मामचन्द शाह
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस को लेकर भले ही अभी तक सरकार कुछ कर दिखाने की हिम्मत बड़े स्तर पर नहीं कर सकी, किंतु एनएच ७४ को खोलने वाले तत्कालीन आईएएस डी. सेंथिल पांडियन एक बार फिर चिर-परिचित अंदाज में कार्यवाही करते दिखाई दिए।
डी. सेंथिल पांडियन को तब एनएच-७४ घोटाले की जांच के बाद कुमाऊं कमिश्नर के पद से हटा दिया गया था। जिस पर सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। पांडियन ने वर्तमान में सचिव उद्यान के साथ-साथ परिवहन, कृषि शिक्षा, कृषि एवं कृषि विपणन व ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के सचिव भी हैं।
कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर कुछ कड़े निर्देश दिए कि किसी भी व्यक्ति का अपने वाहन पर पदनाम लिखना प्रभाव का इस्तेमाल करना माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ताकतवर लोगों द्वारा इस प्रकार पदनाम के दुरुपयोग का संज्ञान लेते हुए वाहन पर पदनाम लिखना प्रतिबंधित कर दिया। दो दिन पहले उत्तराखंड में शराब की तस्करी में एक ऐसी गाड़ी पकड़ी गई, जिस पर भारतीय जनता पार्टी का झंडा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो लगी थी। इससे समझा जा सकता है कि किस प्रकार का दुरुपयोग हो रहा है।
तमाम जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गाड़ी पर दुर्घटना से बचने के लिए लगाए गए एयरबैग तब तक काम नहीं करते, जब तक व्यक्ति ने सीट बेल्ट न पहनी हो। यदि सीट बेल्ट भी पहनी है और गाड़ी के आगे बोनट पर सेफ गार्ड लगा है तो भी एयरबैग नहीं खुलते। ऐसे में हर वर्ष हजारों लोग दुर्घटना का शिकार होकर काल के गाल में समा जाते हैं।
उत्तराखंड में सचिवालय से लेकर जिला स्तर पर तमाम सरकारी वाहनों पर लगे पदनाम की पट्टिका के साथ-साथ सेफ गार्ड के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही प्रभावी रूप से नहीं हुई थी। डी. सेंथिल पांडियन को व्हाट्सएप्प पर भेजी गई चार फोटो के बाद चारों को तत्काल नोटिस जारी कर दिए गए। संयोगवश पहला वाहन उत्तराखंड शासन के सचिव अरुण ढौंडियाल, दूसरा मुख्यमंत्री की प्रचार यूनिट, तीसरा एक न्यायाधीश और चौथा लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले मीडियाकर्मी का था। डी. सेंथिल पांडियन ने तत्काल कार्यवाही का आदेश दिया और चारों वाहनों को नोटिस जारी हो गए कि तत्काल वाहन पर लगाए गए सेफगार्ड और पदनाम वाली पट्टिका को हटा दिया जाए। आश्चर्यजनक रूप से सचिवालय में ऐसी गाडिय़ां भी चल रही हैं, जिन पर टैक्सी नंबर तो लिखा है, किंतु पीली पट्टी की बजाय सफेद पट्टी पर काले अक्षरों से लिखा गया है, जो कि नियम विरुद्ध है।
देखना है कि डी. सेंथिल पांडियन की यह मुहिम कहां जाकर रुकती है। बहरहाल, कार्यवाही शुरू कर पांडियन ने जीरो टोलरेंस की नीति को जरूर बल दिया है।