गोबर व गोमूत्र से निर्मित उत्पादों को क्रय किए जाने के संबंध में यथाशीघ्र कार्रवाई करने हेतु कृषि पशुपालन उद्यान तथा वन विभाग को निर्देश दिए गए।


इसके साथ ही उत्तराखंड गौ सेवा आयोग की सामान्य कार्यकारिणी की बैठक में कई प्रस्ताव भी पारित किए गए। उत्तराखंड गौ सेवा आयोग की प्रस्तावित नियमावली प्रस्तुत की गई तथा निर्णय लिया गया कि सभी सदस्यों द्वारा अध्ययन के उपरांत आयोग की अगली बैठक में इसे पारित किया जाएगा। राज्य के आयुष विभाग द्वारा गोमूत्र अर्क तथा पंचगव्य से निर्मित औषधियों को बढ़ावा देने हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सा में रोगियों के उपचार में इसका अधिकाधिक उपयोग किए जाने सहित राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद की मंडी शुल्क से प्राप्त होने वाली आय का एक प्रतिशत गोवंश के संरक्षण एवं कल्याण पर खर्च किया जाएगा। राज्य में वनों के समीप निराश्रित गोवंश हेतु गौ अभ्यारण्य बनाए जाने, प्रदेश की समस्त जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में गोवंश संरक्षण समितियां गठित किए जाने, राज्य के सभी मान्यता प्राप्त गौ सदनों में उद्यान एवं वन विभाग द्वारा निशुल्क वृक्षारोपण करने, गौ सदनों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाए जाने हेतु गोवंश के गोबर से गैस, गमले, डंडे (काऊ डंग लॉग) दीये, अगरबत्ती आदि तथा गोमूत्र से फिनायल, गोमूत्र अर्क इत्यादि बनाए जाने हेतु आवश्यक संयंत्रों/मशीनों की खरीद पर सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान दिए जाने तथा जेलों में जहां भी पर्याप्त स्थान है, गौशाला/गौ सदन बनाए जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया।


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