आखिर क्या कारण है कि मुख्यमंत्री के पास भाजपा विधायकों के लिए टाइम नहीं है लेकिन “झोटा बिरयानी” के लिए समय है।
लक्सर विधायक संजय गुप्ता के इस बयान के पीछे यह दर्द है कि संजय गुप्ता ने आर्य समाज का एक बड़ा सम्मेलन हरिद्वार में आयोजित किया था। मुख्यमंत्री का इसमे आने का कार्यक्रम भी जारी हो गया था, लेकिन विश्वस्त सूत्रों के अनुसार ऐन मौके पर कैबिनेट मिनिस्टर मदन कौशिक के इशारे पर मुख्यमंत्री के आने का कार्यक्रम निरस्त हो गया।
हरिद्वार के लक्सर विधायक संजय गुप्ता अक्सर अपने क्षेत्र की उपेक्षा का दर्द बयान तो करते थे लेकिन यह दर्द इस तरह वह निकलेगा इसकी उम्मीद सियासत के जानकारों को भी नहीं रही होगी इस आग में घी डालने का काम हरिद्वार ग्रामीण के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने भी सरकार के एक फैसले के खिलाफ बयान देकर कर दिया है कुछ महीने पहले कुंवर प्रणव चैंपियन के तेवरों पर एक्शन लेकर सरकार मानकर चल रही थी कि प्रचंड बहुमत के चलते बाकी विधायक अब प्रतिरोध में आसानी से मुंह नहीं खोलेंगे। सरकार का अनुमान आत्मघाती निकला। कुंवर प्रणव चैंपियन के बयान से सबक लेने के बजाय सरकार ने दमनकारी रास्ते पर ही चलना जारी रखा।
हालांकि इस पर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि शहजाद के बेटे की शादी में जाना एक निजी कार्यक्रम है और विधायक के बयान पर सरकार की कोई प्रतिक्रिया का कोई औचित्य नहीं है।
दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि पार्टी में अनुशासनहीनता की कोई जगह नहीं है। अजय भट्ट ने कहा कि विधायक संजय गुप्ता का जवाब तलब किया जाएगा और इस पर जरूरी कार्यवाही भी की जाएगी।
संजय गुप्ता की नाराजगी
संजय गुप्ता के बगावती तेवरों से इस बात की तस्दीक हो जाती है कि वह रास्ता सही नहीं था सियासत के जानकारों के अनुसार लक्सर के विधायक संजय गुप्ता तथा हरिद्वार ग्रामीण के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद पर यह ठप्पा लगा है कि वह हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के करीबी है इसलिए शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के इशारे पर इन दोनों विधायकों की लंबे समय से उपेक्षा की जा रही थी उपेक्षा का सियासी समीकरण यह है कि हरिद्वार की लोकसभा सीट पर रमेश पोखरियाल निशंक तथा मदन कौशिक की सीधी दावेदारी रहती है पिछले लोकसभा चुनाव में रमेश पोखरियाल निशंक अपने संपर्कों तथा स्वामी रामदेव की पैरवी केबल पर टिकट हासिल करने में सफल रहे थे मदन कोशिक निशंक को बाहरी प्रत्याशी मानते हुए इस सीट पर अपनी दावेदारी जताते हैं पिछली बार भी उनके लिए सुषमा स्वराज ने काफी पैरवी की थी लेकिन मदन कौशिक टिकट नहीं ले पाए थे कौशिक को यह लगता है कि इस सीट पर निशंक समर्थक विधायकों को मजबूत करने से उनका जनाधार कमजोर हो सकता है इसीलिए वह इस सीट पर अपने विरोधी भाजपा विधायकों को कमजोर कर के बसपा से चौथी बार हाल ही मे निष्कासित कद्दावर नेता मोहम्मद शहजाद और उनकी तरह के अन्य नेताओं को अपने पाले में करने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं।
चैंपियन की नाराजगी
मदन कौशिक के समर्थन के बल पर पूर्व मे बसपा के तत्कालीन नेता शहजाद के भाई सत्तार को हरिद्वार जिला पंचायत विगठन होने पर संचालन समिति का मुखिया बनाए जाने पर चैंपियन भी मदन कौशिक तथा मुख्यमंत्री से नाराजगी जता चुके हैं। आज भाजपा सरकार से मिलीभगत के आरोप मे शहजाद को फिर से निष्कासित किया जा चुका है।
यतीश्वरानंद की नाराजगी
कांवड यात्रा मे डीजे बजाने पर सरकार की पाबंदी के खिलाफ हरिद्वार ग्रामीण के विधायक यतीश्वरानंद की बयानबाज़ी के पीछे नाराजगी के पीछे भी मुख्य वजह सरकारी उपेक्षा ही है।
समीकरण यह है कि यदि भविष्य में कभी मदन कौशिक को लोकसभा सीट से टिकट मिलता है तो मोहम्मद शहजाद आदि उनकी जीत की राह आसान कर सकें।
हरिद्वार मे अब तक की धींगामुश्ती से यह बात साफ होती जा रही है कि इससे भले ही मदन कौशिक की हरिद्वार मे अपनी राजनीतिक जमीन तैयार हो रही हो लेकिन भाजपा लगातार कमजोर हो रही है।