नई दिल्ली: चीन से होने वाले भारी भरकम व्यापार में तेजी से बढ़ रहे घाटे को संतुलित करने के लिए भारत ठोस उपायों पर गौर कर रहा है। ऐसा भी संभव है कि भारतीय बाजार में आने वाले चाइनीज सामानों पर दी जा रही ड्यूटी छूट को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए। हालांकि भारत ने अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। गौरतलब है कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री मिनिस्टर निर्मला सीतारमण फिलीपींस में 3-4 नवंबर को आयोजित होने जा रही मंत्री स्तरीय चर्चा में नए तरीकों पर चर्चा कर सकती हैं। कितना है भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा: वित्त वर्ष 2015-16 में भारत से चीन को होने वाला कुल निर्यात 9 बिलियन डॉलर (600 अरब रुपये) का था, जबकि आयात 61.7 बिलियन डॉलर (4100 अरब रुपये) था। वहीं भारत का चीन के साथ व्यापार घाट 52.7 बिलियन डॉलर (करीब 3500 अरब रुपये) है। जानकारी के मुताबिक भारत चीन से आयात होने वाले सामानों की अलग से नेगेटिव लिस्ट तैयार कर सकता है। इन सामान को चीन से आयात करने पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) व्यापार समझौते के तहत या तो सीमित टैरिफ छूट दी जाएगी या तो इन्हें छूट के दायरे से पूरी तरह बाहर रखा जाएगा। क्या है आरसीईपी: दरअसल आरसीईपी 16 देशों के बीच सामान, सेवा, निवेश, प्रतियोगिता, आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग, विवाद निपटारा एवं बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित व्यापक स्वतंत्र व्यापार करार है। इसमे 10 सदस्य असोसिएशन ऑफ साउथ साउथईस्ट एशियन नेशंस के शामिल हैं। छह स्वतंत्र व्यापार करार भागीदारों में ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड प्रमुख हैं।